मुंबई: बॉम्बे हाई कोर्ट ने शुक्रवार को नांदेड़ के शंकरराव चव्हाण अस्पताल में मरीजों की मौत के मामले पर स्वत: संज्ञान लिया। हाईकोर्ट ने कहा कि राज्य में दवा खरीद के लिए मुख्य कार्यकारी अधिकारी की नियुक्ति भी सरकार का काम है। कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए इस मामले में हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है। इस मामले की अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को होगी।
बुनियादी सेवाएं देना जिम्मेदारी
नांदेड़ के शंकरराव चव्हाण अस्पताल में मरीजों की मौत के मामले पर स्वत: संज्ञान लेते हुए बॉम्बे हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश देवेन्द्र उपाध्याय की खंडपीठ ने आज सुनवाई की। अदालत ने बॉम्बे हाई कोर्ट की ओर से मामला पेश करने के लिए वकील मोहित खन्ना को नियुक्त किया। राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता बीरेंद्र सराफ ने हाई कोर्ट में पक्ष रखा। आज की सुनवाई के दौरान चीफ जस्टिस उपाध्याय ने राज्य सरकार की ओर से पेश महाधिवक्ता को फटकार लगाते हुए कहा कि यह जवाब मत दीजिये कि राज्य में मैनपावर की कमी का दबाव है, राज्य सरकार होने के नाते यह सरकार की जिम्मेदारी है कि वह उपलब्ध कराये। लोगों को बुनियादी सेवाएं देना जिम्मेदारी है।
महाधिवक्ता से पूछे कई सवाल
इसके बाद कोर्ट ने महाधिवक्ता से पूछा कि क्या दवा खरीदने के लिए कोई सीईओ नहीं है। इस पर प्रतिक्रिया देते हुए राज्य के महाधिवक्ता ने कहा कि अतिरिक्त प्रभार दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि अतिरिक्त कार्यभार पर्याप्त नहीं होगा। आपके पास स्वतंत्र प्रभार वाला पूर्णकालिक सीईओ होना चाहिए, ताकि वह अपना काम पूरी तरह से कर सके।
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इस मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट की ओर से पेश वकील मोहित खन्ना ने दवाओं की सप्लाई को लेकर कोर्ट के सामने जानकारी पेश की। मोहित खन्ना ने यह भी कहा कि पूर्णकालिक दवा खरीद बोर्ड और पूर्णकालिक मुख्य कार्यकारी अधिकारी की अनुपस्थिति के कारण स्थिति खराब हो रही है। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सरकार से सरकारी अस्पतालों में खाली पदों को लेकर उठाए गए कदमों के बारे में भी पूछा। हाई कोर्ट ने सरकार को इस संबंध में हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया।
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