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श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पर भगवान को अर्पित करें कमल का फूल, मक्खन का लगाएं भोग

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वाराणसीः भाद्रपद कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर श्रीकृष्ण जन्माष्टमी पूरे भक्तिभाव से मनाया जाता है। कोरोना काल में ज्यादातर लोग अपने घरों में ही जन्मोत्सव मनायेंगे। ऐसे में उत्साहपूर्ण माहौल में भक्ति के साथ जन्मोत्सव मनाने के लिए पूरी तैयारी दिन में ही कर लेनी चाहिए। जन्माष्टमी के दिन भगवान श्रीकृष्ण का तत्व सामान्य से एक हजार गुना अधिक कार्यरत रहता है। इस तिथि पर ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ का जप करने के साथ-साथ भगवान कृष्ण की उपासना भावपूर्ण तरीके से करने से श्रीकृष्ण तत्व का अधिक लाभ मिलती है।

भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की विधि
भगवान कृष्ण को दही-पोहा और मक्खन का भोग लगाना चाहिए। फिर भगवान कृष्ण की आरती करें। पंचोपचार पूजा गंध, हल्दी-कुमकुम, फूल, धूप, दीप और प्रसाद। गुरूराज प्रभु के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से पहले, श्रद्धालु स्वयं को अपनी मध्यमा उंगली से दो खड़ी रेखाओं का गंध लगाये। भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करते समय छोटी उंगली के पास वाली उंगली यानी अनामिका से गंध लगाना चाहिए। भगवान श्रीकृष्ण को हल्दी-कुमकुम चढ़ाते समय पहले हल्दी और फिर दाहिने हाथ के अंगूठे और अनामिका से कुमकुम लें और चरणों में अर्पित करें। अंगूठे और अनामिका को मिलाने से बनी मुद्रा उपासक के शरीर में अनाहत चक्र को जागृत करती है। यह भक्तिभाव बनाने में मदद करता है। देवता की पवित्रता देवता का सूक्ष्म कण है। जिन वस्तुओं में किसी विशिष्ट देवता के पवित्र व अन्य वस्तुओं से अधिक आकर्षित करने की क्षमता होती है, वे उस देवता को अर्पित की जाती हैं, तो स्वाभाविक रूप से देवता की मूर्ति में देवता का तत्व प्रकट होता है और इसलिए हमें देवता के चैतन्य का लाभ जल्दी मिलता है। तुलसी कृष्ण तत्व में समृद्ध है। काली तुलसी भगवान कृष्ण के मारक तत्व का प्रतीक है, जबकि हरी तुलसी भगवान कृष्ण के तारक तत्व का प्रतीक है। इसलिए भगवान कृष्ण को तुलसी चढ़ाते हैं।

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भगवान कृष्ण को कैसे चढ़ाएं फूल
कमल के फूलों में भगवान कृष्ण की पवित्रकों को आकर्षित करने की उच्चतम क्षमता होती है, इसलिए इन फूलों को भगवान कृष्ण को चढ़ाना चाहिए। यदि फूल एक निश्चित संख्या में और एक निश्चित आकार में देवता के चरणों में अर्पण करें तो देवता का तत्व उन फूलों की ओर आकर्षित होता है। भगवान कृष्ण को फूल चढ़ाते समय उन्हें तीन या तीन के गुणांक में लंब गोलाकार रूप में अर्पित करना चाहिए। भगवान कृष्ण को इत्र लगाते समय चंदन का इत्र लगाएं। भगवान कृष्ण की पूजा करते समय, उनके अधिक मारक तत्वों को आकर्षित करने के लिए चंदन, केवड़ा, चंपा, चमेली, खस, और अंबर इनमें से किसी भी अगरबत्ती का उपयोग करे।

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