जगदलपुर : मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. आरके चतुर्वेदी ने शुक्रवार को बताया कि बस्तर जिले में बंदर से फलने वाली मंकी पॉक्स (monkey pox) बीमारी से संबंधित एक भी मरीज नहीं मिले हैं। उन्होंने बताया कि राज्य शासन के निर्देशानुसार बस्तर जिले में स्वास्थ्य विभाग पूरे समय सतर्क रहकर स्थिति की निरंतर निगरानी कर रहा है। उन्होंने बताया कि जिले के ग्रामीण एवं शहरी क्षेत्रों के लोगों को मंकी पॉक्स (monkey pox) को लेकर अलर्ट कर दिया गया है। डॉ. चतुर्वेदी ने कहा कि मंकी पॉक्स से घबराने की जरूरत नहीं है इसका इलाज संभव है।
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डॉ. आरके चतुर्वेदी ने बताया कि मंकी पॉक्स (monkey pox) के मामले ब्रिटेन से शुरू होकर कनाडा और स्पेन समेत 12 देशों में पुष्टि हो चुकी है। हमारे देश के बिहार राज्य में एक व्यक्ति में मंकी पॉक्स के लक्षण नजर आए हैं। जिसके चलते बस्तर का स्वास्थ्य अमला भी सजग एवं सतर्क हो गया है। उन्होंने बताया कि मंकी पॉक्स के शुरुआती लक्षण के समय सामान्य वायरल फीवर के साथ सिर दर्द व बुखार होता है। बाद में शरीर में बड़े फफोले निकल आते हैं। वायरल डिजीज होने के कारण यह संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में आने से दूसरे व्यक्ति में फैल सकता है, इसलिए संक्रमित व्यक्ति से दूरी बनाए रखना जरूरी है।
उन्होंने बताया कि मंकी पॉक्स (monkey pox) स्माल पॉक्स की तरह वायरल इंफेक्शन है, जो चूहों और खासकर बंदरों से इंसानों में फैलता है। यदि कोई जानवर इस वायरल से संक्रमित है और इंसान उसके संपर्क में आए तो उसे भी मंकी पॉक्स होने की संभावना है, यह देखने में चेचक का बड़ा रूप लगता है। मंकी पॉक्स का लक्षण पूरे शरीर में गहरा लाल रंग के दाने, निमोनिया, तेज सिरदर्द, मांस पेशियों में दर्द, ठंड लगाना, अत्यधिक थकान, तेज बुखार आना शरीर में सूजन, एनर्जी में कमी, स्किन में लाल चकते आदि शामिल हैं।
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