Kapildev Prasad passes away, पटनाः हस्तकरघा और 52 बूटी साड़ियों के लिए पद्मश्री से सम्मानित कपिलदेव प्रसाद का बुधवार की सुबह बिहारशरीफ के बसावनबीघा गांव में निधन हो गया। वह 71 साल के थे। कपिल देव प्रसाद के निधन पर लोग शोक व्यक्त कर रहे हैं। बिहारशरीफ जिला मुख्यालय के बसावन बिगहा गांव निवासी कपिल देव प्रसाद ने हथकरघा एवं 52 बूटी साड़ी की कला को पहचान दी थी। कपिल देव प्रसाद का अंतिम संस्कार पटना के फतुहा स्थित त्रिवेणी घाट पर किया जाएगा।
52 बूटी में बनाए अपनी अगल पहचान
कपिल देव प्रसाद का जन्म 5 अगस्त 1955 को हुआ था। कपिल देव प्रसाद ने अपने पूर्वजों से सीखे हुनर को लोगों के बीच बांटा और इस कला को रोजगार के रूप में विकसित किया। मशीन कपड़ा बाजार में बावन बूटी के बारे में बहुत कम लोग जानते थे लेकिन अब पद्मश्री पुरस्कार के साथ इसे पूरे देश में खोजा जा रहा है। बावन बूटी मूलतः एक प्रकार की बुनाई कला है। इसे बावन बूटी इसलिए कहा जाता है क्योंकि सूती या तसर के कपड़े पर 52 समान रूपांकनों को हाथ से सिला जाता है।
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52 बूटी साड़ियों की सबसे ज्यादा मांग
बूटियों में बौद्ध धर्म और संस्कृति के चिह्नों की बहुत बारीक कारीगरी की गई है। बोधि वृक्ष, बैल, कमल का फूल,त्रिशूल, धर्म चक्र, खजाना, सुनहरी मछली, फूलदान, छत्र और शंख जैसे प्रतीक अधिकतर बावन बूटी में पाए जाते हैं। बावन बूटी साड़ियों की मांग सबसे ज्यादा है। इसकी शुरुआत कपिलदेव प्रसाद के दादा शनिचर तांती ने की थी।
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