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भारत की कोरोना वैक्सीन का जानवरों पर ट्रायल सफल, जीवित शरीर में कारगर साबित

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लखनऊ:  ब्रिटिश-स्विडिश बायो फ़ार्मा कंपनी ‘एस्ट्रा ज़ेनेका’ ने कोरोना संक्रमण के लिए विकसित की जा रही वैक्सीन के तीसरे और अंतिम चरण के क्लिनिकल ट्रायल को बीते मंगलवार को रोक दिया, क्योंकि वैक्सीन परीक्षण के दौरान प्रतिभागी पर दुष्परिणाम देखने को मिले। वहीं अब भारत बायोटेक की कोरोना वायरस वैक्‍सीन 'कोवैक्सिन'  जानवरों पर ट्रायल में सफल रही है। कंपनी ने शुक्रवार को ऐलान किया कि Covaxin ने बंदरों में वायरस के प्रति ऐंटीबॉडीज विकसित की। यानी यह साबित हो गया है कि लैब के अलावा जीवित शरीर में भी यह वैक्‍सीन कारगर है।

कंपनी ने कहा कि बंदरों पर स्‍टडी के नतीजों से वैक्‍सीन की इम्‍युनोजीनिसिटी (प्रतिरक्षाजनकता) का पता चलता है। भारत बायोटेक ने खास तरह के बंदरों (Macaca mulata) को वैक्‍सीन की डोज दी थी। फिलहाल इस वैक्‍सीन का भारत में अलग-अलग जगहों पर फेज 1 क्लिनिकल ट्रायल चल रहा है। सेंट्रल ड्रग्‍स स्‍टैंडर्ड कंट्रोल ऑर्गनाइजेशन ने इसी महीने भारत बायोटेक को फेज 2 ट्रायल की अनुमति दी है।

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भारत बायोटेक ने 20 बंदरों को चार समूहों पर बांटकर रिसर्च किया। एक ग्रुप को प्‍लेसीबो दिया गया जबकि बाकी तीन ग्रुप्‍स को तीन अलग-अगल तरह की वैक्‍सीन पहले और 14 दिन के बाद दी गई। दूसरी डोज देने के बाद, सभी बंदरों को SARS-CoV-2 से एक्‍सपोज कराया गया। वैक्‍सीन की पहली डोज दिए जाने के तीसरे हफ्ते से बंदरों में कोविड के प्रति रेस्‍पांस डेवलप होना शुरू हो गया था। वैक्‍सीन पाने वाले किसी भी बंदर में निमोनिया के लक्षण नहीं मिले।