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लोकसभा चुनावः 2019 में 181 वोटों से जीते थे बीपी सरोज, एक-एक वोट पर टिकी थी नजर

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लखनऊः बड़े चुनावों में आम तौर पर वोट की ताकत को कम करके आंका जाता है। अक्सर लोगों को ये कहते हुए सुना जा सकता है कि एक वोट से क्या होगा। लेकिन इतिहास को खंगालने पर पता चलता है कि एक वोट की ताकत क्या होती है। उत्तर प्रदेश में दो चरण के चुनाव में कम मतदान ने राजनीतिक दलों की चिंता बढ़ा दी है। ऐसे में हर वोट जरूरी हो जाता है। गौरतलब है कि साल 2019 में मछलीशहर सीट पर बीजेपी प्रत्याशी ने महज 181 वोटों से जीत हासिल की थी।

बीपी (BJP) सरोज 181 वोटों से जीते

17वीं लोकसभा के लिए 2019 में हुए आम चुनाव में मछलीशहर (एससी) सीट से बीजेपी उम्मीदवार बीपी सरोज ने महज 181 वोटों के अंतर से जीत हासिल की। पूर्वांचल की इस अहम सीट पर आखिरी वक्त तक मुकाबला दिलचस्प बना रहा। स्थिति ऐसी थी कि हर राउंड के बाद उलटफेर होता रहा। बीपी सरोज को जहां 488,397 (47.17 फीसदी) वोट मिले थे, वहीं बीएसपी के त्रिभुवन राम 488,216 (47.15 फीसदी) वोटों के साथ दूसरे स्थान पर रहे थे। जबकि 2009 में चंदौली सीट पर सपा प्रत्याशी रामकिशुन यादव ने 459 वोटों से जीत हासिल की थी।

जब 77 और 105 वोटों के अंतर से जीत हासिल हुई

1980 के आम चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी रामायण राय ने पूर्वांचल की अहम मानी जाने वाली देवरिया संसदीय सीट से अपने निकटतम प्रतिद्वंदी से महज 77 वोटों के अंतर से चुनाव जीता था। 1999 के लोकसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रत्याशी प्यारे लाल शंखवार ने प्रदेश ही नहीं बल्कि देश की सबसे छोटी जीत दर्ज की थी। घाटमपुर (सुरक्षित) सीट से बसपा प्रत्याशी महज 105 वोटों के मामूली अंतर से संसद की दहलीज पार करने में सफल रहे। 1991 के आम चुनाव में जनता दल (जेडी) के उम्मीदवार राम अवध ने अकबरपुर (सुरक्षित) सीट केवल 156 वोटों के अंतर से जीती थी। 1980 में जनता पार्टी सेक्युलर के उम्मीदवार अज़ीज़ुल्लाह जौनपुर से 2763 वोटों से जीते, 1984 में आज़मगढ़ से कांग्रेस उम्मीदवार डॉ. संतोष सिंह 2786 वोटों से जीते और 1967 में ग़ाज़ीपुर से सीपीआई उम्मीदवार सरजू पांडे 3240 वोटों के अंतर से जीते।

2019 चुनाव में कांटे की टक्कर वाली सीटें

मुजफ्फरनगर सीट से मौजूदा सांसद और भाजपा उम्मीदवार संजीव कुमार बालियान ने गठबंधन उम्मीदवार राष्ट्रीय लोकदल प्रमुख चौधरी अजित सिंह को 6526 वोटों से हराया। मेरठ से भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र अग्रवाल ने गठबंधन प्रत्याशी बसपा के हाजी याकूब कुरेशी को 4729 वोटों से हराया। श्रावस्ती सीट से गठबंधन प्रत्याशी बसपा के राम शिरोमणि ने अपने निकटतम प्रतिद्वंदी भाजपा प्रत्याशी दद्दन मिश्र को कड़े मुकाबले में 5320 मतों से हराया।

अगर मतदाता जागरूक हों तो जीत का बड़ा अंतर

दूसरी ओर, जब मतदाता जागरूक तरीके से मतदान करते हैं, तो जीत का बड़ा अंतर भी देखा जाता है। 2019 के चुनाव में गाजियाबाद से बीजेपी प्रत्याशी वीके सिंह ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी गठबंधन प्रत्याशी सपा के सुरेश बंसल को 5 लाख 1 हजार 500 वोटों से हराया। फ़तेहपुर सीकरी सीट से बीजेपी उम्मीदवार राजकुमार चाहर ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी उत्तर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष राज बब्बर को 4 लाख 95 हजार 65 वोटों के भारी अंतर से हराया। -उन्नाव से बीजेपी प्रत्याशी साक्षी महाराज ने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी गठबंधन प्रत्याशी सपा के अरुण शंकर शुक्ला को 4 लाख 956 वोटों से हराया। वहीं वाराणसी सीट से बीजेपी उम्मीदवार प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपनी निकटतम प्रतिद्वंद्वी सपा की शालिनी यादव को 4 लाख 79 हजार 505 वोटों के भारी अंतर से हराया।

पहले दो चरणों में पिछले चुनाव की तुलना में कम मतदान

19 अप्रैल को पहले चरण में राज्य में कुल 61.11 फीसदी वोटिंग हुई थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में इन आठ सीटों पर 66.41 फीसदी वोटिंग हुई थी। पिछले चुनाव की तुलना में पहले चरण में इन सीटों पर करीब 5.39 फीसदी कम वोट पड़े।

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राज्य की 8 सीटों के लिए दूसरे चरण का मतदान 26 अप्रैल को हुआ। इस दौरान मतदान प्रतिशत 55.39 रहा। पिछले आम चुनाव में इन सीटों पर 62.18 फीसदी वोट पड़े थे। इसके मुताबिक, 2024 के चुनाव के दूसरे चरण में पिछले चुनाव की तुलना में 6.79 फीसदी कम वोटिंग हुई है।

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