Nag Panchami Special: बलियाः जिला मुख्यालय से करीब 15 किमी दूर स्थित असेगा में एक ऐसा शिवलिंग है, जिस पर औरंगजेब ने तलवार से हमला किया था। इससे शिवलिंग से रक्त की धारा निकल पड़ी थी। जिले भर में बाबा शोकहरणनाथ के नाम से प्रसिद्ध इस शिवलिंग के प्रति लोगों की गहरी आस्था है। मंदिर का इतिहास काफी प्राचीन और पौराणिक है। करीब 200 साल पुराने इस मंदिर में दीपक जलाने का बहुत महत्व है। मंदिर परिसर में हर समय सैकड़ों दीपक जलाए जाते हैं। मंदिर के पुजारी फुलेश्वर उपाध्याय बताते हैं कि यह मंदिर काफी प्राचीन है। बेरुरआबारी के पास असेगा स्थित बाबा शोकहरनाथ के दर्शन के लिए प्रतिदिन भक्तों की लंबी कतार लगती है। सावन में यहां काफी भीड़ होती है।
राजा सुरथ ने किया था मंदिर के निर्माण
इसी गांव के राणाकुणाल सिंह ने किंवदंतियों का हवाला देते हुए बताया कि इस क्षेत्र में सूरथ नामक राजा हुआ करते थे। वह अपने पुत्र के कर्मों से सदैव दुखी रहते थे। जिसके समाधान के लिए राजा सुरथ मेघा ऋषि के पास गए। मेघा ऋषि ने राजा को भगवान शिव की तपस्या करने का एक उपाय सुझाया। राजा सुरथ ने वर्षों तक भगवान शिव की तपस्या की। राजा सुरथ की तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शिव ने राजा सुरथ को लिंग के रूप में दर्शन दिये। राजा सुरथ ने प्रकट शिवलिंग को असेगा में स्थानांतरित कर यहीं स्थापित कर दिया और प्रतिदिन इसकी पूजा करने लगे। धीरे-धीरे राजा के सारे दुःख और कष्ट दूर हो गये। इसी कारण से इस शिवलिंग का नाम शोकहरण नाथ पड़ा। बाद में शोकहरण नाथ मंदिर में भक्त बड़ी संख्या में अपने दुखों और कष्टों के निवारण के लिए आने लगे। इस बार सावन के महीने में भक्तों की भीड़ कुछ ज्यादा ही उमड़ रही है।
औरंगजेब ने तलवार से किया था हमला
मध्यकाल में औरंगजेब ने मंदिर का अस्तित्व समाप्त करने का प्रयास किया। उस दौरान औरंगजेब ने इस शिवलिंग पर तलवार से हमला किया था। तलवार से हमला करते ही शिवलिंग से रक्त बहने लगा। जिसे देखकर औरंगजेब के साथ आये उसके सैनिक भी घबराकर भाग गये। आज भी शिवलिंग में दरार दिखाई देती है।