इन दिनों दुनिया भर में एक बार फिर से भारत सरकार की तगड़ी और सफल कूटनीति की चर्चा है। खाड़ी देश कतर में पिछले दिनों भारतीय नौसेना के 08 पूर्व अफसरों को पकड़ा गया था। आरोप था कि वे वहां जासूसी करने में लगे थे। इस आरोप के आधार पर उनके लिए फांसी की सजा तय हुई थी। केंद्र सरकार एक्शन में आयी और उसकी पहल के बाद इन सभी को छोड़ दिया गया। सात तो वापस अपने देश भारत लौट भी आए हैं।
कुटनीति से बढ़ी तिरंगे की शान
इसे नरेंद्र मोदी सरकार की सफल विदेश नीति के शानदार उदाहरण के तौर पर देखा जा रहा है। कुछ पीछे चलें तो वर्ष 2017 में तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने एक ट्वीट करते हुए लिखा था कि अगर आप मंगल ग्रह पर भी फंसे हैं, तो वहां भी भारतीय दूतावास आपकी मदद करेगा। इस ट्वीट ने खासकर विदेश में रह रहे भारतीयों का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया था। उस समय कही यह बात आज भी मोदी सरकार साबित करती दिखी है। 2014 से अबतक मोदी सरकार के लगातार 09 वर्ष पूरे हो गये हैं। इस अवधि में जब-जब भारतीयों पर आंच आती दिखी है, तो उसने इस वचन को सार्थक करते निभाया भी है।
सुडान में फंसे भारतीयों का मामला रहा हो, यूक्रेन, यमन, नेपाल, पाकिस्तान में फंसे सेना के अफसर अभिनंदन का मामला हो या फिर कोविड के दौरान दूसरे देशों में फंसे अपने नागरिकों को स्वदेश लाना हो, केंद्र सरकार ने कभी नागरिकों को निराश नहीं किया है। सरकार नागरिकों को बचाने के लिए चट्टानी इरादों के साथ खड़ी होती आयी है। बता दें कि, मोदी सरकार के लिए इस तरह का अनुभव नया नहीं है। सात समुंदर पार फंसे भारतीयों को लगातार पीएम मोदी के करिश्माई व्यक्तित्व और सफल कूटनीति के ‘मैजिक’ (जादू) का भी आनंद मिल रहा है। तिरंगे की शान विदेशों में भी बढ़ी है और साथ ही प्रधानमंत्री मोदी का मान भी।
26 मई, 2014 को नरेंद्र मोदी ने भारत के प्रधानमंत्री पद की शपथ ली। इस दौरान वह ऐसे पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री भी बने, जिनके पास पूर्ण बहुमत था। इसके बाद 2019 में भी उन्होंने देश की बागडोर संभाली। इस दौरान कई ऐसे अवसर आए जब विदेशों में रह रहे भारतीयों को अपने देश के प्रधानमंत्री से मदद की उम्मीद लगी। जब विदेशों में फंसे भारतीय अपने देश से मदद की उम्मीद कर रहे थे, उस वक्त प्रधानमंत्री मोदी उनके साथ खड़े दिखे। बड़ी तत्परता से उन तक मदद पहुंचाई गयी तथा जरूरत के मुताबिक उन्हें वापस हिंदुस्तान भी लाया गया। विदेशों में आई आपदा के समय भी भारत सरकार ने उनकी भी जमकर मदद की।
बीते 9 साल में कई बार चले ऑपरेशन
ऐसे ही कई कदमों का नतीजा रहा कि आज पीएम मोदी का नाम दुनिया के सबसे बड़े नेताओं में लिया जाता है। ऑस्ट्रेलिया के प्रधानमंत्री तो उन्हें ‘द बॉस’ तक कह चुके हैं। पीएम मोदी की लोकप्रियता का ही आलम कहा जा रहा जो कतर में काम करे भारतीय नौसेना के 08 पूर्व अफसरों की रिहाई संभव हो सकी। प्रधानमंत्री मोदी ने पूर्व में दुबई में आयोजित शिखर सम्मेलन में कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल-थानी से भेंट की थी। द्विपक्षीय साझेदारी और कतर में रहने वाले भारतीयों की भलाई पर चर्चा भी की थी। इसके अलावा विदेश मंत्री एस. जयशंकर और एनएसए अजीत डोभाल ने भी इस मुद्दे को कतर के सामने बार-बार उठाया था।
इसी का नतीजा रहा कि कि 18 महीने बाद 08 पूर्व भारतीय अधिकारियों की वतन वापसी हो पाई। वैश्विक स्तर पर एक बड़े और भरोसेमंद नेताओं की सूची में शीर्ष पर काबिज नरेंद्र मोदी सरकार की कूटनीति सही दिशा में जाती दिख रही है। यही वजह है कि केवल कतर से भारतीय नौसेना के पूर्व अफसरों की वतन वापसी के मामले में सरकार की कूटनीति को जीत मिली। सरकार ने अपने कार्यकाल में कई रेस्क्यू ऑपरेशन के जरिए भारतीय नागरिकों को सकुशल स्वदेश पहुंचाया है। बीते 09 सालों में विदेश मंत्रालय ने कई अभियानों के तहत युद्धग्रस्त देशों से हजारों लोगों को सुरक्षित बाहर निकाला है। मोदी सरकार में दूसरे मुल्कों से न केवल भारतीय नागरिक सुरक्षित स्वदेश लौटे, बल्कि इन ऑपरेशन के तहत दूसरे देशों के लोगों को भी सकुशल उनके घर पहुंचाया गया है।
‘ऑपरेशन मैत्री’ से अबतक जारी है सफर
वर्ष 2015 में शुरू किए गये ऑपरेशन मैत्री से बात शुरू करते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मई 2014 में सत्ता संभाली थी। इसके करीब एक साल बाद ही नेपाल में भीषण भूकंप आया। पड़ोसी देश नेपाल को पीड़ा में देखकर केंद्र सरकार ने तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू कर दिया। भारतीय सेना को भी वहां भेजा गया। भारतीय सेना और एयरफोर्स ने मिलकर 05 हजार से ज्यादा भारतीयों को बचाया। इसके बाद उन्हें सेना और यात्री विमानों से वापस भारत लाया गया। भारतीयों के अलावा भारतीय सेना ने 170 विदेशी नागरिकों को भी बचाया। इनमें अमेरिकी, ब्रिटिश, रूसी और जर्मनी के भी नागरिक थे।
#WATCH | Bengaluru, Karnataka: "I was playing Hanuman bhajan. 4-5 people came and said it is time for Azaan and if you play it we will beat you. They beat me and also threatened me that they would stab me with a knife," says the shopkeeper who was attacked by a group of over five… https://t.co/0ONOXqm2Sw pic.twitter.com/QaS7joDqe8
— ANI (@ANI) March 18, 2024
इसके अलावा भारतीय सेना ने नेपाली लोगों की भी मदद की तथा केंद्र सरकार ने नेपाल को रसद सामग्री भी भेजी। ऐसे में 2015 के ऑपरेशन 'राहत' की भी चर्चा जरूरी है। 27 मार्च 2015 को अरब देशों के सैन्य गठबंधन ने यमन में घुसकर हूती विद्रोहियों पर हमला बोल दिया था। इससे पहले ही यमन के बड़े हिस्से पर विद्रोहियों ने कब्जा कर लिया था और इस तरह यमन की सरकार व हूती विद्रोहियों के बीच संघर्ष छिड़ गया था। उस दौरान सऊदी अरब ने देश में नो-फ्लाई जोन घोषित कर दिया था, जिसने भारत की चिंता बढ़ा दी थी। इस दौरान विदेश मंत्रालय ने 21 जनवरी को ही भारतीय नागरिकों से यमन छोड़ने का आग्रह किया था, लेकिन अरब सेनाओं के हमले के दौरान यमन में करीब 5,000 भारतीय मौजूद थे।

पीएम मोदी के सामने यमन में फंसे भारतीयों का मामला सामने आया। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारतीय सेनाओं ने यमन से भारतीयों को वापस लाने के लिए ऑपरेशन 'राहत' की शुरुआत की। इस अभियान के दौरान वहां से 4,600 से अधिक भारतीयों और 960 विदेशी नागरिकों समेत कुल 5,600 लोगों को सुरक्षित बचाकर लाया गया था, जिसकी सराहना दुनियाभर में हुई थी। इसके बाद मार्च 2016 में बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स पर जबरदस्त आतंकवादी हमला हुआ। आतंकवादियों ने जावेंटम में ब्रसेल्स एयरपोर्ट और सेंट्रल ब्रसेल्स के मालबीक मेट्रो स्टेशन पर कायराना हरकत को अंजाम दिया। प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में भारत ने तुरंत बेल्जियम में रह रहे भारतीयों के लिए एक विशेष अभियान चलाया और इस अभियान के तहत 242 भारतीयों को सुरक्षित वापस स्वदेश लाया गया।
वर्ष 2020 में ऑपरेशन समुद्र सेतु चलाया गया, जिसमें कोरोना महामारी के दौरान विदेशों में कई भारतीय फंसे थे, उन्हें वापस लाने को भारतीय नौसेना ने ऑपरेशन समुद्र सेतु चलाया था। इसके जरिए नौसेना 3,992 भारतीयों को विदेशों से बचाकर लाने में सफल रही और इस काम में जलश्वा और ऐरावत (लैंडिंग प्लेटफॉर्म डॉक), शार्दुल और मगर (लैंडिंग शिप टैंक) का इस्तेमाल किया गया था। 55 दिन से अधिक समय तक चले इस अभियान के तहत 23 हजार किमी की समुद्री दूरी तय की गई। इसने दुनियाभर में भारत का मान बढ़ाया था और इसी अवधि में वंदे भारत मिशन चलाया गया था। साल 2020 की शुरुआत में ही दुनियाभर में कोरोना का प्रकोप फैलने लगा था। इसे देखते प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश ने वंदे भारत मिशन की शुरुआत की।
इसके तहत कोरोना प्रभावित देशों में फंसे भारतीयों को वापस लाने का अभियान शुरु किया गया। उस दौरान दुनियाभऱ में कहा गया कि कोरोना की शुरुआत चीन के वुहान शहर से हुई है. इसके बाद भारत ने जनवरी 2020 में वुहान से भी भारतीयों को एयरलिफ्ट किया तथा यह वंदे भारत मिशन इतिहास के अब तक के सबसे बड़े अभियानों में गिना गया। इसके तहत 30 लाख से अधिक लोगों को एयरलिफ्ट किया गया। इस प्रयास के अलावा भारत ने कोरोना से पीड़ित तमाम देशों को कोविड-19 वैक्सीन उपलब्ध कराई। यहां तक कि कई देशों को मुफ्त में भी दी। 15 अगस्त 2021. तालिबान ने अफगानिस्तान पर कब्जा जमा लिया। काबुल पर उनके कब्जे के साथ वहां एक बार फिर आतंकवादी संगठन तालिबान सत्ता में आ गया। उस दौरान वहां हजारों भारतीय काम कर रहे थे।
भारतीयों को तालिबान के खौफ से बचाने के लिए भारत ने ऑपरेशन देवी शक्ति शुरू किया। भारतीय वायु सेना ने अगस्त 2021 में ही यह अभियान शुरू किया। इसके जरिए कम से कम 800 लोगों को सुरक्षित भारत लाया गया। 24 फरवरी 2022 को रूस ने यूक्रेन के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी। इसके बाद रूस की तरफ से यूक्रेन में जबरदस्त बमबारी और मिसाइल अटैक हुए। युद्धग्रस्त यूक्रेन में भारत के बहुत से लोग फंस गए और ऐसे लोगों को वापस भारत लाने के लिए ऑपरेशन गंगा चलाया गया। इस ऑपरेशन के तहत यूक्रेन में फंसे 1,100 से अधिक भारतीयों को सुरक्षित स्वदेश लाया गया। इसके लिए भारत ने पोलैंड, रोमानिया, हंगरी और स्लोवाकिया जैसे देशों में नियंत्रण केंद्र बनाए। इन देशों की सीमा यूक्रेन से लगती है, जिनकी मदद से भारतीयों को सीमा पार करवाकर सुरक्षित स्थान तक पहुंचाया गया।
इसी के साथ ऑपरेशन कावेरी 2023 की चर्चा भी महत्वपूर्ण है। बीते स साल अफ्रीकी देश सूडान में अर्धसैनिक बल और सेना के बीच वर्चस्व की जंग छिड़ गई, जिसके बाद सूडान में रह रहे भारतीयों को वापस लाने के लिए ऑपरेशन कावेरी चलाया गया। प्रधानमंत्री मोदी ने इस अभियान का मार्गदर्शन किया। इसके बाद भारत ने वहां फंसे 3,862 भारतीयों को बचाया। जेद्दाह के रास्ते वापस हिंदुस्तान लेकर आया गया। 06 फरवरी 2023 को सीरिया और तुर्किए में भीषण भूकंप आया। इसकी वजह से इन देशों में हर जगह तबाही का मंजर था।
हजारों-लाखों लोग मलबे के नीचे फंसे हुए थे और भारत ने भूकंप आने के सिर्फ 12 घंटे के भीतर ही ऑपरेशन दोस्त को शुरू कर दिया। भारत ने राहत व बचाव कार्य में मदद की। दोनों देशों को रसद, दवाओं आदि से भी मदद की। केंद्र सरकार और इस देश के लिहाज से अभिनंदन वर्धमान रेस्क्यू भी अहम अभियानों में से एक रहा है। फरवरी 2019 में विंग कमांडर अभिनंदन वर्धमान ने पाकिस्तानी वायुसेना के एफ-16 लड़ाकू विमान को ध्वस्त कर दिया था। इसके बाद उनके प्लेन की पाकिस्तान में ही क्रैश लैंडिंग हो गई थी। इसके बाद भारत सरकार के कड़े एक्शन के खौफ के चलते पाकिस्तान ने विंग कमांडर को सुरक्षित वाघा बॉर्डर से भारत भेजा था।
अमित झा