लखनऊ: पूर्वांचल की अहम संसदीय सीट वाराणसी से अब तक कोई भी महिला उम्मीदवार जीत दर्ज नहीं कर सकी है। यहां से कुल 8 महिला उम्मीदवारों ने चुनाव लड़ा था, लेकिन इनमें से कोई भी जीत का खाता नहीं खोल सकी। वाराणसी लोकसभा क्षेत्र के मतदाताओं ने किसी भी महिला उम्मीदवार को सांसद नहीं चुना है।
दूसरी ओर, इस बार किसी भी राजनीतिक दल ने चुनाव में महिलाओं पर दांव नहीं लगाया है। इस लोकसभा क्षेत्र के अस्तित्व में आने के बाद से अब तक कुल 17 चुनाव हो चुके हैं। इनमें से पांच चुनावों में महिला उम्मीदवारों ने किस्मत आजमाई, लेकिन किसी भी चुनाव में उन्हें सफलता नहीं मिली।
1996 में चुनाव लड़ी थीं महिला उम्मीदवार
1996 में पहली बार वाराणसी सीट से तीन महिलाओं ने चुनाव लड़ा था। इनमें मुस्तरी, कृष्णा निगम और मदीना बेगम शामिल थीं। लोकसभा चुनाव में मुस्तरी को 1962, कृष्णा को 1294 और मदीना को 664 वोट मिले थे।
इसके बाद 1998 और 1999 के चुनाव को छोड़कर सभी चुनावों में महिलाओं ने चुनाव लड़ा। इस लोकसभा क्षेत्र में पहला चुनाव 1952 में हुआ था, जिसमें पांच पुरुष उम्मीदवार मैदान में थे। 1952 से 1991 तक हुए 10 आम चुनावों में किसी भी महिला ने चुनावी जंग में किस्मत नहीं आजमाई।
2004 और 2009 में एक-एक महिला उम्मीदवार
2004 में हुए 14वें लोकसभा चुनाव में वाराणसी में 18 उम्मीदवार चुनावी मैदान में उतरे थे। इनमें से एक अंजना प्रकाश भी थीं। समाजवादी पार्टी के टिकट पर चुनाव लड़ने वाली अंजना प्रकाश को 59104 वोट मिले थे। वे पांचवें स्थान पर रहीं। 2009 के चुनाव में राष्ट्रीय अग्रणी दल की उषा सिंह ने किस्मत आजमाई। उषा को 721 वोट मिले।
पिछले दो चुनावों की स्थिति
2014 के आम चुनाव में वाराणसी से 42 उम्मीदवारों ने किस्मत आजमाई। इसमें अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस की इंदिरा तिवारी भी शामिल थीं। इंदिरा को 2674 वोट मिले थे। 2019 में वाराणसी सीट से दो महिलाओं ने चुनाव लड़ा था। इनमें शालिनी यादव और हेमा शाहिद शामिल थीं। लोकसभा चुनाव में सपा प्रत्याशी शालिनी यादव को 195,159 और हेमा को 1914 वोट मिले थे। यह चुनाव भाजपा प्रत्याशी पीएम नरेंद्र मोदी ने जीता था।
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शालिनी को मिले थे सबसे ज्यादा वोट
वाराणसी लोकसभा सीट के इतिहास में सबसे ज्यादा वोट पाने वाली महिलाओं में शालिनी यादव पहले नंबर पर हैं। उन्होंने साल 2019 में समाजवादी पार्टी के टिकट पर यहां से चुनाव लड़ा था। उन्हें एक लाख 95 हजार 159 वोट मिले थे। इसके साथ ही वह दूसरे नंबर पर रही थीं। उस साल भाजपा प्रत्याशी पीएम नरेंद्र मोदी सांसद चुने गए थे।
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