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झारखंड में सियासी संकट: विधायकों के साथ रवाना हुए CM सोरेन, छत्तीसगढ़ शिफ्ट करने की तैयारी

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रांचीः झारखंड में उत्पन्न हुए राजनीतिक हालात के बीच 42 यूपीए विधायक एक साथ दूसरी जगह शिफ्ट किए जा रहे हैं। सभी विधायक सीएम हाउस से दोपहर दो बजे तीन बसों पर सवार होकर निकले। उनके साथ मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन भी एक एसयूवी से रवाना हुए हैं। बताया जा रहा है कि सभी विधायक छत्तीसगढ़ के लिए रवाना हुए हैं। बता दें कि राज्य में मौजूदा राजनीतिक संकट मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ऑफिस ऑफ प्रॉफिट मामले में विधानसभा की सदस्यता के लिए अयोग्य करार दिए जाने की वजह से पैदा हुआ है।

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राज्यपाल रमेश बैस ने उनकी विधानसभा की सदस्यता खारिज करने का आदेश दे दिया है, लेकिन प्रक्रिया के अनुसार इस संबंध में आधिकारिक पत्र निर्वाचन आयोग जारी करेगा। संभावना है कि आयोग आज ही पत्र जारी करेगा और इसके तत्काल बाद संवैधानिक बाध्यताओं के चलते हेमंत सोरेन को त्यागपत्र देना होगा। यह भी तय माना जा रहा है कि इस्तीफे के बाद हेमंत सोरेन दुबारा सरकार बनाने का दावा पेश करेंगे, क्योंकि खबरों के मुताबिक राज्यपाल के आदेश में उनके आगे चुनाव लड़ने पर रोक नहीं लगाई गई है।

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दरअसल, नई सरकार बनने पर विधानसभा में फ्लोर टेस्ट अनिवार्य होगा और इसे देखते हुए यूपीए गठबंधन कोई जोखिम नहीं लेना चाहेगा। सियासी संकट के मद्देनजर रणनीति तय करने के लिए यूपीए विधायक दिन 11 बजे से सीएम हाउस में जुटे। पिछले तीन दिनों में चौथी बार यूपीए विधायकों की बैठक बुलाई गई थी। बैठक में सीएम हेमंत सोरेन, मंत्री डॉ. रामेश्वर उरांव, आलमगीर आलम, बन्ना गुप्ता, चंपई सोरेन, सत्यानंद भोक्ता सहित 42 विधायक मौजूद रहे।

क्या है पूरा मामला?

हेमंत सोरेन को रांची जिले के अनगड़ा ब्लॉक में 0.88 एकड़ ज़मीन का खनन पट्टा मिला था। दस्तावेजों के मुताबिक 28 मई 2021 को हेमंत सोरेन ने आवेदन दिया और उन्हें 15 जून 2021 को मंजूरी मिल गई थी। इसके बाद 9 सितंबर को पर्यावरण विभाग से मंजूरी मांगी गई जो 22 सितंबर को मिल गई। 11 फरवरी 2022 को बीजेपी ने राज्यपाल से मिलकर शिकायत की कि ये लाभ के पद का मामला बनता है और सीएम खुद के नाम से खनन पट्टा नहीं ले सकते। इसके बाद हेमंत सोरेन ने 11 फरवरी 2022 को लीज सरेंडर करके खुद को अलग कर लिया।

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