नई दिल्लीः भारत के पूर्व राष्ट्रपति और महान वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की जयंती पर आज पूरा देश उन्हें याद कर रहा है। महान वैज्ञानिक डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम को मिसाइल मैन ऑफ इंडिया भी कहा जाता है क्योंकि उन्होंने भारत देश के लिए जो कुछ किया शायद ही कोई भविष्य में करे। लेकिन आपको शायद ही जानते हों कि डॉ. कलाम वैज्ञानिक नहीं कुछ और बनना चाहते थे, लेकिन किसी कारणवश उनका एक सबसे बड़ा सपना टूट गया था।
इस बात का खुलासा किसी और ने नहीं बल्कि, मिसाइल मैन ने खुद ही किया था। डॉ. कलाम ने अपनी एक किताब ‘माइ जर्नी : ट्रांसफोर्मिंग ड्रीम्स इन टू एक्शन’ में इस बात का उल्लेख किया है कि वैज्ञानिक नहीं पायलट बनना चाहते थे। उन्होंने पुस्तक में बताया कि कैसे वे पायलट बनने से केवल एक कदम दूर रह गए थे। उन्होंने अपनी पुस्तक में लिखा है कि मद्रास इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग करने के बाद वे पायलट बनना चाहते थे।
इस तरह उनका सपना एक कदम दूर रह गया। उन्होंने लिखा है कि वे पायलट बनने के इस सपने को पूरा करने में फेल हो गए। इसके बाद वे दून से ऋषिकेश पहुंच गए, जीवन की नई राह तलाशने के मकसद से। इसके बाद उन्होंने डीटीडीपी में बतौर सीनियर साइंटिस्ट असिस्टेंट ज्वाइन किया।
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अपनी यह कहानी लिखने के पीछे डॉ. कलाम का उद्देश्य सिर्फ इतना ही था कि अगर सपना पूरा न भी हो पाए तो हार नहीं माननी चाहिए। नए सपने, नई राहें हमेशा आपका इंतजार करती हैं।