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मोदी का ‘साइलेंट’ वोट बैंक फिर रचेगा इतिहास

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प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में हमारा भारत आज चहुंमुखी विकास की जिन नित नयी ऊँचाइयों को छूता जा रहा है, उसका एक प्रमुख आधार देश की नारी शक्ति का बहुआयामी विकास है। नरेंद्र मोदी के 10 वर्षों में शासनकाल की उपलब्धियों का बारीकी से अवलोकन करने पर स्पष्ट होता है कि उनकी सरकार में राष्ट्र निर्माण की नीतियों में लैंगिक समानता के मुद्दे को सर्वाधिक प्रमुखता दी गयी है। मोदी जी के विगत दो कार्यकालों में जिस तरह से देश की महिलाओं की मूलभूत आवश्यकताओं की पूर्ति प्रभावी नीतियां बनाकर उनका क्रियान्वयन किया गया, नारी उत्थान की विविध योजनाओं को अमलीजामा पहनाया गया तथा सुरक्षा का बेहतर माहौल बनाया गया, उसने भारत की मातृशक्ति को मोदी के सर्वाधिक विश्वसनीय वोटबैंक में रूपांतरित कर दिया। चुनावी पंडित मोदी की जीत का बड़ा फैक्टर इन्हीं साइलेंट वोटरों को मानते हैं। यही नहीं, राष्ट्रीय दर्जा प्राप्त राजनीतिक दलों में, महिला उम्मीदवारों को मैदान में उतारने के मामले में भी भाजपा ने अन्य दलों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है। 2019 में भाजपा द्वारा मैदान में उतारी गयी 55 महिला उम्मीदवारों में से 41 ने जीत हासिल की थी, जबकि मुख्य विपक्षी कांग्रेस ने 2019 में 54 महिलाओं को मैदान में उतारा, लेकिन उनमें से केवल छह ही विजय हासिल कर पायी थीं।

‘मोदी हैं तो मुमकिन है’ के नारे पर अटूट विश्वास

ज्ञात हो कि अब से एक दशक पूर्व समाज में लैंगिक समानता के मोर्चे पर चारों ओर जो निराशा की स्थिति दिखायी देती थी, मोदी की सूक्ष्म दृष्टि ने उस समस्या के मूल को पकड़ा जिस ओर उनके पूर्व किसी राजनेता ने सपने में भी नहीं सोचा था। अब से दस साल पहले का वह परिवेश याद कीजिये कि क्या देश के किसी प्रधानमंत्री ने गणतंत्र दिवस के राष्ट्र के नाम के संबोधन शौचालय का मुद्दा उठाया हो, धुएं वाली रसोई से मुक्ति दिलाने की बात कही हो, महिलाओं के निज के बैंक खाते और मकान के मालिकाना हक की बात उठायी हो, मकान का नाम बालिका के नाम पर रखने की बात कही हो... । विचार करके देखिए कि तीन तलाक जैसे अति संवेदनशील मुद्दे पर कानून बनाकर देश की लाखों मुस्लिम बहनों को मुस्लिम समाज की इस अमानवीय कुरीति से निजात दिलाने का साहस क्या मोदी से पूर्व देश के किसी अन्य प्रधानमंत्री ने किया था !! यही वे मूलभूत कारण हैं जिन्होंने मोदी के प्रति देश की आधी आबादी का मानस बदला और चुनावों में वोट के रूप में उनको देशभर के हर जाति-वर्ग की बहनों-बेटियों का भरपूर आशीर्वाद मिला। आज देश की हर बहन-बेटी के मन में इस बात का गहरा विश्वास है कि मोदी हैं तो मुमकिन है...वे जो वादे करते हैं, वो शत-प्रतिशत पूरे भी करते हैं और यही मोदी की जीत की गारंटी है। विगत दिनों आयोजित 'सशक्त नारी-विकसित भारत' कार्यक्रम में मोदी की यह उद्घोषणा कि उनका तीसरा कार्यकाल देश की महिला शक्ति के उत्थान का एक नया अध्याय लिखेगा, उनके ऊपर देश की माताओं बहनों के अटूट विश्वास को परिलक्षित करती है।

महिलानीत विकास योजनाओं से एनडीए को मिला शुद्ध लैंगिक लाभ




वर्ष 2014 के आम चुनावों में भाजपा के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में नरेंद्र मोदी ने 30 साल बाद पहली बार अपने दम पर ऐतिहासिक जीत हासिलकर दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के समूचे राजनीतिक परिदृश्य को ही बदल दिया। 2014 में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र की सत्ता संभालने के बाद मोदी ने सर्वप्रथम देश की संसद की सीढ़ियों पर दंडवत प्रणाम कर प्राणपण से भारतमाता की सेवा का जो संकल्प लिया था, उसे पूरी ईमानदारी से पूरा किया। 2014 में शपथ लेने के तुरंत बाद, पीएम मोदी ने स्वच्छता को अपनी सरकार की प्राथमिकता बताया था। उन्होंने प्रत्येक घर में शौचालय के लिए एक अभियान चलाया और इसे पर्यावरण को स्वच्छ रखने और बीमारियों को दूर रखने के तरीके के रूप में प्रचारित किया। दूसरी वह योजना जिसने महिला मतदाताओं को बीजेपी से जोड़ा, वह है- एलपीजी योजना।

पीएम मोदी ने रसोई गैस तक पहुंच नहीं रखने वाले परिवारों को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन प्रदान करने वाली उज्ज्वला योजना शुरू की। सरकारी आंकड़ों के मुताबिक उज्ज्वला योजना के तहत आज देशभर में गरीब परिवारों को 10 करोड़ से अधिक एलपीजी कनेक्शन वितरित किये जा चुके हैं। काबिलेगौर हो कि अपने पांच साल के कार्यकाल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक मजबूत प्रशासक के तौर पर अपनी पहचान बनायी। मेक-इन-इंडिया और स्‍वच्‍छ भारत जैसे अभियानों ने पीएम मोदी को आम लोगों के बीच स्‍थापित करने का काम किया। मजबूत विदेश नीति मोदी सरकार की एक बड़ी उपलब्‍ध‍ि के तौर पर देखी जाती है। भले ही विपक्ष ने आर्थिक, रोजगार, कृषि, लिंचिंग जैसे मसलों पर मोदी सरकार को घेरने की भरपूर कोशिश की, लेकिन यह यह मुद्दे जनता के बीच कोई तूफान खड़ा नहीं कर पाये। जबकि बीजेपी राष्‍ट्रीय सुरक्षा और राष्‍ट्रवाद के साथ नारी शक्ति, युवा शक्ति, किसान और गरीब के उत्थान को मुद्दा बनाने में कामयाब रही। इन्हीं नीतियों के बल पर उन्हें 2019 के लोकसभा चुनाव में 2014 के मुकाबले बड़े जनादेश के साथ पूर्ण बहुमत हासिल हुआ। इसी क्रम में यदि वर्ष 2022 में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब,

गोवा और मणिपुर में पंजाब को छोड़कर बाकी के चार राज्यों में बीजेपी को भारी सफलता मिली थी और वर्ष 2023 के देश के पांच राज्यों मध्‍यप्रदेश, हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के चुनावों में भी तीन राज्यों- मध्‍यप्रदेश, राजस्थान व छत्तीसगढ़ में भाजपा को बंपर जीत मिली थी। चुनावी जानकारों के मुताबिक उत्तर प्रदेश, बिहार, मध्य प्रदेश, राजस्थान, हरियाणा और उत्तराखंड में भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए को शुद्ध लैंगिक लाभ मिला था।

अपने वोट की ताकत को पहचान चुकी है भारतीय नारी

इस जनादेश ने परम्परागत राजनीति की तमाम बनी-बनायी धारणाओं को ध्वस्त कर देश की राजनीति में दूरगामी परिवर्तन का स्पष्ट जनादेश दे दिया है। मोदी के चेहरे पर लड़ी गयी विधानसभा चुनावों की इस जंग के नतीजों ने साफ कर दिया है कि अब देश में राजनीति का पैमाना पूरी तौर पर बदल चुका है। सोशल मीडिया के वर्तमान दौर में देश का मतदाता पूरी तरह जागरूक है और अपना नेता चुनने को लेकर उसके मन में कोई भी दुविधा व असमंजस नहीं है।

हाल के विधानसभा चुनाव के नतीजों ने पूरी साफगोई से यह तथ्य स्थापित कर दिया है कि देश का वोटर अब राजनीति की घिसी पिटी धारणाओं पर यकीन करने और सियासत की बनी बनायी लीक पर चलने के बजाय अपने हितों को विश्वसनीयता के तराजू पर तोल कर देश की उन्नति और विकास की राजनीति करने वाले दल पर यकीन करता है। इस बदलाव ने उन राजनीतिक दलों को आइना दिखा दिया है, जो दशकों से जाति और धर्म के नाम पर देश व समाज को बांटने की राजनीति करते आ रहे हैं। इक्कीसवीं सदी के सशक्त व जागरूक भारत की नारी शक्ति अब अपने एक एक वोट की ताकत भलीभांति पहचान चुकी है। यही वजह है कि जब-जब देश की आधी आबादी ने एकजुट होकर मतदान किया, तब-तब सत्ता में एक बड़ा परिवर्तन देखने को मिला।

मोदी के करिश्माई और बेदाग व्यक्तित्व का आकर्षण

10 सालों में बीजेपी कैसे देखते ही देखते भारत की महिलाओं की पहली पसंद बन गयी; इस बारे में अशोका विश्वविद्यालय में मीडिया स्टडीज की प्रमुख माया मीरचंदानी कहती हैं, ‘’इसकी वजह हैं मोदी। वे बेहद करिश्माई व्यक्तित्व के स्वामी होने के साथ सार्वजनिक रूप से बेदाग भी हैं और उन्होंने समाज में 'बदलाव के उत्प्रेरक' की अनूठी पहचान बनायी है। आजादी के बाद से मोदी सरकार में महिला सशक्तीकरण को लेकर जितने कदम उठाए हैं, उतने पहले कभी नहीं उठाये गये। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार महिलाओं को ‘सुविधा, सुरक्षा, सम्मान’ प्रदान करने के लिए लगातार तत्पर है। गैस कनेक्शन के लिए उज्ज्वला, महिला शौचालयों के लिए स्वच्छता और घरों में नल के पानी के लिए जल-जीवन जैसी योजनाओं ने न केवल महिलाओं के जीवन को सरल बनाया है, बल्कि उन्हें आत्मसम्मान के साथ आत्मविश्वास भी दिया है। मिशन शक्ति में महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तीकरण के लिए दो उप-योजनाएं ‘संबल’ और ‘समर्थ’ शामिल हैं। महिला सशक्तीकरण महिलाओं के आर्थिक सशक्तीकरण पर निर्भर है।

मोदी के भारत में आधी आबादी की ऊँची उड़ान



पीएम मोदी के आधुनिक भारत में महिलाओं के आर्थिक सशक्तिकरण का विश्लेषण करने पर एक महत्वपूर्ण सूत्र के रूप में सामने आता है, जो उनकी प्रगति और बदलाव के ताने-बाने में बुना हुआ है। एक दौर था जब समाज में किसी महिला की आर्थिक स्वतंत्रता एक दूर का सपना था, किन्तु प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में भारत ने एक आदर्श बदलाव देखा है। आज देश की महिलाएं न सिर्फ बराबर भागीदार हैं, बल्कि आर्थिक विकास की अग्रदूत भी हैं, जो आत्मविश्वास के साथ अपने भाग्य का निर्माण कर अपने समुदायों की समृद्धि में भी योगदान दे रही हैं। यह मोदी का भारत है। इस भारत की नारी शक्ति ने साबित कर दिखाया है कि जब उन्हें सही अवसर मिलते हैं, तो वे न केवल अपनी क्षमता तक पहुंच सकती हैं, बल्कि समुदाय और देश के विकास में भी योगदान देकर उन्हें नई ऊंचाइयों पर ले जा सकती हैं।

प्रधानमंत्री ग्रामीण डिजिटल साक्षरता अभियान के तहत अब तक प्रशिक्षित लोगों में से 53% से अधिक महिलाएं हैं। वित्त वर्ष 2023 में ई-संजीवनी के 57% से अधिक लाभार्थी और महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना में 56% से अधिक प्रतिभागी महिलाएं थीं। दीनदयाल अंत्योदय योजना राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के तहत आज देश भर में लगभग 82.6 लाख महिला स्वयं सहायता समूह हैं। अभी हाल ही में महिलाओं के नेतृत्व वाले स्वयं सहायता समूहों की 15,000 महिला किसानों को ड्रोन प्रदान किया जाना एक ऐतिहासिक घटना है। 2015 से 2022 तक 59 लाख से अधिक महिलाओं को प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत प्रशिक्षित किया गया है और 12.51 लाख महिलाओं को रोजगार प्रदान किया गया है। ई-श्रम पोर्टल पर 2.67 करोड़ घरेलू महिला श्रमिकों ने अपना पंजीकरण कराया है। यह सामाजिक बदलाव की एक सकारात्मक दिशा को इंगित करता है।

दुनिया की सबसे बड़ी वित्तीय समावेशन पहलों में से एक पीएम-जन धन योजना के 2014 में लॉन्च होने के बाद से 8 नवंबर, 2023 तक 50 करोड़ से अधिक जन-धन खाते खोले जा चुके हैं। इनमें से लगभग 56% खाताधारक महिलाएं हैं। भारत के 47% से अधिक स्टार्टअप में कम से कम एक महिला निदेशक है। दूरदर्शी ‘स्टार्टअप इंडिया’ योजना के तहत, महिला उद्यमी केवल लाभार्थी नहीं हैं, वे भविष्य की निर्माता हैं। 2015 में शुरू की गई पीएम-मुद्रा योजना एक गेम-चेंजर रही है तथा इसके लाभार्थियों में से 70% महिलाएं हैं। ‘उद्यम सखी’ पोर्टल के माध्यम से 2023 तक महिलाओं के स्वामित्व वाले 06 लाख सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों की स्थापना महिला उद्यमिता में एक आदर्श बदलाव को दर्शाता है। पीएम सेवानिधि योजना, स्ट्रीट वेंडर्स को उनके कारोबार की सहायता करने और प्रोत्साहन प्रदान करने के लिए गारंटी मुक्त वर्किंग कैपिटल लोन की सुविधा प्रदान करने के लिए है। इस योजना के तहत कवर किए गए स्ट्रीट वेंडर्स में 43% महिलाएं हैं। इस प्रकार, पीएम मोदी के भारत में, स्टार्टअप की मुखिया से लेकर सड़क पर सामान बेचने वालों तक सभी महिलाएं आर्थिक रूप से सुरक्षित महसूस करती हैं। मुद्रा योजना कार्यक्रम के अंतर्गत 27 करोड़ से अधिक महिलाओं को 68% ऋण प्रदान किये गये हैं। इसने देश भर में करोड़ों महिलाओं को उद्यमी बनाकर वित्तीय रूप से स्वतंत्र होने में सक्षम किया है। देश में 3.18 करोड़ सुकन्या समृद्धि योजना खाते खोले गये हैं।

जीवन के अनुभवों से निकली हैं मोदी की योजनाएं

महिलाओं के अधिकार के लिए काम करने वाली अदिति अनंत नारायण का कहना है कि केंद्र की मोदी सरकार का मुख्य फोकस महिलाओं के विकास को बढ़ावा देकर उन्हें समाज में सामान अधिकार देने का है। महिला आरक्षण बिल का पास होना भारतीय राजनीति में मील का पत्थर साबित होने वाला है। इसी तरह मोदी सरकार ने जिस तरीके से महिलाओं के शिक्षा पर फोकस किया है, उससे महिलाओं के जीवन स्तर में खासा सुधार आया है। उन्होंने महिलाओं को लेकर बनायी योजनाओं का नाम भी ऐसा रखा, जो सीधे महिलाओं के दिल को छूता है जैसे ‘बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ’ और ‘उज्ज्वला’। मुस्लिम महिलाओं को लेकर तीन तलाक को कानूनी रूप से खत्म करना उनका ऐसा क्रांतिकारी कदम है जिसने मुस्लिम महिलाओं को मोदी का मुरीद बना दिया है। दरअसल मोदी की ये योजनाएं उनकी संवेदनाओं और जमीन से जुड़े जीवन के अनुभवों से निकली हैं। बचपन में जो अपने घर में देखा, अपने आस-पास, पड़ोस में देखा, फिर देश के गांव-गांव में अनेक परिवारों के साथ रहकर के अनुभव किया, वह सब मोदी की इन योजनाओं में साफ झलकता है। इसलिए ये योजनाएं देश की माताओं-बहनों-बेटियों के जीवन को आसान बनाती हैं, उनकी मुश्किलें कम करती हैं। सिर्फ अपने परिवार के लिए सोचने वाले, परिवारवादी नेताओं को यह बात समझ नहीं आ सकती।

2024 में भी मोदी फैक्टर के चमत्कार की उम्मीद

जानना दिलचस्प हो कि भारतीय चुनाव आयोग (ईसीआई) के आंकड़ों के मुताबिक स्वतंत्र भारत के 70 वर्षों में पहली बार 2019 के लोकसभा चुनावों में पुरुषों की तुलना में महिलाओं ने अधिक मतदान किया था। हर्ष का विषय है कि वर्ष 2024 में भारत की अगली सरकार चुनने के लिए वोट डालने वाले कुल भारतीयों में 47.1 करोड़ महिलाएं हैं। बताते चलें कि इस बार के चुनावों के लिए पंजीकृत महिला मतदाताओं की संख्या में 2019 के लोकसभा चुनावों की तुलना में लगभग चार करोड़ की वृद्धि दर्ज की गयी है। इस बार पहली बार मताधिकार का प्रयोग करने वाली महिला मतदाताओं की संख्या लगभग 1.41 करोड़ है जो उनके समकक्ष नये नामांकित पुरुष वोटरों से 1.22 करोड़ से अधिक है। देश के जाने माने राजनीतिक विचारक नलिन मेहता के अनुसार 2019 में जब मोदी ने अपना दूसरा कार्यकाल जीता था तो उस आम चुनाव में महिलाओं ने भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) के पक्ष में पुरुषों की तुलना में अधिक मतदान किया था और 2024 के आम चुनाव में भी इस मोदी फैक्टर के चमत्कार की पूरी सम्भावना है।

मोदी सरकार की महिला उत्थान की प्रमुख योजनाएं

1. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना।

2. सुकन्या समृद्धि योजना।

3. महिलाओं को 33 फीसदी आरक्षण।

4. महिला सम्मान बचत पत्र योजना के जरिए 2 लाख रुपये तक निवेश पर 7.5 फीसदी ब्याज मिलना।

5. ग्रामीण महिलाओं के लिए महिला शक्ति केंद्र स्कीम।

6. मैटरनिटी लीव 12 की जगह 26 हफ्ते करना।

7. प्रधानमंत्री मातृ वंदन योजना के तहत गर्भवती महिलाओं और स्तनपान कराने वाली माताओं को बच्चे के जन्म पर 5000 रुपये देना।

8. मुस्लिम महिलाओं के लिए तीन तलाक पर कानून ।

9. प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना के तहत मुफ्त एलपीजी कलनेक्शन और सिलिंडर देना।

10. महिला ई-हाट स्कीम शुरू करना।

11. महिलाओं के लिए कई स्टार्टअप शुरू करना।

12. महिला पोषण अभियान शुरू करना।

13. महिला हेल्पलाइन योजना।

14. सुरक्षित मातृत्व आश्वासन सुमन योजना।

15. फ्री सिलाई मशीन योजना के तहत हर राज्य में सालाना 50 हजार से अधिक सिलाई मशीन मुफ्त देना।

16. आयुष्मान योजना के तहत 5 लाख रुपये तक मुफ्त इलाज।

17. वर्किंग वुमेन हॉस्टल योजना।

18. वन स्टॉप सेंटर स्कीम, जिसके तहत हिंसा से पीड़ित महिलाओं को सभी तरह की मदद एक ही छत के नीचे मिलना।

19. बेटियां स्कूल न छोड़े, इसके लिए करोड़ों विद्यालयों में शौचालय बनाने की योजना।

20. हर घर पाइप से पानी देने का अभियान।

21. सौभाग्य योजना के तहत मुफ्त बिजली कनेक्शन योजना।

22. पीएम आवास योजना के तहत बेटियों को संयुक्त भागीदारी का हक देना।

23. महिलाओं को बैंक से बिना गारंटी वाली मुद्रा योजना की शुरुआत।

24. इस साल लाल किले से 02 करोड़ लखपति दीदी बनाने की योजना की शुरुआत।

25. सेना में महिलाओं को परमानेंट कमीशन देने की योजना।

 पूनम नेगी