नई दिल्लीः सैन्य बलों के प्रमुख (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने कहा कि भारत 2019 में रक्षा निर्यातकों की सूची में 19वें स्थान पर था और भारत ने रक्षा निर्यात में 700 प्रतिशत की ग्रोथ की है। उन्होंने बताया कि भारत ने 2016-17 में 1521 करोड़ रुपये का रक्षा निर्यात किया था। यह 2018-19 में बढ़कर 10,745 करोड़ रुपये हो गया। यानी दो वर्षों में लगभग 700 प्रतिशत वृद्धि देखी है।
जनरल रावत बुधवार को भारतीय वाणिज्य और उद्योग महासंघ (फिक्की) में 'कैटालाइजिंग डिफेंस एक्सपोर्ट' विषय पर आयोजित एक ई-सिम्पोजियम को वीडियो कॉन्फ्रेंस से संबोधित कर रहे थे। हम सिर्फ अपने सुरक्षाबलों की जरूरतों को पूरा करने के लिए हथियारों और रक्षा उपकरणों का उत्पादन नहीं कर रहे, बल्कि धीरे-धीरे एक रक्षा निर्यात उद्योग बन रहे हैं। हमने 2016-17 में 1521 करोड़ रुपये का रक्षा निर्यात किया था जो 2018 में यह रक्षा निर्यात बढ़कर 10,745 करोड़ रुपये हो गया।
बिपिन रावत ने कहा कि 2019 में भारत रक्षा निर्यातकों की सूची में 19वें स्थान पर था और हम इस बात के गवाह हैं कि भारत ने रक्षा निर्यात में 700 प्रतिशत की ग्रोथ की है। जनरल रावत ने कहा कि हम न केवल संख्या के आधार पर, बल्कि सघन युद्ध अनुभव, पेशेवर रवैये और गैर-राजनीतिक प्रकृति के कारण दुनिया के अग्रणी सशस्त्र बलों में से एक हैं। पिछले कुछ साल में भारत के रक्षा क्षेत्र में ऊर्जा भरने के लिए कई कदम उठाए गए हैं और कुछ योजनाएं शुरू की गई हैं। हम अपने स्वदेशीकरण के मूल्यों के प्रति गहराई से प्रतिबद्ध हैं।
फिक्की रक्षा और एयरोस्पेस समिति के सह-अध्यक्ष अरुण टी रामचंदानी ने कहा कि भारत ने हाल के दिनों में रक्षा हार्डवेयर निर्यात को कारगर बनाने के लिए कई पहलों की घोषणा की है। फिक्की का विचार है कि भारतीय रक्षा उद्योग को सामूहिक प्रयास से बढ़ावा दिया जाना चाहिए और रक्षा निर्यात को बढ़ाने के लिए स्मार्ट रणनीति विकसित करने की स्पष्ट आवश्यकता है। रक्षा मंत्रालय के संयुक्त सचिव (डीआईपी) संजय जाजू ने कहा कि हमने निर्यात प्राधिकरण प्रक्रिया के लिए बाधाओं को दूर करने की कोशिश की है। हमने रक्षा निर्यात में महत्वपूर्ण प्रगति की है। डिफेंस एक्सपो के दौरान हमारा इरादा भारत को एक डिफेंस मैन्युफैक्चरिंग हब के रूप में पेश करने का रहा है, जो दुनिया के सामने क्वालिटी प्रोडक्ट्स का उत्पादन करने की तस्वीर प्रस्तुत कर सके।