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किसानों को मिलेंगे सर्टिफाइड सीड्स, सरकार ने उठाया ये बड़ा कदम

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नई दिल्लीः केन्द्र सरकार का दावा है कि राष्ट्रीय स्तर की बहु-राज्य सहकारी बीज समिति की स्थापना से किसानों को लाभ होगा। सहकारिता मंत्रालय के एक अधिकारी ने गुरुवार को कहा कि देश में 47 फीसदी किसान ही प्रमाणित बीज (सर्टिफाइड सीड्स) का उपयोग कर पाते हैं। इस वजह से फसलों का उत्पादन कम होता है। देश में प्रमाणित बीज की उपलब्धता बढ़ाने के लिए व किसानों की आय को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय स्तर की बहु-राज्य सहकारी बीज समिति मील का पत्थर साबित होगी। इस मिशन को सफल बनाने के लिए कृषि मंत्रालय, सहकारिता मंत्रालय, राज्य सरकारें, कृषि विश्वविद्यालय,प्राथमिक कृषि ऋण समिति (पैक्स) सभी मिलकर काम करेंगी और किसानों को समय पर प्रमाणित बीज उपलब्ध कराएंगी।

राष्ट्रीय स्तर की बहु-राज्य सहकारी बीज समिति के लिए ये है केन्द्रीय मंत्रिमंडल का निर्णय

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने बुधवार को बहुराज्य सहकारी सोसाइटी (एमएससीएस) अधिनियम 2002 के अंतर्गत एक राष्ट्रीय स्तर की बहुराज्यीय बीज कोऑपरेटिव सहकारी सोसाइटी को स्थापित करने और उसे बढ़ावा देने का निर्णय लिया है। यह सोसाइटी देशभर की विभिन्न सहकारी सोसाइटियों के माध्यम से गुणवत्तायुक्त बीजों के उत्पादन, खरीद, प्रसंस्करण, ब्रांडिंग, लेबलिंग, पैकेजिंग, भंडारण और वितरण, रणनीतिक अनुसंधान एवं विकास और स्वदेशी प्राकृतिक बीजों के संरक्षण और संवर्धन के लिए एक सिस्टम विकसित करने के लिए एक शीर्ष संगठन के रूप में कार्य करेगी। संबंधित मंत्रालयों विशेष रूप से कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) और राष्ट्रीय बीज निगम (एनएलसी) की स्कीमों और एजेंसियों द्वारा सरकार के समग्र दृष्टिकोण का पालन करते हुए सहायता सेवाएं ली जाएंगी।

कृषि विकास के लिए गुणवत्तायुक्त बीज जरूरी

यह आंकलन किया गया है कि फसल के आधार पर कुल उत्पादन में गुणवत्तायुक्त बीज का प्रत्यक्ष योगदान 15-20 फीसदी है और इसमें अन्य इनपुट्स के प्रभावी प्रबंधन से 45 फीसदी तक की और वृद्धि की जा सकती है। खराब गुणवत्तायुक्त बीजों का उपयोग सभी कृषि संबंधी पद्धतियों और फसल पर लागू होने वाले प्रत्येक अन्य इनपुट की उपयोगिता को निरर्थक कर देता है।

गुणवत्तायुक्त बीजों में सहकारी समितियां क्यों ?

दीर्घकाल से भारतीय किसान ज्यादातर पारंपरिक किस्मों पर निर्भर थे और बीज की आवश्यकता को किसान जो अनाज खुद रखते थे उसी को बीज के रूप में भी उपयोग कर लेते हैं। यह प्रमाणित बीज नहीं होता है। जिसके कारण उपज प्रभावित होती है। देश के सभी किसानों को प्रमाणित बीज मिल सके इसी उद्देश्य से इस समिति का गठन किया गया है। देश में 8.54 लाख पंजीकृत सहकारी समितियां हैं, जिनमें 29 करोड़ से भी अधिक सदस्य हैं। चूंकि किसान बीजों के प्राथमिक उत्पादक और उपभोक्ता दोनों हैं और अधिकांश भारतीय किसान कम से कम एक सहकारी संस्थान के सदस्य हैं। इस लिए सहकारी समितियां बीज वितरण में अह्म भूमिका निभा सकती हैं।

ऐसे होगा बीज सोसाइटी का प्रबंधन

दो सांविधिक निकायों अर्थात राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) और राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) सहित तीन प्रमुख राष्ट्रीय सहकारी समितियों अर्थात इंडियन फार्मर्स फर्टिलाइजर को आपरेटिव लिमिटेड (आईएफएफसीओ), कृषक भारतीय को आपरेटिव लिमिटेड (केआरआईबीएचसीओ) (प्रमुख प्रवर्तक) और नेशनल एग्रीकल्चर कोऑपरेटिव मार्केटिंग फेडरेशन आफ इंडिया लिमिटेड (एन ए एफ ई डी) प्रत्येक ने 50 करोड रु. का योगदान करने का संकल्प लिया है और बीज सहकारी सोसाइटी के प्रवर्तक सदस्य बन गए हैं।

सोसाइटी की प्राधिकृत शेयर पूंजी 500 करोड़ रु. होगी और इसकी स्थापना 250 करोड़ रु. की प्राथमिक प्रदत्त शेयर पूंजी से की जाएगी। इसके द्वारा शेयर पूंजी एडमीशन एवं अन्य शुल्क, लोन, कैश क्रेडिट, कमर्शियल पेपर्स के ओवरड्राफ्ट, अनुदान व केंद्र और राज्य सरकारों से सब्सिडी, सदस्यों तथा भारत और विदेश में स्थित लाभकारी संगठनों के माध्यम से धन जुटाया जाएगा।

सोसाइटी के कार्य और दायरा

प्रस्तावित सोसाइटी द्वारा गुणवत्तायुक्त बीज की खेती और बीज की किस्मों के परीक्षण, उत्पादन और सिंगल ब्रांड नेम वाले प्रमाणित बीजों के वितरण में किसानों की भूमिका सुनिश्चित करते हुए बीज प्रतिस्थापन दर (एसआरआर), किस्म प्रतिस्थापन दर (वीआरआर) में वृद्धि करने के लिए कोआपरेटिव स्ट्रक्चर के सभी रूपों और अन्य सभी माध्यमों को शामिल करके प्राथमिक कृषि सहकारी सोसाइटियों (पैक्स), बहुराष्ट्रीय सहकारी सोसाइटियों (एमएससीएस) व जिला, राज्य और राष्ट्रीय स्तर के संघों के माध्यम से कार्य किया जाएगा। इसका कार्यक्षेत्र संपूर्ण देश में होगा। प्रारंभिक रूप से, पंजीकृत कार्यालय नई दिल्ली में होगा। सोसाइटी द्वारा उत्पादन, टेस्टिंग, सर्टिफिकेशन, खरीद, प्रसंस्करण, भंडारण, ब्रांडिंग, लेबलिंग पर ध्यान केंद्रित करते हुए अपने कार्यकलाप किए जाएंगे।

सोसाइटी के लाभ

सोसायटी द्वारा सभी स्तरों की सहकारी समितियों के नेटवर्क का उपयोग करके बीज प्रतिस्थापन दर वैरायटी रिप्लेसमेंट रेट, गुणवत्तायुक्त बीज की खेती और बीज के किस्म परीक्षणों में किसानों की भूमिका सुनिश्चित करने, एकल ब्रांड नाम के साथ प्रमाणित बीजों के उत्पादन और वितरण को बढ़ाने में सहायता की जाएगी। गुणवत्तापूर्ण बीजों की उपलब्धता से खाद्य सुरक्षा को मजबूत करने में कृषि उत्पादकता बढ़ाने में मदद मिलेगी और किसानों की आय में भी वृद्धि होगी।

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