नई दिल्ली: विदेश मंत्रालय ने कहा है कि भारत-रूस द्विपक्षीय व्यापार को आगे बढ़ाने के लिए नियमित रूप से विचार-विमर्श करते रहे हैं और रूस की ओर से कुछ वस्तुओं के आयात की मांग नई बात नहीं है।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने गुरुवार को साप्ताहिक पत्रकार वार्ता में कहा कि रूस को निश्चित वस्तुएं भेजे जाने के सम्बंध में कोई समझौता नहीं हुआ है। लेकिन द्विपक्षीय व्यापार बढ़ाने के लिए कोशिश होती रहती हैं।
उल्लेखनीय है कि मीडिया में इस आशय के समाचार प्रकाशित हुए थे कि अमेरिका और पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का सामना करने के लिए रूस भारत की ओर रुख कर रहा है। रिपोर्टों में यह भी कहा गया है कि रूस ने कारों, वायुयानों और ट्रेनों के उपकरणों सहित पांच सौ वस्तुओं की एक सूची भारत को सौंपी है। सूची में आयात वस्तुओं का भारत से आयात करने का अनुरोध किया है। यह स्पष्ट नहीं की रूस ने भारत को यह सूची कब भेजी थी। वैसे विदेश मंत्री एस जयशंकर के नेतृत्व में विभिन्न मंत्रालयों का एक प्रतिनिधिमंडल इस महीने के शुरू में मास्को गया था। वहां व्यापार और प्रौद्योगिकी सम्बंधी द्विपक्षीय आयोग की बैठक हुई थी।
यूक्रेन संघर्ष शुरू होने के बाद से भारत ने रूस से बड़ी मात्रा में रियायती कच्चे तेल की आपूर्ति की है। साथ ही रूस से उर्वरक और इस्पात के आयात में भी बढ़ोत्तरी हुई है। इस अनुपात में रूस को भारत का निर्यात नहीं बढ़ा है। परिणामस्वरूप व्यापार असंतुलन की स्थिति बनी है।
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