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एमएस धोनी: शून्य से शिखर तक का सफर

A child welcomes Mahendra Singh Dhoni on the occasion of Children's Day

लखनऊ: महेंद्र सिंह धोनी क्रिकेट का वो नाम जिसका डंका विश्व क्रिकेट में एक दशक से ज्यादा समय तक बजा और आज भी उसके कारनामों और रिकॉर्ड्स को याद किया जाता है। फिर चाहे वो भारत को पहला टी20 विश्व कप जिताना हो या 28 साल के सूखे के बाद भारत को विश्व विजेता बनाना हो। ये सारे कीर्तिमान महेंद्र सिंह धोनी की करिश्माई कप्तानी में ही हुए। धोनी वो मैदान पर हमेशा शांत रहते थे, लेकिन उनका दिमाग हमेशा विरोधियों के लिए एक पहेली ही बना रहता था, इसलिए वो ‘कैप्टन कूल’ कहलाते थे। धोनी अभी तक दुनिया के इकलौते ऐसे कप्तान हैं, जिसने आईसीसी की तीनों प्रमुख ट्रॉफी- टी20 वर्ल्ड कप, वनडे वर्ल्ड कप और चैंपियंस ट्रॉफी को अपने नाम किया है। धोनी दुनिया के बेहतरीन कप्तान होने के साथ-साथ वर्ल्ड के बेहतरीन विकेटकीपर भी थे। उनकी गिनती एडम गिलक्रिस्ट और मार्क बाउचर जैसे विकेटकीपरों की श्रेणी में होती है। इसके अलावा धोनी को दुनिया सर्वश्रेष्ठ फिनिशर भी माना जाता है। धोनी ने कई मौकों पर अपने अंदाज में मैच को फिनिश किया है। धोनी का वर्ल्ड कप फाइनल में मारा गया विजयी छक्का हमेशा भारतीय क्रिकेट का यादगार लम्हा रहेगा। जिसने 28 साल बाद भारत को विश्व विजेता बनाया था। 7 जुलाई 2021 को धोनी 40 साल के हो जाएंगे। जानते हैं धोनी के कुछ यादगार कारनामे और कीर्तिमान।

शून्य से की शुरूआत

झारखंड के रांची में जन्में धोनी ने अपने अतंर्राष्ट्रीय करियर की शुरूआत 23 दिसंबर 2004 को बांग्लादेश के खिलाफ की थी। धोनी की शुरूआत किसी बुरे सपने की तरह थी, वो अपने पहले मैच में खाता भी नहीं खोल पाए थे और शून्य पर आउट हो गए थे। लेकिन अपने करियर के 5वें ही मैच में धोनी ने अपने होने का अहसास कराया। पाकिस्तान के खिलाफ तीसरे नंबर पर खेलते हुए उन्होंने 148 रन की धुआंधार पारी खेली। धोनी ने अपने टेस्ट क्रिकेट की शुरुआत श्रीलंका के खिलाफ 2 दिसंबर 2005 में की थी। इस मैच की पहली पारी में वो 11 रन बनाकर चलते बने थे। वहीं, धोनी ने अपना पहली टी-20 इंटरनेशनल मैच 1 दिसंबर 2006 को दक्षिण अफ्रीका के खिलाफ जोहानिसबर्ग में खेला था। इस मैच में धोनी बिना खाता खोले पवेलियन लौटे थे। बाद में धोनी ने इन तीनों ही फॉर्मेट में अपना जलवा बिखेरा।

कप्तानी में जीता पहला टी20 विश्वकप

2007 में आईसीसी ने टी20 विश्वकप का एलान किया। साउथ अफ्रीका में खेले जाने वाले इस पहले टी20 विश्वकप के लिए भारत ने अपने सभी सीनियर खिलाड़ियों को आराम दिया। सभी को चौंकाते हुए बीसीसीआई ने महेंद्र सिंह धोनी को टी20 विश्वकप के लिए टीम का कप्तान बनाया। बीसीसीआई के इस फैसले से सभी हैरान थे। क्योंकि उस टीम में सहवाग, युवराज, हरभजन और गंभीर जैसे धोनी से सीनियर खिलाड़ी भी थे, लेकिन मैनेजमेंट ने धोनी को टीम की कमान सौंपी। टूर्नामेंट के पहले ही मैच चिर प्रतिद्वंदी पाकिस्तान के खिलाफ भारत ने बालआउट के ज़रिए मुकाबला जीता। विश्व कप आगे बढ़ते-बढ़ते धोनी की कप्तानी की तारीफ होने लगी और टीम बेहतर प्रदर्शन करते हुए फाइनल में पहुंच गई, जहां उसका मुकाबला पाकिस्तान से होना था। इस फाइनल मुकाबले में भारत ने पाकिस्तान को पराजित करके पहले टी20 विश्वकप पर कब्जा जमाया। यहीं से शुरू हुआ धोनी की करिश्माई कप्तानी का सिलसिला, जिसने आगे चलकर भारत को विश्व क्रिकेट में हर फॉर्मेट में नंबर वन बनाया। इसके बाद धोनी को 2007 में ही वनडे टीम की भी कमान मिल गई।

पहली बार टेस्ट में बनाया नंबर वन

टी20 और वनडे के बाद धोनी को 2008 में टेस्ट टीम की भी कमान सौंप दी गई। वनडे टी20 की तरह धोनी ने टेस्ट में भी अपनी कप्तानी का जलवा बिखेरा। धोनी ने अपने कुशल नेतृत्व से भारत को पहली बार टेस्ट में आईसीसी रैंकिंग में नंबर 1 की पोजीशन पर पहुंचाया। ये टीम के लिए किसी उपलब्धि से कम नहीं था। इस दौरान धोनी का बल्लेबाजी में भी प्रदर्शन शानदार रहा और वो आईसीसी वनडे बल्लेबाजी रैंकिंग में नंबर 1 पर पहुंचे।

28 साल बाद भारत बना विश्व विजेता

विश्व क्रिकेट में अपनी कप्तानी का डंका बजवाने वाले धोनी की कप्तानी की अब असली परीक्षा होनी थी 2011 के वनडे विश्वकप में। इस बार इस महाकुंभ का आयोजन भारत में ही होना था। ऐसे में सचिन, सहवाग, युवराज, जहीर, हरभजन जैसे दिग्गजों से सजी टीम और धोनी जैसे कैप्टन के होने से भारत को खिताब का प्रबल दावेदार माना जा रहा है। धोनी की कप्तानी में भारत ने टूर्नामेंट की शुरआत बांग्लादेश को हराकर जीत के साथ की। इसके बाद आयरलैंड, इंग्लैण्ड, नीदरलैंड, वेस्टइंडीज को हराकर भारतीय टीम क्वार्टर फाइनल में पहुंची। जहां भारत का मुकाबला ऑस्ट्रेलिया से हुआ और टीम इंडिया ने कंगारुओं को 5 विकेट से हरा दिया। इसके बाद सेमीफाइनल में अपने चिरप्रतिद्वंदी पाकिस्तान को 29 रनों से हराकर फाइनल में एंट्री मारी। फाइनल में भारत के सामने थी श्रीलंका। श्रीलंका ने पहले बल्लेबाजी करते हुए भारत को 275 रनों का लक्ष्य दिया। भारत की शुरूआत अच्छी नहीं रही और उसने 31 रन पर अपने दो बड़े विकेट सचिन-सहवाग को खो दिया। सचिन के आउट होते ही भारत की उम्मीदों को झटका लगा। इसके बाद धोनी और गंभीर ने शानदार साझेदारी की। फिर 48वें ओवर की दूसरी गेंद पर महेंद्र सिंह धोनी ने छक्का जड़ कर 28 साल के सूखे को खत्म करते हुए भारत को विश्व विजेता बनाया। धोनी का वो आखिरी छक्का आज भी लोगों के ज़ेहन में है और शायद हमेशा रहेगा। धोनी ने इस मुकाबले में नाबाद ताबड़तोड़ बल्लेबाजी करते हुए 91 रनों की पारी खेली। उन्हें मैन ऑफ द मैच भी चुना गया। इस जीत के साथ धोनी के नाम वो कीर्तिमान जुड़ गया जो हमेशा-हमेशा के लिए याद रखा जाएगा। इस जीत ने बिना संदेह धोनी को दुनिया का सर्वश्रेष्ठ कप्तान घोषित कर दिया।

चैंपियंस ट्रॉफी जीत कर रचा इतिहास

टी-20 और वनडे विश्व कप जीताने के बाद अब धोनी की निगाहें मिनी वर्ल्ड कप कहे जाने वाले 'चैंपियंस ट्रॉफी' पर थीं। 2013 में धोनी ने इंग्लैंड के खिलाफ फाइनल जीतकर इसे भी भारत के झोली में डाल दिया। चैंपियंस ट्रॉफी 2013 का फाइनल मैच भारत और इंग्लैंड के बीच बर्मिंघम में खेला गया था और बारिश के चलते 20 ओवर का कर दिया गया था। रोमांच की हद तक पहुंचे इस मैच को भारत ने धोनी की कप्तानी के दम पर ही जीता था। चैंपियंस ट्रॉफी को उठाते ही धोनी आईसीसी की तीनों प्रमुख ट्रॉफी- टी20 विश्वकप, वनडे विश्व कप और चैंपिंयंस ट्रॉफी जीतने वाले दुनिया के पहले कप्तान बन गए। इसके अलावा धोनी ने भारत को दो बार एशिया कप में भी विजेता बनाया है। धोनी का ये विश्व रिकॉर्ड आज भी कायम है। कैप्टन कूल अब दुनिया के सबसे बड़े कैप्टन बन गए थे।

टेस्ट से अचानक लिया संन्यास

30 दिसंबर 2014 को धोनी ने सभी को चौंकाते हुए टेस्ट टीम से अचानक संन्यास ले लिया। टीम इंडिया उस समय ऑस्ट्रेलिया दौरे पर थी। दोनों टीमों के बीच चार मैचों की टेस्ट सीरीज का तीसरा टेस्ट मैच मेलबर्न क्रिकेट ग्राउंड में खेला गया था। मैच ड्रॉ पर खत्म हुआ और इस टेस्ट के बाद धोनी ने अचानक टेस्ट क्रिकेट से संन्यास की घोषणा कर दी। उन्हीं की कप्तानी में भारतीय टीम टेस्ट में दुनिया की नंबर एक टीम बनी।

‘कैप्टन कूल’ के युग का अंत

अपनी कप्तानी में कई इतिहास गढ़ने वाले धोनी ने 4 जनवरी 2017 को वनडे और टी-20 से टीम की कप्तानी छोड़ दी। धोनी के इस फैसले से सभी हैरान थे। इस तरह से 'कैप्टन कूल' का गोल्डन एरा भी खत्म हो गया था। उन्होंने कुल 199 वनडे और 72 टी-20 मैचों में कप्तानी की। रिकी पोंटिंग और स्टेफिन फ्लेमिंग के बाद धोनी एकलौते ऐसे खिलाड़ी है, जिन्होंने अपने देश के लिए सबसे ज्यादा वनडे मैचों के लिए कप्तानी की। कप्तानी छोड़ने से पहले धोनी अपनी कप्तानी को विश्व क्रिकेट के इतिहास में स्वर्णिम युग में दर्ज कर चुके थे।

अचानक क्रिकेट को कहा अलविदा

हमेशा अपने फैसलों से सबको हैरान करने वाले कैप्टन कूल धोनी ने एक बार फिर सबको अपने फैसले से हैरान कर दिया। 15 अगस्त, 2020 को पूरा देश अपनी स्वतंत्रता के 74 वर्ष मना रहा था, कि शाम को अचानक खबर आती है कि भारत के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी ने अतंर्राष्ट्रीय क्रिकेट को अलविदा कह दिया। ये खबर आते ही भारतीय क्रिकेट प्रशंसक सदमे थे। किसी को ये उम्मीद नहीं थी कि जिस खिलाड़ी ने देश को कई बार गर्व करने का और जश्न मनाने का मौका दिया, वो बिना किसी यादगार बिदाई क्रिकेट को अलविदा कह गया। 15 अगस्त 2020 को शाम को धोनी ने इंस्टाग्राम पर एक वीडियो पोस्ट करके इस बारे में जानकारी दी। धोनी के अंतर्राष्ट्रीय करियर पर नज़र डालें तो धोनी ने 350 वनडे मैचों में 50.57 की औसत से 10773 रन बनाए, जिसमें 10 शतक और 73 अर्धशतक शामिल हैं। वहीं विकेट के पीछे 444 शिकार किए हैं। धोनी ने 90 टेस्ट मैचों में 38.09 की औसत से 4876 रन बनाए। जिसमें 6 शतक और 33 अर्धशतक व एक दोहरा शतक भी शामिल है। विकेट के पीछे 294 शिकार किए हैं। जबकि 98 टी-20 मैचों में 37.60 की औसत से धोनी ने 1617 रन बनाए, जिसमें 2 अर्धशतक शामिल हैं। विकेट के पीछे 91 शिकार किए हैं। धोनी कप्तान के साथ-साथ एक बेहतरीन फिनिशर और शानदार विकेट कीपर भी थे।

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