लेह: इस समय भारतीय और चीनी सेना के बीच तनातनी चल रही है। भारतीय सेना, चीनी सेना की नापाक हरकतों से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है। चीन के सीमावर्ती इलाकों में अतिरिक्त चौकसी बरती जा रही है। वहीं पूर्वी लद्दाख में भी चीन की चालबाजी से निपटने के लिए भारतीय सेना ने पूरा बंदोबस्त कर लिया है। सैन्य तैयारियों के बीच, शक्तिशाली टी-90 टैंक (जिसे भीष्म भी कहते हैं) हवाई जहाज के जरिए जून में ही लद्दाख पहुंच गया था। अब सर्दियों को देखते हुए भारतीय सेना के सैनिकों ने आज रविवार को पूर्वी लद्दाख के चुमार-डेमचोक क्षेत्र में वास्तविक नियंत्रण रेखा (LAC) के पास टी-90 भीष्म टैंक का संचालन किया।
बता दें, सेना यह सुनिश्चित करने के लिए 3 प्रकार के विभिन्न ईंधन का उपयोग करती है कि यह कठोर सर्दियों के दौरान जम न जाए।
भीष्म को दुनिया के सबसे अचूक टैंक में एक माना जाता है। हालांकि चीन ने पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) के पार अपने मुख्य बेस पर बख्तरबंद गाड़ियों के साथ टी-95 टैंक तैनात किए हैं, लेकिन उसके यह टैंक किसी भी तरह से भीष्म से बेहतर नहीं है। टी-90 टैंक शुरू में रूस से ही बनकर आए थे। बाद में इनका उन्नत रूप तैयार किया गया।
टी-90 भीष्म टैंक एक मिनट में आठ गोले दागने में समर्थ यह टैंक जैविक व रासायनिक हथियारों से निपट सकता है। इसका आर्म्ड प्रोटेक्शन दुनिया में बेहतरीन माना जाता है, जो मिसाइल हमला रोक सकता है।
एक हजार हार्स पावर इंजन की क्षमता वाला यह टैंक दिन और रात में लड़ सकता है। छह किलोमीटर की दूरी तक मिसाइल भी लांच कर सकता है।
यह दुनिया के सबसे हल्के टैंकों में एक है। इसका वजन 48 टन होता है और यह 72 किलोमीटर की रफ्तार से दौड़ सकता है। यह दमचोक और चुशूल की रेतीली व समतल जमीन पर तेजी से भाग सकता है।
यह टैंक चीन के हाईवे पर भारतीय सेना के हमले को और धार दे सकता है। सेना 18 हजार फुट की ऊंचाई पर भी भीष्म-90 टैंक को संचालित कर चुकी है।
लद्दाख में समुद्रतल से करीब 12 हजार से 14 हजार फुट की ऊंचाई पर ही टैंक इस्तेमाल किए जाने की संभावना है, लेकिन भारतीय सेना पिछले कुछ वर्षो में युद्धाभ्यास के दौरान 18 हजार फुट की ऊंचाई पर भी टैंक सफलतापूर्वक संचालित कर चुकी हैं।