मालेः मालदीव को भारत से मिले हेलीकॉप्टर की उड़ान को लेकर संकट का सामना करना पड़ा है। इसकी वजह मालदीव में काबिल पायलटों की कमी है। बता दें कि हाल ही में भारत 76 रक्षा कर्मियों की आखिरी खेप लेकर मालदीव से रवाना हुई है। रक्षा मंत्री घासन मौमून ने इसकी पुष्टि की है।
भारत ने दान में दिए थे हेलीकॉप्टर
घासन मौमून ने शनिवार को यहां राष्ट्रपति कार्यालय में आयोजित एक संवाददाता सम्मेलन में यह टिप्पणी की। उन्होंने यह टिप्पणी मालदीव में दो हेलीकॉप्टर और एक डोर्नियर विमान के संचालन के लिए तैनात भारतीय सैनिकों की वापसी और उनके स्थान पर भारतीय नागरिकों के आगमन से संबंधित सवाल पर की। घासन ने कहा कि मालदीव राष्ट्रीय रक्षा बल (एमएनडीएफ) के पास भारतीय सेना द्वारा दान किए गए तीन विमानों को संचालित करने के लिए कोई मालदीव सैन्यकर्मी नहीं है। हालाँकि, कुछ सैनिकों को पिछली सरकारों के साथ समझौते के तहत उड़ान प्रशिक्षण दिया गया था। दोनों देशों के बीच संबंध तब गंभीर तनाव में आ गए जब चीन समर्थक नेता माने जाने वाले मुइज्जू ने मालदीव में तीन विमानन प्लेटफार्मों का संचालन करने वाले सभी भारतीय सैन्य कर्मियों को 10 मई तक वापस भेजने पर जोर दिया। भारत पहले ही 76 सैन्यकर्मियों को वापस बुला चुका है।
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अब बढ़ रही समस्या
भारतीय सैन्य कर्मियों का पहला बैच मार्च की शुरुआत में मालदीव से वापस ले लिया गया था, इसके बाद अप्रैल में दूसरा बैच वापस लाया गया, जिसमें कुल 51 सैनिक शामिल थे। मीडिया के मुताबिक, मालदीव से सभी भारतीय सैन्यकर्मी वापस चले गए हैं लेकिन सैनिकों की अंतिम संख्या की जानकारी नहीं दी गई है। राष्ट्रपति कार्यालय की मुख्य प्रवक्ता हिना वलीद ने कहा कि मालदीव में तैनात भारतीय सैनिकों के आखिरी जत्थे को वापस भेज दिया गया है।
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