कानपुरः कानपुर मेट्रो रेल परियोजना के अंतर्गत थर्ड रेल डीसी ट्रैक्शन सिस्टम से मेट्रो ट्रेनों का परिचालन होगा। देश में पहली बार कानपुर मेट्रो में थर्ड रेल डीसी सिस्टम के साथ एक खास तरह का इन्वर्टर लगाया जाएगा, जो ट्रेन में लगने वाले ब्रेक्स से पैदा होने वाली ऊर्जा को वापस सिस्टम में इस्तेमाल के योग्य बनाएगा। कानपुर मेट्रो ट्रेनों की ऊर्जा दक्षता लगभग 40 से 45 प्रतिशत होगी, यानी प्रत्येक 1000 यूनिट ऊर्जा के व्यय पर 400-450 यूनिट तक ऊर्जा को संरक्षित कर पुनः मेट्रो सिस्टम में इस्तेमाल कर लिया जाएगा। अभी तक देश में थर्ड रेल डीसी सिस्टम से परिचालित किसी भी मेट्रो परियोजना में ऐसी व्यवस्था नहीं है।
देश में कहीं भी डीसी ऊर्जा का पुनः सिस्टम में नहीं हो पाता उपयोग
बता दें कि, देश में थर्ड रेल डीसी सिस्टम से परिचालित बेंगलुरु, कोच्चि, अहमदाबाद, कोलकाता और गुड़गांव रैपिड मेट्रो परियोजनाओं में ट्रेन की ब्रेकिंग से पैदा होने वाली डायरेक्ट करंट (डीसी) ऊर्जा को पुनः सिस्टम में इस्तेमाल करने के लिए कोई भी व्यवस्था नहीं है। सिस्टम की कमी के चलते इस ऊर्जा का कोई भी इस्तेमाल नहीं हो पाता। ऐसा इसलिए क्योंकि थर्ड रेल सिस्टम में ट्रेन की ब्रेकिंग से जो ऊर्जा पैदा होती है, वह डीसी फॉर्म में होती है। जबकि बाकी मेट्रो तंत्र ऑल्टरनेटिंग करंट (एसी) करंट पर चलता है।
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कानपुर मेट्रो में डीसी ऊर्जा को प्रयोग करने के लिए खास इन्वर्टर किया तैयार
उत्तर प्रदेश मेट्रो रेल कॉर्पोरेशन लि. (यूपीएमआरसी) के इंजीनियरों ने इस कमी को दूर करते हुए थर्ड रेल डीसी ट्रैक्शन सिस्टम के लिए उपरोक्त खास इन्वर्टर की व्यवस्था की है, जो ट्रेन की ब्रेकिंग से पैदा होने वाले 750 वोल्ट डीसी करंट को 33 केवी एसी करंट में परिवर्तित कर पुनः सिस्टम में इस्तेमाल के लिए उपयुक्त बना देगा। इस संबंध में बात करते हुए यूपीएमआरसी के प्रबंध निदेशक कुमार केशव ने कहा, “हम हमेशा से ही ‘क्लीन मेट्रो, ग्रीन मेट्रो’ की मुहिम के तहत काम करते आए हैं और ऊर्जा संरक्षण के लिए हमने कई इनोवेशन किए हैं। लखनऊ समेत देश में एसी करंट के साथ परिचालित मेट्रो परियोजनाओं में ‘रीजेनरेटिव ब्रेकिंग’ की तकनीक से ऊर्जा संरक्षण की व्यवस्था मौजूद है, लेकिन किसी भी थर्ड रेल सिस्टम से परिचालित मेट्रो रेल परियोजना में ऐसी व्यवस्था नहीं है। इस इनोवेशन की मदद से कानपुर मेट्रो ऊर्जा संरक्षण के संदर्भ में देश की अन्य सभी थर्ड रेल सिस्टम से परिचालित मेट्रो परियोजनाओं के लिए एक मिसाल बनेगी।”
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