वाराणसीः काशी-तमिल संगमम-2 (Kashi-Tamil Sangamam 2) में शनिवार शाम सांस्कृतिक कार्यक्रमों में कजरी, लोकनृत्य तमिल मेहमानों को खूब पसंद आया। वाराणसी की स्मृति साही और उनकी टीम ने 'कैसे खेले जइबू सावन में कजरिया',सैंया मिले लरकईयां मैं का करूं, बदरिया घेरे आयी ननदी, आदि गानों पर जोरदार डांस कर माहौल बना दिया। युवाओं की टोली भी गाने पर जोरदार प्रस्तुति दी। भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र प्रयागराज एवं दक्षिण क्षेत्र सांस्कृतिक केंद्र तंजावुर के संयुक्त बैनर तले नमोघाट पर आयोजित कार्यक्रम में कुल नौ प्रस्तुतियां हुईं।
ट्रांसजेंडर कलाकारों के साथ किया अद्भुत नृत्य
पहली प्रस्तुति वाद्य लोक आधारित जनजातीय नृत्य कनियाकुथु की थी। तमिलनाडु के तिरुनिवेली से आए एस. थंगराज और टीम ने साथी ट्रांसजेंडर कलाकारों के साथ संगीत वाद्ययंत्रों पर साड़ी में अद्भुत नृत्य किया। दूसरी प्रस्तुति आर गीता की क्लिकुम्मी कुट्टम की थी। खेतों को सूखे से बचाने के लिए बारिश कराने की यह विशेष संगीतमय विधि नमो घाट पर जीवंत हो उठी। महिलाओं ने कोंडवा आदि-कोंडवा आदि गाते हुए डांडिया नृत्य किया। इस दौरान लाइव सिंगिंग भी चल रही थी।
तीसरी प्रस्तुति में काशी के अंशुमान महाराज व अन्य कलाकारों के वाद्ययंत्रों का जिक्र किया गया। इस दौरान उन्होंने वाद्य यंत्रों के साथ राग बागेश्वरी की धुन बजाई। चौथी प्रस्तुति में वाराणसी के भजन गायक डॉ. विजय कपूर व उनकी टीम ने दमदार प्रस्तुति दी। नमो घाट पर 'ऊंचा है धरम-दीन तरह के तमाम गीत गाकर महफिल सजाई गई। इसे देखने के लिए नमो घाट पर लोगों की भारी भीड़ जुट गई।
पांचवीं प्रस्तुति तमिलनाडु के कलाकारों के नाम रही। नृत्यांगना और कोरियोग्राफर गुरु अरुणा सुब्रमण्यम और उनके शिष्यों की भरतनाट्यम की प्रस्तुति भी जोरदार रही। उन्होंने पुष्पांजलि, भगवान गणेश की प्रार्थना, लिंगाष्टकम, शिवरंजिनी, मोहनानंदम ओडु आदि विभिन्न भरतनाट्यम नृत्य प्रस्तुत किए। छठी प्रस्तुति यूपी के कलाकारों के नाम थी। शास्त्रीय नृत्य के बाद कजरी लोक नृत्य ने तमिल प्रतिनिधियों का मन मोह लिया। इस तरह एक से बढ़ कर कई प्रस्तुति उनकी टीम द्वारा दी गई जो मनमोहक थी।
अन्नपूर्णा दरबार में नृत्य के माध्यम से माता रानी की आराधना
काशी तमिल संगमम-2 में हिस्सा लेने आईं तमिल युवतियों ने नृत्य प्रस्तुत कर मां अन्नपूर्णा के दरबार में अपनी हाजिरी लगाई। शनिवार को मंदिर में दोपहर की भोग आरती के बाद 120 युवाओं ने नृत्य प्रस्तुत किया। महंत शंकरपुरी ने आये हुए सभी प्रतिनिधियों एवं कलाकारों को प्रसाद एवं अंगवस्त्र भेंट किये।
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