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एक ट्रस्ट, धोखाधड़ी और 42 लाख का घोटाला.. 20 साल पुराने केस की जांच करेगी CBI

Jharkhand High Court handed over investigation of 20 year old case to CBI
रांची: झारखंड के जमशेदपुर में एक व्यक्ति ने स्वामी विवेकानंद सेवा ट्रस्ट नाम की संस्था से मिलते-जुलते नाम से दूसरा ट्रस्ट बनाकर फर्जी तरीके से केंद्र सरकार से 42 लाख रुपये का अनुदान ले लिया। मामला लगभग 20 साल पुराना है। कोर्ट के आदेश पर अब इसकी जांच CBI करेगी। झारखंड हाई कोर्ट (Jharkhand high court) के जस्टिस एसके द्विवेदी की कोर्ट में मामले से जुड़ी एक याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका स्वामी विवेकानन्द सेवा ट्रस्ट की ओर से दायर की गई थी। मामला वर्ष 2002-03 का है। जमशेदपुर में स्वामी विवेकानन्द सेवा ट्रस्ट द्वारा आदिवासी लड़कियों के लिए छात्रावास चलाया जा रहा था। इसके संचालन के लिए केंद्रीय जनजातीय विकास विभाग (मंत्रालय) ट्रस्ट को पैसा देता था।

क्या था पूरा मामला

वर्ष 2002-03 में विभाग ने ट्रस्ट को 42 लाख रुपये आवंटित किये थे। लेकिन, ट्रस्ट के सचिव रहे सरोज दास ने साजिश रचकर मिलते-जुलते नाम से स्वामी विवेकानंद ट्रस्ट बनाया और दिल्ली जाकर अधिकारियों की मिलीभगत से अपने ट्रस्ट के खाते में 42 लाख रुपये जमा करा लिये। पैसे गबन का मामला सामने आने पर जमशेदपुर के बिस्टुपुर थाने में मामला दर्ज कराया गया। लेकिन, पुलिस की जांच में इस मामले में कोई नतीजा नहीं निकला। इसके बाद केंद्र ने राज्य सरकार को जांच के लिए लिखा, लेकिन कुछ नहीं हुआ। इसके बाद स्वामी विवेकानन्द सेवा ट्रस्ट ने कोर्ट में याचिका दायर कर मामले की सीबीआई जांच की मांग की। यह भी पढ़ें-कुड़मी समाज के आंदोलन से रेल सेवा प्रभावित, ट्रेनों के इंतजार... हाई कोर्ट (Jharkhand high court) ने मामले की सीबीआई जांच को लेकर राज्य सरकार से राय मांगी थी। जवाब में राज्य सरकार ने कहा था कि हमें इस मामले की सीबीआई जांच से कोई आपत्ति नहीं है। इसके बाद अदालत ने CBI जांच के आदेश दिए। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता पांडे नीरज राय ने अदालत में पक्ष रखा। (अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)