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Lawrence Bishnoi: लॉरेंस बिश्नोई गिरोह के दो गुर्गों के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस हुआ जारी

Gujarat ATS to question gangster Lawrence Bishnoi in connection with drugs smuggling from Pakistan
Lawrence Bishnoi Gang Lawrence Bishnoi Gang: देश में कई बड़ी वारदातों को अंजाम देने वाले लॉरेंस बिश्नोई गैंग के खिलाफ शिकंजा कसता जा रहा है। इस बीच इंटरपोल ने कुख्यात लॉरेंस बिश्नोई गिरोह से जुड़े दो गैंगस्टर्स कपिल सांगवान उर्फ ​​नंदू और विक्रमजीत सिंह के खिलाफ दो रेड नोटिस जारी किया हैं। राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) के सूत्रों की मान तो ये गैंगस्टर विदेश भाग गए हैं और वहीं से लॉरेंस बिश्नोई गिरोह (Lawrence Bishnoi Gang) का संचालन कर रहे हैं।

विदेश में छिपे बैठे गै दोनों गैंगस्टर्स

दरअसल संदेह है कि विक्रमजीत सिंह, जिसे विक्रम बराड के नाम से भी जाना जाता है, दुबई में छिपा बैठा है जबकि कपिल सांगवान के ब्रिटेन में छिपे होने की आशंका है। सांगवान कई आपराधिक मामलों और प्रतिद्वंद्वी समूहों के बीच हुए गैंगवारों के सिलसिले में दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल के रडार पर भी है। एनआईए ने हाल ही में अलग-अलग मामलों में दोनों अपराधियों से संबंधित कई ठिकानों पर छापेमारी की। गैंगस्टरों ने दूसरे गिरोहों के साथ मिलकर 'महागठबंधन' भी बनाया था। गैंगस्टरों के महागठबंधन में ग्रुप ए नीरज बवाना का था। ये भी पढ़ें..सीधी पेशाब कांड़ः CM शिवराज सिंह चौहान ने पीड़ित के धोए पैर, टीका लगाकर किया सम्मान सूत्र ने कहा, "नीरज बवाना के महागठबंधन में सुवेघ सिंह उर्फ ​​सिब्बू, शुभम बालियान, राकेश उर्फ ​​राका, इरफान उर्फ ​​छेनू, रवि गंगवाल, रोहित चौधरी, दविंदर बंबीहा और सौरभ उर्फ ​​गौरव गैंग शामिल हैं।" लॉरेंस बिश्नोई (Lawrence Bishnoi Gang) के गठबंधन (टीम बी) में कपिल सांगवान उर्फ ​​नंदू, रोहित मोई, दीपक बॉक्सर, प्रिंस तेवतिया, राजेश बवानिया, अशोक प्रधान और संदीप उर्फ ​​काला जटेहरी शामिल थे। सूत्रों ने बताया कि गैंगस्टरों के इन दोनों महागठबंधनों ने कई राज्यों में तबाही मचा रखी है और गैंगवार भी कर रहे हैं।

क्यों जारी होता है रेड कॉर्नर नोटिस

बता दें कि रेड कॉर्नर नोटिस उन भगोड़ों के लिए जारी किया जाता है जो या तो मुकदमा चलाने या सजा काटने के लिए वांछित हैं।इंटरपोल के अनुसार, रेड नोटिस दुनिया भर में कानून प्रवर्तन से प्रत्यर्पण, आत्मसमर्पण या इसी तरह की कानूनी कार्रवाई के लिए लंबित किसी व्यक्ति का पता लगाने और अस्थायी रूप से गिरफ्तार करने का अनुरोध है। यह अनुरोध करने वाले देश में न्यायिक अधिकारियों द्वारा जारी गिरफ्तारी वारंट या अदालती आदेश पर आधारित है। किसी व्यक्ति को अरेस्ट करना है या नहीं, यह तय करने में सदस्य राज्य अपने स्वयं के कानून लागू करते हैं। (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)