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झारखंड सरकार को हाई कोर्ट ने लगाई फटकार, मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री पर कार्रवाई का मामला

Govt refuses to send proposal to probe death of 28 patients at RIMS
high-court-jharkhand रांचीः झारखंड हाईकोर्ट ने मिलावटी दूध और खाद्य पदार्थों की बिक्री के मामले में स्वतः संज्ञान लेते हुए मामले की सुनवाई की। कोर्ट के तलब करने के बाद भी राज्य सरकार की ओर से इस मामले में कोई जवाब नहीं आने पर कोर्ट ने कड़ी नाराजगी जताई। चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने कहा कि राज्य में मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री पर रोक के मामले में अगर अगली सुनवाई तक सरकार की ओर से जवाब नहीं आता है तो स्वास्थ्य सचिव को कोर्ट में हाजिर होना पड़ेगा। मामले की अगली सुनवाई 16 जून को होगी। बता दें कि पिछली सुनवाई में कोर्ट ने मिलावटी खाद्य पदार्थों की बिक्री पर रोक के मामले में राज्य सरकार को विस्तृत जवाब देने का निर्देश दिया था। कोर्ट ने राज्य सरकार से बीते एक साल के खाद्य पदार्थों की जांच से संबंधित विवरण मांगा था।

कितने नमूने एकत्र किए, क्या हुई कार्रवाई -

कोर्ट ने सरकार से पूछा था कि राज्य के विभिन्न जिलों में फूड सेफ्टी ऑफिसर की ओर से प्रति माह कितने खाद्य पदार्थों के नमूने जांच के लिए एकत्रित किए गए। इनमें से कितने सैंपल गलत पाये गये और आरोपित दुकानदारों पर क्या कार्रवाई हुई। कोर्ट ने यह भी पूछा था कि लैब में खाद्य पदार्थों की किस तरह से जांच होती है। इन सबके संबंध में कोर्ट ने सरकार को जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया था। ये भी पढ़ें..RCB vs KKR : राजस्थान ने चेन्नई सुपर किंग्स पर दर्ज…

कई जिलों में फूड सेफ्टी ऑफिसर नहीं -

मामले में एमिकस क्यूरी पीयूष पोद्दार ने पैरवी की। पूर्व की सुनवाई में एमिकस क्यूरी की ओर से कोर्ट को जानकारी दी थी कि राज्य के कई जिलों में फूड सेफ्टी ऑफिसर नहीं हैं। इस बाबत सरकार की ओर से कहा गया कि कुछ जिलों में फूड सेफ्टी ऑफिसरों की नियुक्ति हुई है और कुछ की नियुक्ति प्रक्रिया जेपीएससी के जरिये चल रही है। (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)