नई दिल्लीः बाघों को बचाने के लिए जागरुकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल 29 जुलाई को अंतरराष्ट्रीय बाघ संरक्षण दिवस (international tiger day) मनाया जाता है। 20वीं सदी की शुरुआत में जंगलों से 97 प्रतिशत बाघ लुप्त हो चुके थे। इसे पारिस्थितिकी के लिए खतरे की घंटी मानकर वे देश एकजुट हुए, जहां बाघ बहुतायत में पाए जाते थे।
अंतरराष्ट्रीय बाघ संरक्षण दिवस (international tiger day) को मनाने की शुरुआत साल 2010 में हुई, दुनिया के 13 देशों ने मिलकर साल 2022 तक बाघों की संख्या 3200 से कम से कम 6 हजार तक बढ़ाने का लक्ष्य तय किया। इस मुहिम में कई संस्थाएं, अधिकारी, सेलिब्रिटीज और सामान्य लोग भी जुड़ गए। इस दिन को मनाने का उद्देश्य बाघों के लिए अनुकूल वातावरण भी तैयार करना है। भारत को बाघों के घर के नाम से भी जाना जाता है।
केंद्र सरकार के प्रयासों से देश में बाघों की संख्या पिछले 8 सालों में दोगुनी हो चुकी है। साल 2018 में देश में बाघों की संख्या 2,967 थी, जो विश्व की संख्या का लगभग 75 प्रतिशत था। उल्लेखनीय है कि देश में सबसे ज्यादा बाघ मध्य प्रदेश में पाए जाते हैं।
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