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जानिए क्या होती है 'डूब' सिगरेट, जिसे दीपिका करती हैं इस्तेमाल

Deepika Padukone during launch the calendar of  Mumbai Moments 2020

मुंबई: अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले की जांच में ड्रग एंगल सामने आने के बाद अब तक कई बॉलीवुड सितारों के नाम सामने आए हैं। इनसे में मशहूर अभिनेत्री दीपिका पादुकोण भी शामिल हो गई हैं। मुंबई में बॉलीवुड हस्तियों से चल रही नारकोटिक्‍स कंट्रोल ब्‍यूरो की पूछताछ में कई नए खुलासे हुए हैं।

एनसीबी अधिकारियों द्वारा की गई पूछताछ में एक्‍ट्रेस दीपिका पादुकोण ने अपनी वायरल हुई ड्रग चैट की बात तो कबूल कर ली, लेकिन ड्रग्स लेने की बात से तो साफ इनकार कर दिया। वहीं एनसीबी के सूत्रों के हवाले से दावा किया जा रहा है कि दीपिका ने खास तरह की सिगरेट पीने की बात स्वीकार की, जिसे 'डूब' कहते हैं। तो अब सवाल ये है कि आखिर ये डूब सिगरेट होती क्‍या होती है? क्‍या इसमें किसी तरह की ड्रग्‍स का इस्‍तेमाल होता है और एनडीपीएस एक्‍ट इसके बारे में क्‍या कहता है? मिली जानकारी के मुताबिक, आइए आपको इसके बारे में बताते हैं...

दिल्‍ली पुलिस की नारकोटिक्‍स ब्रांच में तैनात रहे एक अधिकारी ने बताया क‍ि डूब दरअसल एक हैंड रोल्‍ड सिगरेट है, यानि बाजार में मिलने वाले सिगरेट के पेपर को खुद रोल करके तैयार करना और फ‍िर उसे पीना। नशा करने के लिए इसका इस्‍तेमाल बड़ी तादाद में किया जाता है। यह नशा किसी भी तरह का हो सकता है, चाहे उसमें तंबाकू रोल कर लिया जाए या गांजा या फ‍िर कोकीन।

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रिपोर्ट के मुताबिक, दीपिका ने एनसीबी अधिकारियों को पूछताछ में बताया कि उनका पूरा ग्रुप डूब का इस्तेमाल करता है, जो एक खास तरह की सिगरेट है। वहीं जब उनसे पूछा गया कि क्या डूब में ड्रग्स होती है तो इन सवालों पर उन्होंने चुप्पी भी साध ली। इस पर अधिकारी ने बताया, डूब में ज्‍यादातर कोकीन भी पी जाती है। जो कोकीन के सबसे ज्‍यादा एडिक्‍ट होते हैं, वे इसका इस्‍तेमाल बड़ी संख्‍या में करते हैं। उनका कहना है कि डूब का इस्‍तेमाल केवल पार्टिज में ही नहीं, बल्कि आमतौर पर स्‍मोकिंग में भी किया जाता है।

क्या है ड्रग को लेकर कानून और क्या होती है सजा ?

नारकोटिक ड्रग्‍स एंड साइकोट्रॉपिक पदार्थ अधिनियम 1985, जिसे आम भाषा में एनडीपीएस एक्ट के नाम से जानते हैं, के तहत कोई व्यक्ति इसके प्रावधानों और नियमों के खिलाफ जाकर किसी ड्रग्स को बनाता है, रखता है, इंटरस्टेट इम्पोर्ट-एक्सपोर्ट करता है, ट्रांसपोर्ट करता है या खरीदता है व एक्ट में दिए गए प्रावधानों का उल्‍लंघन करता है तो ऐसे में एक्ट के अंतर्गत प्रतिबंधित ड्रग की SMALL QUANTITY होने पर आरोपी  को 6 महीने और दस हज़ार तक जुर्माना, कमर्शियल क्वांटिटी से कम लेकिन स्‍मॉल क्वांटिटी से अधिक होने पर 10 साल तक और एक लाख तक जुर्माना और कमर्शियल क्वांटिटी होने पर कम से कम 10 साल पर अधिकतम 20 साल सजा और दो लाख तक जुर्माना हो सकता है।

नारकोटिक्स ड्रग्स एंड साइकोट्रॉपिक पदार्थ अधिनियम 1985 के प्रावधानों के तहत नारकोटिक ड्रग या साइकोट्रॉपिक पदार्थ का सेवन करने वालों को भी एक साल तक की सजा का प्रावधान है और जो लोग ऐसी एक्टिविटीज को वित्‍तीय या प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष रूप से बढ़ावा देते है तो ऐसे लोगों को एक्‍ट के सेक्‍शन 27(A) के तहत भी कम से कम 10 साल और अधिकतम 20 साल सजा और दो लाख तक जुर्माना हो सकता है। इसके इलावा गंभीर अपराध होने के चलते इस एक्ट के तहत आने वाले क्राइम में सजा पाए अपराधियों को राज्य सरकारों द्वारा किसी तरह की सजा में छूट देने का कोई प्रावधान नहीं है।

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इस केस में अपराध साबित होने पर सेक्‍शन 27 लागू होता है, जिसके तहत आरोपियों द्वारा बताई गई ड्रग्‍स अगर एनडीपीएस एक्‍ट में दिए गए शेडयूल में अगर प्रतिबंधित श्रेणी में आती हैं या सरकार के ऑफिशियल गजट में दी गई प्रतिबंधित दवाओं की श्रेणी में आती हैं तो इनका सेवन करने वालों को अलग अलग प्रावधानों के तहत 6 महीने या एक साल तक की सजा हो सकती है।