नई दिल्लीः हिंदू कैलेंडर के अनुसार हर माह में दो एकादशी तिथि पड़ती है। एक कृष्ण पक्ष और दूसरी शुक्ल पक्ष में। इस तरह एक साल में कुल 24 एकादशा तिथि पड़ती हैं। एकादशी तिथि का हिंदू धर्म में बेहद खास महत्व है। एकादशी तिथि भगवान विष्णु को समर्पित होती है और एकादशी के दिन भक्त व्रत-पूजन के द्वारा अपने इष्ट देव भगवान श्रीहरि को प्रसन्न करते हैं। साल में पड़ने वाली सभी एकादशी तिथियों को अलग-अलग नामों से जाना जाता है। इसी तरह आषाढ़ माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को योगिनी एकादशी के नाम से जाना जाता है। योगिनी एकादशी का व्रत करने से साधक की सभी मनोकामनाएं अवश्य ही पूरी होती हैं।
योगिनी एकादशी शुभ मुहूर्त
योगिनी एकादशी के दिन अभिजीत मुहूर्त सुबह 11 बजकर 56 मिनट से दोपहर 12 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। इस दिन ज्येष्ठा नक्षत्र सुबह 6 बजकर 32 मिनट तक रहेगा। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह 5 बजकर 24 मिनट से सुबह 8 बजकर 04 मिनट तक रहेगा। ब्रह्म मुहूर्त सुबह 4 बजकर 04 मिनट से सुबह 04 बजकर 44 मिनट तक रहेगा। योगिनी एकादशी के व्रत का पारण शनिवार 25 जून को होगा।
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योगिनी एकादशी की पूजा की विधि
योगिनी एकादशी के दिन भक्त को प्रातःकाल उठकर दैनिक कार्यो से निवृत्त होने के बाद स्नान करना चाहिए और स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए। इसके बाद घर अथवा मंदिर में भगवान विष्णु की आराधना करें। घर में पूजा की चौकी पर पीला कपड़ा बिछायें। अब भगवान विष्णु की मूर्ति अथवा तस्वीर को गंगा जल से अभिषेक कर चौकी पर स्थापित करें। इसके बाद भगवान को वस्त्र अर्पित कर उनका तिलक करें। इसके बाद मौसमी फल, मिष्ठान, धूप, दीपक, तुलसी और पुष्प अर्पित करें। तत्पश्चात योगिनी एकादशी की व्रत कथा श्रवण करें और अंत में आरती जरूर करें।
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