नई दिल्लीः भारतीय नौसेना के पहले स्वदेशी विमानवाहक पोत आईएनएस विक्रांत (INS Vikrant) ने पूर्ण परिचालन क्षमता हासिल कर ली है। अब वॉर मोड में तैनात होने के लिए पूरी तरह से तैयार है। भारतीय नौसेना इस जहाज को हिंद महासागर क्षेत्र और उससे आगे कहीं भी ऑपरेशन के लिए तैनात कर सकती है। हिंद महासागर क्षेत्र में चीन की बढ़ती मौजूदगी के बीच इस युद्धपोत की तैनाती से भारत की ताकत बढ़ेगी।
ऑपरेशनल होने का मिला दर्जा
पिछले साल 2 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत का पहला स्वदेशी विमानवाहक पोत 'विक्रांत' देश को सौंपा था, जिसे समुद्री युद्ध के लिए तैयार किया जा रहा था। एडमिरल आर हरि कुमार ने हाल ही में कहा था कि आईएनएस विक्रांत को इस साल नवंबर तक पूरी तरह से चालू करने के लिए सभी प्रयास जारी हैं। विभिन्न परीक्षणों से गुजरने के बाद आखिरकार आईएनएस विक्रांत को पूरी तरह से ऑपरेशनल होने का दर्जा मिल गया है।
फिलहाल जहाज के 30 विमानों के बेड़े में 18 मिग-29 और 12 कामोव हेलीकॉप्टर शामिल होंगे। अमेरिका से खरीदे गए एमएच-60 रोमियो हेलीकॉप्टर भी शक्तिशाली पनडुब्बी रोधी युद्ध क्षमताओं से लैस होंगे। भारतीय नौसेना आईएनएस विक्रांत के लिए 26 नए राफेल लड़ाकू विमान खरीदने पर विचार कर रही है।
केंद्र सरकार को भेजा प्रस्ताव
नौसेना प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार ने कहा था कि नए विमानवाहक पोत पर फैसला 2023 में विक्रांत का संचालन शुरू होने के बाद ही लिया जाएगा। इसे देखते हुए आखिरकार नौसेना ने अपने दूसरे स्वदेशी विमानवाहक पोत 'आईएसी-2' की मेगा डील को मंजूरी देने के लिए केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा है।
यह भी पढ़ेंः-छतरपुर में वोटिंग से पहले बड़ा बवाल, BJP-कांग्रेस समर्थकों के बीच हिंसक झड़प, एक पार्षद की मौत
बताया जा रहा है कि भारत को ऐसे तीन विमानवाहक पोतों की जरूरत है, ताकि भारतीय नौसेना हिंद-प्रशांत क्षेत्र में तैनात सभी नौसेनाओं के साथ समन्वय बनाए रख सके। दूसरे स्वदेशी विमानवाहक पोत को 'IAC-2' के नाम से जाना जाएगा। एक बार IAC-2 को सरकार द्वारा मंजूरी मिल जाने के बाद, यह कार्यक्रम कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड के माध्यम से केरल में कई हजार प्रत्यक्ष और कई अप्रत्यक्ष नौकरियां पैदा करेगा।
(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें)