लखनऊः यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियन्स के आवाह्न पर बैंककर्मियों की राष्ट्रव्यापी हड़ताल मंगलवार को दूसरे दिन भी जारी रही। हड़ताल के चलते सभी सरकारी बैंकों के शाखाओं एवं कार्यालयों में ताले लगे रहे। दो दिनों की हड़ताल से लखनऊ में लगभग 5,000 करोड़ तथा प्रदेश में 60,000 करोड़ का लेनदेन प्रभावित रहा। बैंक हड़ताल पर इण्डियन बैंक (पूर्व इलाहाबाद बैंक) हजरतगंज में सभा को सम्बोधित करते हुये एनसीबीई के महामंत्री केके सिंह ने बताया कि बैंक में जनता के जमा धन पर पूंजीपतियों और नेताओं की नजर है। बैंकों के निजीकरण होने पर सरकार उन्हें बड़े लोन स्वीकृत करायेगी फिर ऋण लेने वाला ऋण को एनपीए कराने के बाद मात्र 10 या 15 प्रतिशत धनराशि देकर ऋण का सेटलमेंट करा लेगा या देश छोड़कर भाग जायगा। उन्होंने कहा कि विजय माल्या, नीरव मोदी, चन्द्रा कोचर आदि प्रत्यक्ष उदाहरण हैं। जनता अब समझ चुकी है इसलिये आमजन हमसे जुड़ रहा है क्योंकि बैंक निजीकरण की लड़ाई बैंककर्मियों के साथ आमजनता की लड़ाई है।
सभा में ऑल इण्डिया बैंक आफीसर्स कन्फेडरेशन (ऑयबाक) के अध्यक्ष पवन कुमार ने कहा कि एक ओर वरिष्ठ कर्मचारियों की सेवानिवृति होने के बावजूद पर्याप्त मात्रा में नये कर्मचारियों की भर्ती न होने से प्रति कर्मचारी कार्य का बोझ बढ़ता जा रहा है। दूसरी ओर सरकार ने मनमाने तरीके से बैंको का विलय किया, अब तो बैंकों का निजीकरण कर बेचने की तैयारी कर दी है, हम ऐसा होने नहीं देंगे। ऑल इण्डिया बैंक इम्पलाइज एसोसिएशन (एआईबीईए) के दीप बाजपेई ने कहा कि सरकार जनता की गाढ़ी कमाई, पूंजीपतियों के हितों के लिये, बैंकों का निजीकरण करके उन्हें सौंपना चाह रही है। यह जनता के साथ धोखाधड़ी है। बैंककर्मी तथा आम जनता इसे सफल नहीं होने देंगे।
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मीडिया प्रभारी अनिल तिवारी ने बताया कि विभिन्न स्रोतों की जानकारी के अनुसार दो दिनों की हड़ताल से लखनऊ में लगभग 5,000 करोड़ तथा प्रदेश में 60,000 करोड़ का लेनदेन प्रभावित रहा। हड़ताल के दोनों दिन सरकारी बैंकों के लखनऊ जिले की 905 शाखाओं के 10,000 बैंककर्मी तथा प्रदेश की 14,000 शाखाओं के दो लाख बैंककर्मी शामिल रहे। लखनऊ में 990 एवं प्रदेश के 12,000 एटीएम मशीनों में से कई मशीनों में कैश समाप्त होने से लोग रुपये नहीं निकाल सके। हड़ताल के कारण पेन्शनधारकों, वेतनभोगियों एवं आम जनता को परेशानी का सामना करना पड़ा।