
नई दिल्ली: विदेश मंत्रालय (एमईए) ने कहा कि भारत परमाणु युद्ध को रोकने और हथियारों की होड़ से बचने पर चीन, अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस और रूस के हालिया संयुक्त बयान का स्वागत करता है।
सोमवार को दिए गए संयुक्त बयान के बारे में पूछे जाने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा, हम इस सप्ताह दिए गए संयुक्त वक्तव्य का स्वागत करते हैं, जो परमाणु खतरों को संबोधित करने के महत्व की पुष्टि करता है और सभी के लिए कम सुरक्षा के साथ परमाणु हथियारों के बिना दुनिया के अंतिम लक्ष्य के साथ निरस्त्रीकरण पर प्रगति के लिए अधिक अनुकूल सुरक्षा वातावरण बनाने की दिशा में काम करने की इच्छा को रेखांकित करता है।
मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि एक जिम्मेदार परमाणु हथियार वाले देश के रूप में, भारत के पास नो फर्स्ट यूज और गैर-परमाणु हथियार वाले राष्ट्रों के खिलाफ परमाणु हथियारों के गैर-उपयोग के आधार पर एक विश्वसनीय न्यूनतम प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखने का सिद्धांत है। भारत सार्वभौमिक, भेदभाव रहित और सत्यापन योग्य परमाणु निरस्त्रीकरण के लक्ष्य के प्रति प्रतिबद्ध है।
यूएनजीए में परमाणु खतरे को कम करने पर भारत के वार्षिक प्रस्ताव में परमाणु हथियारों के अनजाने या आकस्मिक उपयोग के जोखिम को कम करने के लिए कदम उठाने का आह्वान किया गया है, जिसमें परमाणु हथियारों को डी-अलर्टिंग और डी-टारगेट करना शामिल है।
बयान के अनुसार, परमाणु हथियारों के उपयोग के निषेध पर सम्मेलन में हमारा वार्षिक संकल्प किसी भी परिस्थिति में परमाणु हथियारों के उपयोग या उपयोग के खतरे को प्रतिबंधित करने वाले एक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन पर निरस्त्रीकरण पर सम्मेलन में वार्ता शुरू करने की मांग करता है। दोनों प्रस्तावों को यूएनजीए में पर्याप्त समर्थन के साथ अपनाया गया है। भारत वैश्विक परमाणु निरस्त्रीकरण और अप्रसार एजेंडा में और योगदान देना जारी रखेगा। बता दें कि संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने भी पांच राष्ट्रों की तरफ से परमाणु युद्ध रोकने और हथियारों की होड़ को खत्म करने के उद्देश्य से जारी किए गए साझा बयान का स्वागत किया है।
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उल्लेखनीय है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य (पी-5) चीन, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस व अमेरिका ने सोमवार को पहली बार साझा बयान जारी करके कहा था कि परमाणु युद्ध कभी नहीं होना चाहिए और इसे जीता भी नहीं जा सकता। बयान के अनुसार, परमाणु युद्ध के घातक परिणाम होंगे। हम दृढ़तापूर्वक कहना चाहते हैं कि परमाणु हथियार चाहे जब तक रहें, उनका इस्तेमाल बचाव, तनाव कम करने और युद्ध को रोकने के लिए होना चाहिए।
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