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100 से अधिक देश बना रहे डिजिटल मुद्राओं की योजना, समझिए क्या होंगे इसके फायदे

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नई दिल्लीः भारत की ई-रुपये की यात्रा शुरू होने के साथ ही अन्य देशों के केंद्रीय बैंकों ने भी अपनी खुद की डिजिटल मुद्राओं (digital-currency) की योजना बनानी शुरू कर दी है। वे बिटकॉइन की तरह अत्यधिक अस्थिर क्रिप्टोकरेंसी में नहीं फंसना चाहते। भारत सहित 100 से अधिक देश सेंट्रल बैंक डिजिटल मुद्राओं (सीबीडीसी) की खोज या संचालन कर रहे हैं। यह देश की मुद्रा का एक डिजिटल रूप है।

जी 20 के 19 देश सीबीडीसी की खोज कर रहे हैं। इनमें से 16 देश पहले से ही डिजिटल मुद्रा के विकास की प्रक्रिया में हैं। द अटलांटिक काउंसिल के जियोइकॉनॉमिक सेंटर के अनुसार ऐसे देशों में दक्षिण कोरिया, जापान, भारत और रूस शामिल हैं। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन ने इस साल क्रिप्टोकरेंसी को विनियमित करने के लिए एक नया आदेश जारी किया। आदेश में नियामकों को पर्याप्त निगरानी रखने और डिजिटल संपत्ति द्वारा उत्पन्न किसी भी वित्तीय जोखिम के खिलाफ सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए कहा गया।

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आदेश में उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के लिए संभावित यूएस सीबीडीसी के लिए तकनीकी बुनियादी ढांचे और क्षमता की जरूरतों का आकलन करने की बात भी कही गई है। रिजर्व बैंक ऑफ ऑस्ट्रेलिया (आरबीए) ने अगस्त में घोषणा की थी कि उसने डिजिटल मुद्रा (digital-currency) के संभावित उपयोग का पता लगाने के लिए एक परियोजना शुरू की है। आरबीए ने कहा कि वह डिजिटल फाइनेंस कोऑपरेटिव रिसर्च सेंटर (डीएफसीआरसी) के सहयोग से सीबीडीसी का एक साल तक सीमित स्तर का परीक्षण करेगा।

डीएफसीआरसी के सीईओ एंड्रियास फुर्चे ने कहा कि डिजिटल मुद्रा के लिए तकनीक पहले से मौजूद है, यह परियोजना यह समझने के बारे में है कि सीबीडीसी ऑस्ट्रेलिया की मदद कैसे कर सकता है। उन्होंने कहा कि अब विचार इस पर किया जाना चाहिए कि सीबीडीसी किस प्रकार के आर्थिक लाभों को हासिल कर सकता है और उन लाभों को विस्तार कैसे किया जा सकता है।

बैंक ऑफ कोरिया (बीओके) ने इस साल की शुरुआत में घोषणा की थी कि उसने सीबीडीसी की व्यवहार्यता के दो-चरणीय मॉक टेस्ट के अपने पहले चरण को सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। अब वह समीक्षा कर रहा है कि मुद्रा के संभावित नए रूप को पेश किया जाए या नहीं। बीओके ने एक बयान में कहा, हम विभिन्न कार्यों के संचालन की संभावना की जांच करेंगे, जैसे कि ऑफलाइन निपटान, नई तकनीकों का प्रयोग और गोपनीयता सुरक्षा को मजबूत करना आदि।

वैश्विक केंद्रीय बैंक नकदी की मांग में गिरावट और निजी क्षेत्र में क्रिप्टोकरेंसी के उद्भव के लिए डिजिटल मुद्राओं पर अपने शोध को तेज कर रहे हैं। कुछ लैटिन अमेरिकी देशों और अफ्रीकी देशों के केंद्रीय बैंकों ने सीबीडीसी जारी करना शुरू कर दिया है। चीन इस साल सीबीडीसी जारी करने पर जोर दे रहा है। वह संभवत: मुद्रा के नए रूप का उपयोग कर खुद अपनी अर्थव्यवस्था के आकार को बढ़ा रहा है, जबकि अमेरिकी फेडरल रिजर्व ने कथित तौर पर इसके संभावित लाभों की समीक्षा शुरू कर दी है।

केन्या के शीर्ष बैंक ने भी कहा है कि वह देश में सीबीडीसी बनाने की संभावना की जांच कर रहा है। हाल ही में गार्टनर की एक रिपोर्ट के अनुसार 2024 तक वैश्विक स्तर पर बीस प्रतिशत बड़े संगठन भुगतान आदि के लिए डिजिटल मुद्राओं का उपयोग करेंगे। गार्टनर आईटी प्रैक्टिस में विशिष्ट उपाध्यक्ष विश्लेषक अविवाह लिटन ने कहा, पारंपरिक भुगतान प्लेटफार्मों पर क्रिप्टोकरेंसी की स्वीकृति और सीबीडीसी के उदय से आने वाले वर्षों में कई बड़े उद्यमों को डिजिटल मुद्राओं के इस्तेमाल के लिए प्रेरित किया जाएगा।

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