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परंपरागत खेती के भरोसे किसान, ग्रीष्मकालीन फसल से हटा मोह !

Farmers

बैतूलः किसानों की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने उन्हें आत्मनिर्भर बनाने और कर्ज से मुक्ति दिलाने में रबी और खरीफ फसल के बाद सर्वाधिक योगदान ग्रीष्मकालीन फसलों का रहता है। लेकिन जिले में पानी की कमी का कारण हो या फिर गन्ना का रकबा लगातार बढ़ने के कारण जिले के किसानों का रूचि ग्रीष्मकालीन फसलों की ओर नहीं है।

जिले के अधिकतर किसान अभी भी सिर्फ साल में दो ही फसल ले रहे हैं वहीं जिसके पास सिंचाई के लिए पानी की पर्याप्त व्यवस्था है उसका झुकाव गन्ना लगाने की ओर होने से जिले में ग्रीष्मकालीन फसलों का रकबा कुल कृषि भूमि का एक फीसदी भी नहीं है। कृषि विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस साल अभी तक मात्र 3900 हैक्टेयर भूमि में ही खरीफ की फसल लगाई गई है। ग्रीष्मकालीन फसलों की बोवनी करने का समय लगभग समाप्त हो गया है जिससे इस साल ग्रीष्मकालीन फसलों का रकबा एक फीसद से कम ही रहने के आसार है।

परंपरागत खेती के ही भरोसे है अधिकतर किसान

जिले में वैसे तो लगभग 5 लाख हेक्टेयर कृषि भूमि है जिसमें से लगभग 4 लाख 15 हजार हेक्टेयर में कृषि की जाती है। जिले के किसान अभी भी परंपरागत खेती करने में ही विश्वास करते है। खरीफ फसलों में मक्का, सोयाबीन, मूंगफल्ली, राम तिल, कोदो कुटकी, तुवर आदि की खेती करते है वहीं खरीफ फसलों में गेहूं, चना, सरसों की खेती मुख्य रूप से की जाती है। इसके अतिरिक्त जिले में चार शुगर मिल शुरू हो जाने से अधिकतर किसान गन्ना की खेती की ओर परिवर्तित हो रहे है। जिले में सिंचाई का रकबा बढ़ने के साथ ही गन्ने का रकबा लगातार बढ़ते जा रहा है। वर्तमान में लगभग 17 हजार हैक्टेयर में गन्ना की खेती की जा रही है।

मात्र 3900 हैक्टेयर में लगाई ग्रीष्मकालीन फसल

जिले में गन्ना का रकबा बढ़ने के साथ ही ग्रीष्मकालीन फसलों से किसानों का मोहभंग हो रहा है। जिले के दसों ब्लॉक में आज तक की स्थिति में कुल 3900 हैक्टेयर कृषि भूमि में ग्रीष्मकालीन फसल लगाई गई है। इसमें सर्वाधिक 3100 हैक्टेयर में मूंग, 400 हैक्टेयर में मूंगफल्ली 150 हैक्टेयर में उड़द और 250 हैक्टेयर में मक्का की बोवनी हुई है। मक्का की फसल पशुओं को ग्रीष्म ऋतु में हरा चारा उपलब्ध करवाने के लिए किसानों द्वारा लगाई जाती है। जिले में लगभग 4 लाख 15 हजार हैक्टेयर भूमि में कृषि की जाती है इस हिसाब से ग्रीष्मकालीन फसल सिर्फ 0.86 फीसदी भूमि में ही लगाई गई है। वहीं लगभग 17 हजार हैक्टेयर यानि 4.09 फीसदी भूमि में गन्ना की फसल लगी है। वर्तमान में मात्र 5 फीसदी भूमि में ही कुल फसल लगी है वहीं 95 फीसदी भूमि खाली है।

बैतूल ब्लॉक में लगी है सर्वाधिक ग्रीष्मकालीन फसल

जिले के दसों ब्लॉक में कुल 3900 हैक्टेयर में ग्रीष्मकालीन फसल लगाई गई है जिसमें बैतूल ब्लॉक में 696 हैक्टेयर भूमि में ग्रीष्मकालीन फसल किसानों ने लगाई है। वहीं आमला ब्लॉक में सबसे कम 225 हैक्टेयर में ग्रीष्मकालीन फसल लगाई गई है। जिले में सर्वाधिक 3100 हैक्टेयर में मूंग लगाई है जिससे सर्वाधिक 670 हैक्टेयर बैतूल ब्लॉक में और सबसे कम 160 हैक्टेयर प्रभातपट्टन ब्लॉक में लगी है। इसी प्रकार 400 हैक्टेयर में मूंगफली लगाई है जिसमें घोड़ाडोंगरी ब्लॉक में सर्वाधिक 120 हैक्टेयर में और बैतूल, शाहपुर, आमला, आठनेर तथा भीमपुर में 10-10 हैक्टेयर में मूंगफल्ली की बोवनी की गई है। इसके साथ ही 150 हैक्टेयर में उड़द की बोवनी की है जिससे सर्वाधिक 66 हैक्टेयर रकबा भैंसदेही ब्लॉक में और 2-2 हैक्टेयर मुलताई और चिचोली में है। 250 हैक्टेयर में लगी मक्का की फसल में प्रभातपट्टन ब्लॉक में सर्वाधिक 80 हैक्टेयर में मक्का की बोवनी की गई है।

तीसरी फसल का रकबा बढ़ने से समृद्ध होंगे किसान

केन्द्र और राज्य सरकार वैसे तो कृषि को लाभ का धंधा बनाने अनेको योजनाएं चलाने की बात करती है, लेकिन ग्रीष्मकालीन फसलों का रकबा बढ़ाने किसी प्रकार की ठोस पहल नहीं कर रही है। इसी के चलते जिले में एक फीसदी क्षेत्र में भी ग्रीष्मकालीन फसल नहीं है। रबी और खरीफ फसलों से किसानों की जरूरते पूरी हो जाती है जबकि तीसरी फसल उनके लिए बोनस की तरह है जो आर्थिक रूप से समृद्ध करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। जिले में सिंचाई का रकबा बढ़ाने से ही ग्रीष्मकालीन फसलों का रकबा बढ़ सकता है। इसके लिए अधिक से अधिक जल संरचनाएं बनाने के साथ ही किसानों को कुएं और ट्यूबवेल खनन करवाने आर्थिक सहायता देनी होगी तब ही किसान सिंचाई का रकबा बढ़ाने के साथ ही ग्रीष्मकालीन फसल लगाने की ओर अग्रसर होगा।

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