लखनऊः राजधानी लखनऊ में वर्ष 2021 नगर निगम के लिए काफी प्रगतिशील रहा। इस साल निगम की ओर से लिए गए निर्णयों की सराहना खुद देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की। नगर निगम का लखनऊ के पार्कां को सजाने का काम रहा हो या फिर स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए किए गए प्रयासए इन सब ने देश में शहर की छवि को निखारा है। यूपी के नगर विकास मंत्री और महापौर ने भी इसमें काफी मदद दी। जो काम बीते महीनों किए गएए उनका रिजल्ट भी मिलने लगा है। नगर निगम ने डोर.टू.डोर कूड़ा कलेक्शन और ईकोग्रीन के लिए भी उल्लेखनीय काम किए हैं।
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हाल ही में कूड़ा उठाने वाली कई गाड़ियां भी जोन को दी गई हैं। इसके अलावा वार्डों के नाम बदलने व अमृत योजना के तहत सीवर सिस्टम के लिए नए प्रयास किए गए हैं। इनकी प्रशंसा भी की जा रही है। नगर निगम के सफाई कर्मचारी घरों से कूड़ा उठाएंगे और यूजर चार्ज भी वसूलेंगेए जैसी योजना भी लागू कर दी है। इसकी शुरुआत राजाराम मोहन राय वार्ड और कन्हैया माधवपुर वार्ड से की जा रही है। शहर में निजी कंपनी ईकोग्रीन एनर्जी डोर.टू.डोर कूड़ा कलेक्शन करती हैं। अगस्त और सितंबर में डेढ़ करोड़ रुपये से अधिक के यूजर चार्ज का गबन करने का मामला सामने आने के बाद इसमें व्याप्त भ्रष्टाचार को दूर करने की दिशा में काम शुरू कर दिए गए हैं।
रैंकिंग में अव्वल रहा निगम
लखनऊ नगर निगम को लगातार दूसरे साल भी ईनाम मिला। 20 नवंबर को स्वच्छ सर्वेक्षण 2021 की रैंकिंग जारी होने के बाद राजधानी के लोगों के लिए खुशशबरी आई। रैंकिंग में लखनऊ नगर निगम को अव्वल स्थान मिला और नगर आयुक्त और मेयर को इसके लिए दिल्ली के विज्ञान भवन में बुलाया गया था। 2021 के स्वच्छता सर्वेक्षण के लिए लखनऊ ने देश के 4ए320 शहरों के बीच जबरदस्त मौजूदगी दर्ज करा दी। 2020 में शहर को 12वीं रैंकए 2019 में 121वींए 2018 में 115वीं और 2017 में 269वीं रैंक प्राप्त हुई थी।
स्वच्छता के लिए उल्लेखनीय कार्य
लखनऊ नगर निगम ने शहर में सफाई व्यवस्था में काफी बदलाव किया है। जिन दिनों शहर में सफाई व्यवस्था के लिए मिशन बनाकर काम किया जा रहा थाए उससे 6 माह पहले से ही निगम ने 10ए000 स्थलों व खाली प्लाटों को कूड़े से मुक्त कराने की ठान ली थी। खुले में कूड़ा घर होने की तमाम शिकायतें की जा रही थींए जिनमें 120 कूड़ा घरों को समाप्त किया गया है। ये सभी खुले में थे। नगर निगम के महापौर अजय द्विवेदी ने आत्मनिर्भर बनाने के लिए नगर निगम को तमाम तरह के आधुनिक कूड़ा उठाने के उपकरण और वाहन खरीदे हैं। यह सभी जोन में हाल ही में भेज दी गई हैं। वायु प्रदूषण रोकने के लिए पानी के बौछार सड़क और किनारों पर लगे पेड़ों पर किया जा रहा है। इन कई वाहनों को खुद आयुक्त ने डेवलप कराया है।
योगेश प्रवीन की लियाकत को दिया सम्मान
योगेश प्रवीन शहर की तमाम बड़ी शख्सीयतों में रहे। वह लखनऊ प्रशासन की ओर से आयोजित किए गए पूर्व के लखनऊ महोत्सव में बड़ी जिम्मेदारी संभालते थे। साहित्यकारों में अपनी सज्जनता के लिए प्रवीन को तमाम बड़े मंच दिए जाते थे। उनके निधन के बाद योगेश की पहचान बनाए रखने के लिए मौलवीगंज वार्ड के रकाबगंज चौराहे का नाम उनके नाम पर और उनकी स्मृति में एक द्वार का निर्माण भी किया जा रहा है। शहर के लोग इसकी काफी मांग कर रहे थे। लखनऊ नगर निगम के सदन में इसकी मांग भी सदस्यों ने कई बार उठाई थी।
बेहतर तालमेल पर मिलीं सौगातें
गोमती नगर के विभूतिखंड समेत अन्य पुरानी योजनाओं की कई सुविधाओं को शर्तों के साथ नगर निगम ने लिया था। कुछ सुविधाएं अभी एलडीए के ही पास हैं। पूरी तरह सुविधाएं हस्तांतरित न होने से अक्सर सीवर से लेकर सफाईए सड़कए स्ट्रीट लाइट और पानी की सप्लाई को लेकर जिम्मेदार महकमे पल्ला झाड़ लेते हैं। इनके बीच इन योजनाओं में रहने वाले आवंटी पिसते हैं।
विकास का खुला रास्ता
तमाम प्रयासों के बाद साल 2021 में लखनऊ को विकास योजनाओं की बड़ी सौंगातें मिलीं हैं। इसमें ज्यादा बधाई के पात्र देश के रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रहे। वह दिन विकास के लिए समर्पित रहाए जिस दिन ज्योतिबा फुले पार्क में 1ए710 करोड़ की विभिन्न विकास योजनाओं का लोकार्पण और शिलान्यास किया गया था। आउटर रिंग रोड के किसान पथ को लेकर लोग दिल्ली तक के चक्कर लगा रहे थे। इसी साल लखनऊ विकास प्राधिकरण और नगर निगम के साथ स्वास्थ्य विभाग का तालमेल भी देखा गया। राजनाथ सिंह ने तमाम योजनाओं का लोकार्पण एक ही मंच से किया था। नगर निगमए अमृत योजना और स्मार्ट सिटी योजना के तहत करीब 352 करोड़ रुपये की परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण इसी वर्ष किया गया।
घंटाघर पार्क को मिला जीवन
पुराने लखनऊ में हुसैनाबाद क्षेत्र में समुचित विकास के लिए घंटाघर पार्क के तालाब की रौनकता आखिर मिल ही गई। कभी इस क्षेत्र में घूमने के लिए लोग दूर.दूर से आते थे। यहीं गर्मी की छुट्टी बिताने के लिए बच्चे बड़े उत्साहित रहते थे। यह ऐसा क्षेत्र हैए जहां पर नींबू पार्कए हाथी पार्कए बुद्ध पार्क के अलावा कई और बड़े पार्क हैं। इसलिए सरकारी स्तर पर भी प्रयास चल रहे थे कि हुसैनाबाद की रौनकता बहाल की जाए। इसमें सबसे खास स्थान घंटाघर ही है। इसलिए यहां म्यूजिकल फांउटेन के निर्माण में नगर निगम ने अन्य विभागों के साथ जो कदम से कदम मिलाया हैए उससे क्षेत्र गुलजार हो गया। इसमें 6ण्20 करोड़ रूपये खर्च किए गए। ऑडियो.वीडियो साउंड शोए आउटडोर प्रोजेक्टर सिस्टम आदि चालू हो गए हैं।
झीलों पर महापौर ने दौड़ाई नजर
लखनऊ की विभिन्न झीलों पर कब्जेदारों ने अपने पंजे बैठा लिए हैं। इसलिए महापौर संयुक्ता भाटिया ने इनको कब्जा मुक्त कराने का ऐलान किया। इसके अलावा ऐशबाग योजना की यमुना झीलए शारदा नगर योजना में रक्षा खंड उदयन की दो झील व काला पहाड़ झील को पुनर्जीवित करने पर 12ण्558 करोड़ का खर्च आया। वहीं बसंत कुंज योजना में राष्ट्रीय प्रेरणा स्थल व पीएम आवास योजना में नगर निगम का बड़ा योगदान रहा है।
कम हो रहा एलडीए का हस्तक्षेप
लखनऊ विकास प्राधिकरण का कई स्थानों पर हस्तक्षेप रहा है। इसमें गोमती नगर विस्तारए जानकीपुरम विस्तार समेत कई योजनाएं संचालित करने में बाधा पहुंच रही थी। इसलिए एक बैठक के बाद तय किया गया कि नगर निगम.जलकल को सूची बनाकर कई योजनाएं जो एलडीए देख रहा हैए उनको विधिवत संचालित करने के लिए अपने पास रखेगा। जानकीपुरम योजना के सेक्टर.जेए जानकीपुरम विस्तार योजना के सेक्टर.1 से 11 तक की सुविधाएं नगर निगम और जलकल को दी गई हैं।
पार्कों का हुआ जीर्णोंद्धार
लखनऊ शहर में एक सौ.दो सौ नहीं बल्कि दो हजार पार्क हैं। इनमें एक हजार पार्कों पर नगर निगम एवं लखनऊ विकास प्राधिकरण सौन्दर्यीकरण का कार्य कर रहा है। 750 नगर निगम और 250 लखनऊ विकास प्राधिकरण के पास हैं। यह पार्क विभागों के लिए परेशानी बने हुए हैं। इसके बाद भी नगर निगम ने आधे से अधिक पार्कां को सजाने में सफल रहा है। शहर के कई पार्कां को नगर निगम के प्रयासों के बाद संवारने में सफलता मिली है। स्वयं नगर विकास मंत्री आशुतोष टंडन और महापौर संयुक्ता भाटिया ने कई पार्कों का उद्घाटन करते हुए कहा था कि शहर को विश्व पटल पर स्थापित करने के लिए पार्कां को सजाना जरूरी है।
गोमतीनगर में कई पार्कों में ओपेन जिम और म्यूजिक सिस्टम भी लगाए गए हैं। डॉण् राम मनोहर लोहिया पार्क में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए। वार्ड में पार्कों में झूला लगाए गए। हरियाली के लिए विशेष प्रयास चल रहे हैं। गोमती नगर विस्तार के काफी पार्क उजड़े हुए थेए इनमें पेड़ पौधे व हरियाली नहीं थी। पांच करोड़ रूपये खर्च कर इनको आकर्षक बनाने में कामयाबी मिल सकी है। इसके अलावा कुकरैल नदी को प्रदेश सरकार ने पुनर्जीवित करने के लिए 75 करोड़ रूपये स्वीकृत किए थेए इसमें तमाम जगह का गंदा पानी आता था। इसे रोकने के लिए नालों के डायवर्जन के लिए टेंडर पहली बार खोले गए हैं।
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