छत्तीसगढ़

मानसिक स्वास्थ्य कार्यशाला में बंदियों को दिये तनाव दूर करने के टिप्स

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रायपुर: नारायणपुर के उपजेल एड़का में सोमवार को मानसिक स्वास्थ्य (mental health) कार्यक्रम के अंतर्गत बंदियों के सकारात्मकता परिवर्तन एवं मानसिक स्वास्थ्य (mental health) जागरुकता एवं तनाव प्रबंधन पर कार्यशाला आयोजित की गई। कार्यशाला में क्लिनिकल साइकोलॉजिस्ट प्रीति चांडक ने जेल बन्दियों को सम्बोधित करते हुए बताया कि बीते हुए कल को नहीं बदल सकते, लेकिन अपनी सोच में सकारात्मक परिवर्तन लाकर आने वाला कल को बेहतर जरूर बनाया जा सकता है। क्योंकि जो शेष है, वही विशेष है, इस मूल मंत्र के साथ बंदियों की सोच में सकारात्मकता लाने का प्रयास किया जा रहा है।

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प्रीति चांडक ने जेल बन्दियों को सम्बोधित करते हुए बताया कि प्रत्येक व्यक्ति के जीवन का ध्येय होना चाहिए कि उसका मस्तिष्क भी शरीर के अन्य हिस्से की तरह संतुलित एवं स्वस्थ बना रहे। स्वयं को हार, डर और बुराई की प्रवृत्ति से हटाकर उपलब्धि, जीत और अच्छाई की दिशा में ले जाए। मस्तिष्क स्वस्थ और शांत होता है तो जीवन अर्थपूर्ण और लक्ष्य को समर्पित होता है। अन्यथा उसमें खालीपन भर जाता है, अनेक घातक बीमारियों को पनपने का कारण बनता है। कहा भी गया है कि खाली दिमाग शैतान का घर होता है। यह खालीपन बहुत बार मानसिक ही नहीं बल्कि शारीरिक बीमारियों का कारण भी बनता है। मस्तिष्क की अस्वस्थता से शरीर ही नहीं, आत्मा भी बीमार हो जाती है।

उन्होंने तनाव प्रबंधन प्रशिक्षण में बंदियों में होने वाले तनाव के विभिन्न कारक जैसे घर-परिवार से दूर रहना, अपने द्वारा किए गए कृत्य को लेकर आत्मग्लानि महसूस करना, जेल का परिवेश, अपनों की चिंता, सजामुक्त होने के बाद भविष्य को लेकर चिंता इत्यादि पर चर्चा करते हुए विभिन्न प्रकार के उपायों समस्या के समाधान, असर्टिंवनेस का तरीका, वेंटीलेशन का तरीका, संगीत चिकित्सा इत्यादि पर चर्चा की गई।

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