राजस्थान

निर्जला एकादशी: दान-पुण्य और देवदर्शन के लिए मंदिरों में उमड़ी भक्तों की भीड़

Nirjala Ekadashi
nirjala-ekadashi जयपुरः भगवान विष्णु की पूजा और पुण्य फल देने वाली निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) पर बुधवार को छोटी काशी के प्रमुख मंदिरों में विशेष झांकियां, दान, महाआरती और जलविहार हुए। सार्थ सिद्धि योग, रवि योग, कुमार योग, राज योग और आनंद योग का भी विशेष संयोग बना। परकोटा, सोडाला, मानसरोवर, मालवीय नगर, टोंक रोड, जेएलएन रोड सहित शहर के प्रमुख मार्गों व मंदिरों के बाहर विभिन्न समाज व व्यापारी वर्ग की ओर से शरबत, मिल्क रोज, नींबू पानी, आमसर का वितरण किया गया। इसके अलावा श्रद्धालुओं ने मनोकामना मांगते हुए वर्ष भर की श्रेष्ठ निर्जला एकादशी (Nirjala Ekadashi) का व्रत रखा। निर्जला एकादशी के अवसर पर शहरवासियों के लिए ही नहीं विभिन्न प्रतिष्ठान स्थापित कर विभिन्न पेय पदार्थ परोसे गए। साथ ही पक्षियों के लिए पशु-पक्षियों के पीने के पानी की व्यवस्था की गई। दूसरी ओर महिलाओं ने उत्साहपूर्वक मंदिरों में जल के घड़े, छतरी, अनाज और बीज दान किए। ये भी पढ़ें..प्रेम-प्रसंग में ब्लैकमेल कर रही थी पुलिस, युवक ने मौत को लगाया गले निर्जला एकादशी पर शहर के आराध्य गोविन्ददेवजी सहित अन्य मंदिरों में जल विहार की झांकियां सजाई गईं। जिसमें भगवान को दक्षिण भारत से आयातित चंदन का लेप लगाया गया और रियासत के चांदी के फव्वारे से शीतलता प्रदान की। गोविन्द देव जी को तरबूज, खरबूजा, जूठा, आम और अन्य मौसमी फलों का भोग लगाने के साथ ही भोग में खस और गुलाब का शरबत भी चढ़ाया गया। ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष की एकादशी को बुधवार को निर्जला एकादशी के रूप में मनाया गया। निर्जला एकादशी के अवसर पर उत्तर भारत के प्रमुख वैष्णव पीठ श्री गलता जी में पीठाधीश्वर स्वामी संपत कुमार अवधेशाचार्य के सानिध्य में ठाकुरजी को जल विहार कराया गया। फव्वारा चलाकर शीतलता और सुगंधित जल प्रदान किया गया। पीठ के युवराज स्वामी राघवेंद्र ने बताया कि गलता पीठ में निर्जला एकादशी पर भगवान श्री निवास, भगवान श्रीराम के तीनों विग्रह सीताराम जी, रघुनाथ जी और रामकुमार जी को जल चढ़ाया गया। भगवान को नए वस्त्र पहनाए गए और मौसमी फलों से झांकी सजाई गई। वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ पूजन कर आरती उतारी गई। ज्योतिषी गौरव गौड़ ने बताया कि महाभारत काल में पांडव पुत्र भीम ने भी इस एकादशी का व्रत रखा था। इसलिए इसे भीमसेनी एकादशी भी कहते हैं। इस एकादशी के दिन पूरे दिन पानी नहीं पिया जाता है। एकादशी के दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा की जाती है। इस बार सर्वार्थ सिद्धि योग और रवि योग समेत कई संयोग भी बने हैं। इस दिन व्रत करने से पुण्य फल की प्राप्ति होती है और व्रत करने के साथ-साथ तीर्थों के दर्शन करने से भी मनोकामना पूर्ण होती है। (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)