Maratha Reservation: महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर जारी आंदोलन तेजी से उग्र और जानलेवा रूप लेता जा रहा है। ऐसे में वर्तमान के हालात पर नजर डालें तो बीते करीब दो सप्ताह में आंदोलन का समर्थन कर रहे कुल 25 लोगों ने आत्महत्या कर ली है। बेहद सामान्य स्तर पर शुरु हुए इस आंदोलन की हिंसक आग अब राज्य के करीब आठ जिलों में फैल चुकी है, जिसमें मुख्यतः छत्रपति संभाजी नगर, जालना, बीड, धाराशिव, लातूर, परभणी, हिंगोली और नांदेड़ शामिल है। लगातार सामने आ रहे आत्महत्या के आंकड़ों भी प्रशासन के लिए चिंता का विषय बनते जा रहे हैं।
दरअसल बीते दिनों बीड में आंदोलन के चलते घटित हिंसक वारदात के बाद आज मुंबई के कोलाबा इलाके में विधायकों के सरकारी आवास के सामने कुछ अज्ञात लोगों ने महाराष्ट्र के चिकित्सा शिक्षा मंत्री हसन मुश्रिफ के काफिले पर हमला करते हुए भारी तोड़फोड़ की है। प्रशासन और राज्य सरकार के लिए कानून एवं व्यवस्था को सुचारु रूप से संचालित करना दिन-ब-दिन एक चुनौती बनता जा रहा है।
ये भी पढ़ें..Israel-Hamas War: इजराइली ने गाजा के सबसे बड़े रिफ्यूजी कैंप पर किया हमला, 50 हमास लड़ाकों की मौत
बीते 40 साल से मांग जारी
बता दें कि पिछले 40 साल से महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग जारी है। साल 2018 में तत्कालीन राज्य सरकार ने अन्य पिछड़ा वर्ग की तर्ज पर 16 फीसदी मराठा आरक्षण को स्वीकृति दी थी। हालांकि, इस दौरान मराठाओं को ओबीसी की तर्ज पर आरक्षण देने से एक समस्या यह खड़ी हो गई कि इससे राज्य में कुल आरक्षण की 50 फीसदी सीमा पार हो गई, जिसके बाद आरक्षण को गलत बताते हुए सर्वोच्च न्यायालय ने मराठा आरक्षण को रद्द कर दिया।
आरक्षण रद्द होने के बाद अब मराठा नेताओं द्वारा उनको ‘कुनबी’ जाति के प्रमाणपत्र प्रदान किए जाने की मांग की जा रही है, जो कि महाराष्ट्र में खेती-किसानी से जुड़ा एक अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी समुदाय है। जैसा कि यह ‘कुनबी’ समुदाय ओबीसी श्रेणी में आता है और इसी के चलते इन्हें सरकारी नौकरियों व अन्य में आरक्षण का लाभ भी मिलता है।
बता दें कि, राज्य की मौजूदा शिंदे सरकार ने मराठा समुदाय के कुछ लोगों को कुनबी प्रमाणपत्र प्रदान करने का फैसला किया था। ऐसे में फैसले के तहत मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे कैबिनेट द्वारा गठित पैनल ने दो माह की समयावधि मांगी थी, जो कि 24 अक्टूबर को पूरी हो गई है और अब यह अवधि पूरी होने के साथ आंदोलन की उग्रता और हिंसा की तीव्रता भी तेजी से बढ़ती जा रही है।
ओबीसी समुदाय ने जाहिर की चिंता
इस दौरान राज्य में ओबीसी समुदाय भी अपनी मांगों को रखते हुए कह रहा है कि वह किसी भी हालत में अपने हकों के साथ समझौता नहीं होने देंगे। हालांकि, ऐसे में उनका यह भी कहना है वह बिल्कुल भी मराठा आंदोलन या मराठा आरक्षण की मांग के विरोध में नहीं हैं, लेकिन इसके चलते उनके अधिकारों या हक का हनन नहीं होना चाहिए।
सर्वदलीय बैठक जारी
मराठा आरक्षण की मांग को लेकर जारी आंदोलन के मद्देनजर राज्य के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे आज एक सर्वदलीय बैठक की अध्यक्षता कर रहे हैं, जिसमें शिवसेना (यूबीटी) की ओर से सेनेता अंबादास दानवे और चीफ व्हिप सुनील प्रभु, राकांपा से शरद पवार सहित कांग्रेस व अन्य पार्टियों के नेता भी शामिल हुए हैं। हालांकि, इस बीच शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने कहा है कि उनकी पार्टी को इस बैठक के लिए आमंत्रित नहीं किया गया है। ऐसे में संजय राउत के बयान में सियासी सरगर्मी को नई हवा दे दी है।
4 विधायकों ने दिया पद से इस्तीफा
बीते दिन मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की अध्यक्षता में संपन्न हुई कैबिनेट बैठक में मनोज जारांगे पाटिल की सभी मराठाओं को आरक्षण देने की मांग को सिरे से खारिज कर दिया गया है, जिससे आंदोलनकर्ता भड़के हुए नजर आ रहे हैं। इस दौरान जारी आंदोलन के पक्ष में आते हुए और मराठा आरक्षण को अपना समर्थन देते हुए राज्य से 02 सांसदों और कुल 04 विधायकों ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)