काठमांडू: शनिवार को भी उपप्रधानमंत्री और गृह मंत्री के खिलाफ संसदीय जांच समिति बनाने पर सहमति नहीं बन पाई। पिछले एक सप्ताह से लगातार हो रही वर्किंग ग्रुप की बैठकों में घंटों बैठने के बाद भी यही स्थिति है।
एक-दूसरे पर लगा रहे आरोप
सहकारी घोटाले में गृह मंत्री रवि लामिछाने की भूमिका की जांच के लिए प्रमुख दलों द्वारा गठित कार्य समूह में समिति के अधिकार क्षेत्र को लेकर आज भी कोई सहमति नहीं बन सकी। समिति के शासनादेश में गृह मंत्री का नाम होना चाहिए या नहीं, इस पर अभी भी विवाद है। सत्ता पक्ष किसी भी हालत में गृह मंत्री रवि लामिछाने का नाम देने को राजी नहीं है तो विपक्ष उस नाम के बिना मानने को तैयार नहीं है। दोनों पक्ष एक-दूसरे पर आम सहमति नहीं बनने देने का आरोप लगा रहे हैं।
सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच सहमति नहीं बन पाने के कारण बजट सत्र के एक भी दिन संसद की कार्रवाई नहीं हो सकी है। विपक्षी दलों द्वारा दोनों सदनों की कार्यवाही को रोका जा रहा है। अभी तक न तो राष्ट्रपति के अभिभाषण पर धन्यवाद प्रस्ताव पेश किया गया है और न ही बजट पेश किया गया है।
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संसदीय समिति के गठन की मांग
वर्किंग ग्रुप के संयोजक कानून मंत्री पदम गिरी ने कहा कि विपक्ष की बात तर्कसंगत नहीं है। उन्होंने कहा कि बिना किसी जांच के यह लिखकर कोई जांच कमेटी नहीं बनाई जा सकती कि गृह मंत्री दोषी हैं, लेकिन सरकार के इस तर्क से विपक्षी दल सहमत नहीं हो पा रहे हैं। वर्किंग ग्रुप के सदस्य नेपाली कांग्रेस के ज्ञानेंद्र कार्की ने कहा कि अब तक की सभी जांच में गृह मंत्री दोषी पाए गए हैं। इसलिए उनका नाम तो लिखना ही पड़ेगा। कार्की ने कहा कि जिस गोरखा मीडिया में सहकारी संस्थाओं से अवैध तरीके से पैसा निकालकर निवेश किया गया है उसका नाम भी बताया जाना चाहिए और एक संसदीय समिति का गठन किया जाना चाहिए।
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