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Bihar Politics: जमुई में इस बार NDA का 'चिराग' जलाए रखना बड़ी चुनौती, जानें कहां फंस रहा पेंच

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Lok Sabha Election 2024, जमुईः लोकसभा चुनाव को लेकर सभी पार्टियां अपने-अपने समीकरण बनाने में जुटी हुई हैं। बिहार की बात करें तो जमुई लोकसभा क्षेत्र (सुरक्षित) से चिराग पासवान (Chirag Paswan) ने पिछले दो चुनावों में NDA का 'चिराग' जलाए रखा है, लेकिन इस लोकसभा चुनाव में एलजेपी (रामविलास) और राष्ट्रीय जनता दल (RJD) शामिल हैं। विपक्षी दलों के महागठबंधन का। माना जा रहा है कि इनके बीच कड़ी टक्कर देखने को मिलेगी।

जमुई में चिराग पासवान की प्रतिष्ठा दांव पर

नक्सल प्रभावित जमुई सीट का महत्व बिहार की सामान्य लोकसभा सीटों की तरह ही रहा है, लेकिन इस चुनाव में एलजेपी संस्थापक राम विलास पासवान के बेटे और निवर्तमान सांसद चिराग पासवान की प्रतिष्ठा दांव पर है। इस चुनाव में एलजेपी प्रमुख चिराग ने अपने बहनोई अरुण भारती को मैदान में उतारा है। उनका मुख्य मुकाबला महागठबंधन से राजद प्रत्याशी अर्चना रविदास से माना जा रहा है।

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पिछले चुनाव के बाद एलजेपी दो गुटों में बंट गयी थी। इसमें से एलजेपी (रामविलास) का नेतृत्व चिराग कर रहे हैं। बॉलीवुड से राजनीति में आए चिराग 2014 के लोकसभा चुनाव में राजद के सुधांशु शेखर को हराकर पहली बार लोकसभा पहुंचे। इसके बाद 2019 में चिराग ने आरएलएसपी उम्मीदवार भूदेव चौधरी को हराया। 2009 के लोकसभा चुनाव में एनडीए प्रत्याशी भूदेव चौधरी ने राजद प्रत्याशी श्याम रजक को 29,747 वोटों से हराया था। इस तरह तीन चुनावों से इस सीट पर एनडीए का कब्जा रहा है। लेकिन इस बार चुनाव में बिहार में सियासी समीकरण बदल गए हैं।

जातीय समीकरण चुनाव परिणाम को करेंगे प्रभावित 

पिछले चुनाव में जहां उपेन्द्र कुशवाह की पार्टी आरएलएसपी महागठबंधन में थी, वहीं अब कुशवाह की पार्टी राष्ट्रीय लोक मोर्चा एनडीए के साथ है। जमुई क्षेत्र के महत्व का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बिहार में अपने चुनाव अभियान की शुरुआत यहीं से की है। तारापुर, शेखपुरा, सिकंदरा, जमुई, झाझा और चकाई जैसे छह विधानसभा क्षेत्रों वाले इस लोकसभा क्षेत्र में मतदाताओं की कुल संख्या लगभग 17 लाख है। बिहार के अन्य लोकसभा क्षेत्रों की तरह इस सीट पर भी चुनाव नतीजे जातीय समीकरण से प्रभावित रहे हैं।

हालांकि, एलजेपी इस परंपरा को नजरअंदाज करती है। एलजेपी (रा) प्रत्याशी अरुण भारती कहते हैं, मुझे सभी जातियों का समर्थन मिल रहा है। हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा पिछले 10 वर्षों में किए गए कार्यों को लेकर मतदाताओं के बीच जा रहे हैं और लोग उनका समर्थन भी कर रहे हैं।

मतदाताओं को आकर्षित करने में जुटे प्रत्याशी 

80 फीसदी से ज्यादा लोगों की खेती पर आधारित यह संसदीय क्षेत्र भले ही अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित है, लेकिन सभी उम्मीदवारों की नजर ऊंची जाति के मतदाताओं को आकर्षित करने पर है। जंगलों, पहाड़ों और नदियों से घिरा जमुई संसदीय क्षेत्र कई क्षेत्रीय समस्याओं से जूझता है। यह क्षेत्र कई वर्षों से नक्सल प्रभावित रहा है। विकास की दौड़ में पिछड़ने का मुख्य कारण इस इलाके में लंबे समय से नक्सलियों की पैठ मानी जा रही है। हालांकि, पिछले कुछ सालों में नक्सली गतिविधियों में कमी आई है। इस क्षेत्र में 19 अप्रैल को पहले चरण के तहत मतदान होना है।

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