नई दिल्लीः देश के मुख्य चुनाव आयुक्त (CEC) की नियुक्ति प्रक्रिया में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस (CJI) की भूमिका खत्म किए जाने को लेकर मोदी सरकार ने गुरुवार को राज्यसभा में एक विधेयक पेश किया है। इसके विरोध में विपक्षी सांसदों ने जबरदस्त नारेबाजी की। इस बीच अखिल भारतीय गठबंधन से जुड़े ज्यादातर विपक्षी सांसद स्पीकर की सीट के पास वेल में पहुंच गए। इस दौरान कुछ सांसदों ने सदन की कार्यवाही की नियम पुस्तिका दिखाते हुए सभापति की सीट तक जान की कोशिश की।
हालांकि, इन सांसदों को रोकने के लिए तुरंत गार्ड तैनात कर दिए गए ताकि विरोध करने वाले सांसद स्पीकर की सीट तक न पहुंच सकें। राज्यसभा में इस जबरदस्त हंगामे के बाद सदन की कार्यवाही शुक्रवार तक के लिए स्थगित कर दी गई। इसी साल मार्च 2023 में सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने अपने फैसले में कहा कि चुनाव आयुक्तों का चयन राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री, विपक्ष के नेता और मुख्यमंत्री के पैनल की सलाह पर किया जाएगा। भारत के न्यायधीश।
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वहीं, केंद्र सरकार ऐसा कानून बनाने के लिए यह बिल लेकर आई है, जिसमें चुनाव आयुक्तों (CEC ) की नियुक्ति प्रक्रिया में मुख्य न्यायाधीश की कोई भूमिका नहीं होगी। राज्यसभा में लाए गए इस विधेयक के मुताबिक, चुनाव आयुक्तों की नियुक्ति प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री की समिति की सिफारिश के आधार पर की जाएगी।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट की एक खंडपीठ ने देश के मुख्य चुनाव आयुक्त की नियुक्ति में मुख्य न्यायाधीश की भूमिका तय की थी। विधेयक में प्रस्ताव है कि चुनाव आयुक्त की नियुक्ति राष्ट्रपति द्वारा प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता और प्रधानमंत्री द्वारा नामित एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री की समिति की सिफारिश पर की जाएगी।
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