“विश्व एक पुस्तक है और जो लोग यात्रा नहीं करते हैं, वे इसका केवल एक पृष्ठ पढ़ पाते हैं ।“ सेंट ऑगस्टीन का यह कथन वास्तव में यात्रा की भावना को बताता है और एक आकर्षक देश के रूप में भारत, विश्व भर के यात्रियों को अपने गंतव्य के रूप में भारत को चुनने हेतु अनेक कारण प्रदान करता है। भारत में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं, बर्फ से ढंके पहाड़ से लेकर महासागर में फैले द्वीप, पर्यटन क्षेत्र को विविधताओं से भर देते हैं। 32,87,263 वर्ग किमी. में फैले भारत में समृद्ध, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक विरासत मौजूद है। देश में 42 यूनेस्को धरोहर स्थल हैं और हम भारतीय हर साल हजार से ज्यादा त्यौहार मनाते हैं।
भारत में पर्यटन की अपार संभावनाएं हैं। यदि सही ढंग से पूंजीकरण किया जाए तो यह सकल घरेलू उत्पाद में योगदान देने वाले अग्रणी क्षेत्रों में से एक के रूप में उभर सकता है और इसमें रोजगार बढ़ाने की भी क्षमता है। जागरूकता और इच्छाशक्ति की कमी के साथ उचित बुनियादी ढांचे की कमी इस क्षेत्र की वांछित सफलता को रोकने में प्रमुख बाधा के रूप में कार्य करती है। महामारी के कारण इस क्षेत्र को भी काफी नुकसान हुआ है, लेकिन अब चूंकि अर्थव्यवस्था ठीक हो रही है, अगर उचित उपाय प्रभावी ढंग से लागू किए जाएं, तो यह हमारे पर्यटन क्षेत्र को नया आकार दे सकता है। स्वदेश दर्शन या देखो अपना देश जैसी दूरदर्शी योजनाओं में स्थानों की सांस्कृतिक अखंडता और पारिस्थितिक स्थिरता को बनाए रखते हुए पर्यटन मूल्य बढ़ाने की क्षमता है। भारत समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की भूमि है। अपनी मंत्रमुग्ध कर देने वाली कलाओं और विस्मयकारी मूर्तियों के साथ राजसी मंदिर हमारे पूर्वजों द्वारा प्राप्त शिल्प कौशल और कलात्मक विशेषज्ञता की ऊंचाई का प्रमाण हैं।
लेकिन उनमें से अधिकांश जागरूकता की कमी के कारण अपनी उचित मान्यता से वंचित होकर देश के सुदूर कोनों में आश्रय लिए हुए हैं। पर्यटन अपना वास्तविक मूल्य तब भुना सकता है जब इन सभी स्थानों को विज्ञापन, लॉजिस्टिक्स और विकासात्मक सुविधाओं के माध्यम से ठीक से एकीकृत किया जाए। भारत में पर्यटन जहाँ एक ओर सामाजिक और आर्थिक लाभ का स्रोत है और राष्ट्रीय एकता और अंतर्राष्ट्रीय मेल-मिलाप को बढ़ावा देता है, वहीं दूसरी ओर इससे संबंधित विभिन्न क्षेत्रों में कई शानदार कैरियर के मौके भी उपलब्ध हैं। भारत में घरेलू पर्यटन को खास रूप से सामाजिक और सांस्कृतिक समन्वय एवं राष्ट्रीय एकता के लक्ष्य को पूरा करने वाला बताया गया है। केन्द्र व राज्य सरकारों और निजी उद्यमों द्वारा शुरू की गई अवकाश यात्रा रियायत योजनाओं जैसी कई योजनाओं से घरेलू पर्यटन को काफी बढ़ावा मिला लेकिन महँगी आवास व्यवस्था रेलवे आरक्षण की कठिनाई और पर्यटक स्थलों के बारे में समुचित जानकारी न होने के कारण घरेलू पर्यटन में उपेक्षा के अनुसार वृद्धि नहीं हुई। भारत में राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पर्यटन को बढ़ावा देने के काम में अनेक संस्थाएँ, एजेंसियाँ लगी हुई हैं।
पर्यटन के विकास में परिवहन का है खास महत्व
पर्यटन विभाग, भारतीय पर्यटन विकास निगम, भारतीय पर्यटन एवं यात्रा प्रबंधन संस्थान और होटल प्रबंध, कैटरिंग प्रौद्योगिकी परिषद समेत कई विधाएं मौजूद हैं। पर्यटन विभाग इन सबका केन्द्र बिंदु हैं। तथा देश में पर्यटन के लिये साधन सुविधायें विकसित करने के लिये मुख्यतः जिम्मेदार हैं। देश में इसके कई पर्यटन कार्यालय हैं और देश के बाहर भी इसके कई कार्यालय हैं। भारतीय पर्यटन और यात्रा प्रबंधन संस्थान पर्यटन और यात्रा प्रबंध संबंधी विभिन्न स्तर के पाठ्यक्रम चलाता है। यह संस्थान पर्यटन उद्योग के पर्यवेक्षण और निम्न स्तर के कर्मचारियों की शिक्षण भी प्रदान करता है। पर्यटन के विकास में परिवहन का खास महत्व है। परिवहन के मुख्य साधन हैं वायुयान, रेल और सड़क वाहन। ज्यादातर विदेशी पर्यटक हवाई यात्रा पसंद करते हैं, क्योंकि इससे गंतव्य स्थान तक पहुँचने में कम समय लगता है। भारत में इंडियन एयरवेज, एयर इंडिया तथा वायुदूत घरेलू पर्यटकों को हवाई यात्रा सुविधा उपलब्ध कराते हैं। इसके अतिरिक्त हवाई यात्रा सुविधा उपलब्ध कराने के लिये कुछ निजी एयरलाइन्स भी कार्यरत हैं, इनके चालक टूर बुकिंग कर्मचारी, टूर प्रबंधक, गाइड, टिकिट सहायक, वायुयान दल, एयर होस्टेस आदि पर्यटक की सुविधा के लिये उपलब्ध रहते हैं। रेल घरेलू पर्यटन का एक खास अंग हैं।
भारत की रेल व्यवस्था एशिया की सबसे बड़ी और विश्व की दूसरी सबसे बड़ी व्यवस्था मानी जाती है। भारतीय रेल लगभग 19,000 ट्रेन चलाती है और 7,000 से अधिक रेलवे स्टेशनों को जोड़ती है। भारत में रेल लगभग 67,000 रूट किलोमीटर चलती हैं। रेलवे लगभग 30 लाख लोगों को नौकरी देती है जिनमें लगभग 14,000 अधिकारी होते हैं। रेलवे पर्यटकों को आकर्षित करने के लिये “अपनी पसंद से यात्रा करें”, “रियायती वापसी टिकिट” “समूह पर्यटन”, “पहियों पर महल” आदि अनेक योजनाएँ चला रही है। रेलवे ने राजधानी और शताब्दी एक्सप्रेस जैसी लम्बी दूरी की तेज गति की गाड़ियाँ भी चलाई हैं जो अनेक नगरों को और महत्वपूर्ण पर्यटन केंद्रों को जोड़ती है। सबसे आधुनिकतम वन्दे भारत रेल शुरू की गई है जो अत्याधुनिक और आरामदायक तथा द्रूत गति से चलने वाली ट्रेन है। अभी कुछ वर्ष पूर्व से जम्मू कश्मीर में पर्यटन व्यवसाय की असीम संभावना दिखने लगी हैं। जम्मू कश्मीर में आतंकवाद लगभग खत्म होने के बाद से ही पर्यटन के लिए भारी संख्या में लोग जाने लगे हैं। सड़क परिवहन भी उद्योग का एक खास अंग है। विख्यात और बड़े होटल अकेले एवं समूह पर्यटकों के लिये सड़क परिवहन की सुविधायें उपलब्ध कराते हैं। इस समय 250 अनुमोदित पर्यटक परिवहन संचालक हैं, जो पर्यटकों के प्रयोग के लिये अंतर्राष्ट्रीय स्तर की बसें और कोच उपलब्ध कराते हैं।
पर्यटन निदेशालय ने अपने सर्वे में दावा किया है कि भारत में इस प्रकार के पर्यटन कार्यक्रम से पिछले एक साल में विदेशी पर्यटकों के आगमन में 08 प्रतिशत से लेकर 24 प्रतिशत तक वृद्धि हुई है। पर्यावरण मंत्रालय के सूत्रों के अनुसार चूँकि जंगल, समुद्र, पहाड़, नदी, बाग बगीचे, जीव – जानवर आदि पर्यावरण पर्यटन के प्रधान तत्व हैं। इसलिये सरकार इनके संरक्षण के लिए सांस्कृतिक पर्यावरण पर्यटन शुरू कर चुकी है। कहा गया है कि पर्यावरण पर्यटन की क्षमताएँ बेहद व्यापक हैं, जिनकी ओर भारत सरकार का ध्यान गया है। पश्चिम और अमीर देशों के पर्यटक अपनी एकरूप और कृत्रिम संस्कृति से ऊब गये हैं, इसलिये उन्हें भारत की ओर नई तरह से आकर्षित किया जा रहा है। इसी प्रकार यदि योजनाओं को सही ढंग से लागू कर लिया गया तो निश्चित रूप से पर्यटन उद्योग के विकास को नई दिशा मिलेगी इसमें कोई शक नहीं है।
विभिन्न भाषाओं, संस्कृतियों, लोक साहित्य, इतिहास, स्थल, घटनाओं इत्यादि के विषय में जानने का सबसे अच्छा मार्ग पर्यटन है। पर्यटन किसी भी देश की रीढ़ की हड्डी होती है, जो अर्थव्यवस्था को जीवित रखने में बहुत बड़ा योगदान देती है। इसके अलावा करोड़ों लोगों को जीवन यापन करने के लिए रोजगार का साधन भी मुहैया कराता है। भारत यात्रा और पर्यटन के लिए एक बड़ा बाजार है। यह आला पर्यटन उत्पादों - परिभ्रमण, साहसिक, चिकित्सा, कल्याण, खेल, बैठकें, प्रोत्साहन, सम्मेलन और प्रदर्शनियां (एमआईसीई), इको-पर्यटन, फिल्म, ग्रामीण और धार्मिक पर्यटन के विविध पोर्टफोलियो प्रदान करता है। भारत को घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों के लिए आध्यात्मिक पर्यटन के लिए एक गंतव्य के रूप में मान्यता दी गई है। मार्च 2019 में पर्यटन के लिए बुनियादी ढांचे को मजबूत करने की दिशा में उत्तर प्रदेश द्वारा 720 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। भारत सरकार द्वारा इण्डिया अतुल्य भारत! और अतिथि देवो भव जैसी कई ब्रांडिंग और विपणन पहलों की शुरूआत ने विकास को एक केंद्रित प्रोत्साहन प्रदान किया है। भारत सरकार ने देश में चिकित्सा पर्यटन को प्रोत्साहित करने के लिए वीजा की एक नई श्रेणी - मेडिकल वीजा या एम वीजा जारी किया है। अतुल्य भारत 2.0 अभियान सितंबर 2017 में शुरू किया गया था।
सितंबर 2018 में, भारत सरकार ने यात्री को भारत की सहायता करने और यात्रा के लिए प्रमुख अनुभवों को प्रदर्शित करने के लिए 'अतुल्य भारत मोबाइल ऐप' लॉन्च किया। भारत सरकार 2020 तक दुनिया के अंतरराष्ट्रीय पर्यटक आगमन में एक प्रतिशत हिस्सा और 2025 तक दो प्रतिशत हिस्सेदारी हासिल करने के लिए काम कर रही है। अक्टूबर 2018 में, सरदार वल्लभभाई पटेल की प्रतिमा, जिसे 'स्टैच्यू ऑफ यूनिटी' भी कहा जाता है, का उद्घाटन एक पर्यटक आकर्षण के रूप में किया गया था। यह 182 मीटर की ऊंचाई पर खड़ी दुनिया की सबसे ऊंची मूर्ति है। इससे देश में पर्यटन क्षेत्र को बढ़ावा मिलने और भारत को विश्व पर्यटन मानचित्र पर लाने की उम्मीद है। काम कठिन है, मगर हमें अगर विदेशी पर्यटक चाहिए तो काम तो करना होगा। अक्सर हम भारतीय विदेशी पर्यटक को सोने की मुर्गी समझ लेते है। सब्र तो हमारे खून में ही नहीं है। इसलिए हम अक्सर उस मुर्गी का पेट काटकर सारे अंडे एक साथ हासिल करना चाहते है। हम सबको इस सोच को बदलना होगा वरना कुछ नहीं होगा।
पर्यटन क्षेत्र में ध्यान रखनी होंगी ये बातें
1. विदेशी पर्यटकों तक पहुँचना : हम यह मान लें कि भारतीय जानते हैं की कौन से राज्य में पर्यटन के खास मुद्दे क्या हैं। तो विदेशियों को आकर्षित करने की दिशा में हमें काम करना होगा। हमें हमारे सन्देश पर काम करना होगा। इन्क्रेडिबल इण्डिया एक बहुत अच्छा अभियान है। उसकी पहुँच बढ़ाने की ज़रूरत है।
2. भारत की छवि का सुधार: विदेशी पर्यटकों को सिर्फ आकर्षित करने से कुछ हासिल नहीं होगा। भारत की छवि को सुधारना होगा। कुछ बातें ऐसी हैं कि उनके बारे में हम कुछ नहीं कर सकते; मसलन गर्मी, भीड़, धूल इत्यादि। मगर बहुत सी बातें हैं जिन्हें हम सुधार सकते हैं। इनमें प्रमुख हैं...
a. पर्यटकों के लिए सुविधाएं तैयार करना। बहुत से ऐसे राजमार्गों पर साफ स्वच्छतागृह नहीं होते। प्रथमोपचार की सुविधा नहीं होती। यह सब सुविधाएँ नागरिकों के लिए भी होनी चाहिए। यह न हो तो हम नागरिक तो चला लेंगे, क्यूंकि हमारे पास दूसरा विकल्प नहीं है पर पैसा खर्च करने वाले पर्यटक क्यों सहेंगे ?
b. इसके बाद एक और बात है और वह है सुरक्षा। बड़े शर्म की बात है की भारत की छवि ऐसी है कि यहाँ महिला सुरक्षित नहीं, खासकर अकेली सफर करने वाली विदेशी महिला। शायद यह सही नहीं मगर भारत की प्रतिमा तो यही है। उसे सुधारना होगा वर्ना कोई भी यहां नहीं आना चाहेगा। सुरक्षा का एक पहलू यह भी है कि पर्यटक को यह लगे के उन्हें यहाँ कोई ठग नहीं रहा।
3. तीसरा और एहम मुद्दा सारे पर्यटक अनुभव का है। एक पर्यटक का अनुभव तब शुरू होता है जब वह यह सोचने लगे की छुट्टियों में उसे कहाँ जाना चाहिए और क्या करना चाहिए। उसके बाद आती है जानकारी पाने की सहजता। फिर वीजा, टिकट, होटल बुकिंग इत्यादि। फिर इमीग्रेशन का अनुभव, टैक्सी वाले, गाइड, होटल इत्यादि-इत्यादि। इन सभी के माध्यम से बनता है पर्यटक का अनुभव। अगर हम उन्हें एक अच्छा अनुभव दे सके तो वह दोबारा आएंगे और दूसरों को आने की सलाह भी देंगे।
भारत में पर्यटन तीसरा सबसे बड़ा उद्योग
भारत ने अपनी समृद्ध प्राकृतिक और सांस्कृतिक विविधता के कारण विश्व पर्यटन मानचित्र पर एक अद्वितीय स्थान बनाया है। भारत में पर्यटन तीसरा सबसे बड़ा उद्योग है जिसमें लगभग दस मिलियन लोग प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से कार्यरत हैं। इसकी आगंतुक-अनुकूल परंपराएं, विविध जीवन शैली, सांस्कृतिक विरासत, रंगीन मेले और त्यौहार पर्यटकों के लिए आकर्षण हैं। प्राचीन काल से ही भारत के विभिन्न हिस्सों में शासकों ने आलीशान महल, अद्भुत मंदिर, सदाबहार उद्यान, ऊंचे किले और मकबरे बनवाए। भारत पर्यटन के लिए प्राकृतिक और सांस्कृतिक परिदृश्य में बहुत समृद्ध है। सुंदर समुद्र तट, वन्य जीवन, राष्ट्रीय उद्यान, अभयारण्य, बर्फ का आवरण, नदियाँ, पर्वत चोटियाँ, तकनीकी पार्क और तीर्थयात्रा केंद्र भारत के कुछ पर्यटक आकर्षण हैं। हेरिटेज ट्रेनें, योग, ध्यान, आयुर्वेद, सिद्ध और प्राकृतिक स्वास्थ्य रिसॉर्ट भी बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करते हैं।
सांस्कृतिक विरासत और प्राकृतिक स्थलों की सुंदरता भारत को पर्यटकों का स्वर्ग बनाती है। हम अपने मेहमानों का सम्मान करते हैं और उन्हें भगवान मानते हैं। इसीलिए हमने एक सांस्कृतिक परंपरा विकसित की जहां 'अतिथि देवो भव' (अतिथि भगवान है)। भारत आध्यात्म का केंद्र है। आध्यात्मिक स्थल बड़ी संख्या में घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय पर्यटकों को भारत की ओर आकर्षित कर रहे हैं। भारतीय हस्तशिल्प, विशेष रूप से आभूषण, कालीन, चमड़े के सामान और पीतल का काम, विदेशी पर्यटकों के लिए खरीदारी की मुख्य वस्तुएं हैं। वैश्वीकरण के युग में, यात्रा और पर्यटन गतिविधियों में काफी वृद्धि हुई है। पर्यटन को बढ़ावा देने से न केवल नौकरियां पैदा होती हैं, निर्यात बढ़ता है और दुनिया भर में समृद्धि पैदा होती है बल्कि कई अमूर्त लाभ भी होते हैं।
यह एक सांस्कृतिक चिपकने वाले पदार्थ के रूप में कार्य करता है जिसे वैश्विक शांति और अखंडता के लिए एक शक्तिशाली उपकरण के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है। यह दूर-दराज के क्षेत्रों के लोगों को उनकी संस्कृति और मानदंडों को बढ़ावा देने में भी मदद करता है और देश को दुनिया भर में अपनी प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत के विभिन्न पहलुओं को प्रदर्शित करने का अवसर प्रदान करता है। पर्यटन देशों की प्राकृतिक और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण और संरक्षण के लिए प्रोत्साहन भी पैदा करता है। वे पुरातात्विक और ऐतिहासिक स्थलों के संरक्षण की लागत को पूरा करने और इन स्थलों की गिरावट या लुप्त होने को रोकने में मदद कर सकते हैं।पर्यटन गतिविधियों को आर्थिक विकास के प्रमुख स्रोतों में से एक माना जाता है। इसे औपचारिक और अनौपचारिक दोनों क्षेत्रों में रोजगार के साथ-साथ आय उत्पन्न करने का एक तंत्र माना जा सकता है। पर्यटन की तीव्र वृद्धि से घरेलू आय और सरकारी राजस्व में वृद्धि होती है। भारत में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए केंद्र और राज्य सरकारें कई पहल कर रही हैं।
पर्यटन के विविध रूप
• मनोरंजनात्मक पर्यटन : पर्यटन प्रायः मनोरंजन गतिविधियों के उद्देश्य
से किया जाता है। अधिकांश पर्यटन माहौल में परिवर्तन एवं आराम के लिए किया जाता है; यही कारण है कि पैकेज टूर अधिक लोकप्रिय हो गए हैं।
• पर्यावरणीय पर्यटन : धनी और समृद्धशाली पर्यटक ऐसे सुदूरवर्ती स्थानों की यात्रा को अधिक प्राथमिकता देते हैं, जहां उन्हें साँस लेने के लिए प्रदूषण मुक्त वायु प्राप्त हो।
• ऐतिहासिक पर्यटन: पर्यटक यह जानने में रूचि रखते हैं कि हमारे पूर्वज किस प्रकार किसी विशेष क्षेत्र में रहते थे एवं उसे प्रशासित करते थे। अतः वे विरासत स्थलों, मंदिरों, चर्च, संग्रहालयों, किलों आदि की यात्रा करते हैं।
• विरासत विशेष पर्यटन: यह उन लोगों के पर्यटन को संदर्भित करता है जो अपने मूल से जुड़ने और पारिवारिक दायित्वों को पूरा करने के लिए दूरस्थ स्थानों की यात्रा करते हैं। विवाह और मृत्यु के समय लोग अपने पैतृक स्थानों पर एक साथ एकत्रित होते हैं। ऐसे व्यक्ति जो अपने शेष जीवन के लिए विदेश में बसे होते हैं जब अपने जन्म स्थान की यात्रा करते हैं तो वे ऐसे पर्यटन को बढ़ावा देते हैं।
• सांस्कृतिक पर्यटन : कुछ लोग यह जानने में रूचि रखते हैं कि अन्य लोग या समुदाय कैसे रहते हैं, कैसे जीवन व्यतीत करते हैं और किस प्रकार समृद्ध होते हैं; उनकी संस्कृति और कला एवं संगीत हमारी संस्कृति से किस प्रकार भिन्न हैं। इसलिए वे ज्ञान प्राप्त करने, संस्कृति से परिचित होने एवं संस्कृति को बेहतर तरीके से समझने के लिए यात्रा करते हैं।
• साहसिक पर्यटन: युवाओं के मध्य साहसिक यात्रा करने की प्रवृत्ति होती है। वे ट्रेकिंग, रॉक क्लाइंबिंग, रिवर राफ्टिंग इत्यादि के लिए जाते हैं। वे कैम्प फायर का आयोजन करते हैं और खुले आसमान के नीचे रहते हैं। यह पर्यटन मजबूत इच्छाशक्ति वाले लोगों के लिए है। जो तनाव सहन कर सकते हैं।
• स्वास्थ्य पर्यटन: हाल के वर्षों में, स्वास्थ्य पर्यटन अत्यधिक लोकप्रिय हुआ है। लोग प्राकृतिक देख-भाल केंद्रों और अस्पतालों में जाते हैं जहां उनका उपचार विशेषज्ञों द्वारा किया जाता है। उपचार हेतु अनेक विदेशियों द्वारा भारत की यात्रा की जाती है क्योंकि उनके देश में इस प्रकार की सेवाएं काफी महंगी होती हैं।
• धार्मिक पर्यटन : भारत, बहु-धार्मिक संरचना वाली जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है। यहाँ लोगों को धार्मिक कर्तव्यों को पूरा करने और धार्मिक महत्व के स्थानों की यात्रा करने में सक्षम बनाने हेतु विभिन्न पर्यटन पैकेज आयोजित किए जाते हैं। जैसे- चारधाम यात्रा।
• संगीत पर्यटन: यह आनंददायक पर्यटन का भाग हो सकता है क्योंकि इसमें लोगों के गाने, संगीत सुनने तथा उसका आनंद लेने के क्षण शामिल होते हैं।
• ग्रामीण पर्यटन: इसमें विभिन्न ग्रामीण गंतव्य स्थलों को लोकप्रिय बनाने के लिए पर्यटन करना और यात्रा की व्यवस्था करना सम्मिलित है।
• वन्यजीव पर्यटन : यह पर्यावरण एवं जंतु अनुकूल पर्यटन हो सकता है। वन्य जीव पर्यटन से तात्पर्य जंगली जानवरों को उनके प्राकृतिक आवास में देखने से है।
समुद्र तटों को बढ़ावा दे रहा है भारत का पर्यटन
हाल ही में जनवरी के पहले सप्ताह में पीएम मोदी ने लक्षद्वीप का दौरा किया और कुछ तस्वीरें साझा कीं, जिसमें "इसके द्वीपों की आश्चर्यजनक सुंदरता" दिखाई गई थी। "सुबह की सैर" से लेकर स्नोर्केलिंग की कोशिश तक, भारतीय प्रधान मंत्री ने कहा कि द्वीपों की उनकी यात्रा "सीखने और बढ़ने की एक समृद्ध यात्रा" थी। भारतीय प्रधान मंत्री सिर्फ भारत के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए समुद्र तटों को बढ़ावा नहीं दे रहे हैं। उन्होंने पिछले साल "मेड इन इंडिया" की तर्ज पर "वेड इन इंडिया" की अवधारणा पेश की थी। 26 नवंबर को अपने मासिक "मन की बात" में, पीएम मोदी ने "वेड इन इंडिया" की अवधारणा पेश की, जिसमें नागरिकों से देश के भीतर गंतव्य शादियों का विकल्प चुनने का आग्रह किया गया। बाद में, दिसंबर 2023 में उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर्स समिट में, पीएम मोदी ने गंतव्य शादियों के लिए उत्तराखंड को एक आदर्श राज्य के रूप में बढ़ावा देने की कोशिश की ।
जरा सोचिए...इन दिनों कुछ परिवारों द्वारा विदेश जाकर शादियां करने का एक नया माहौल बनाया जा रहा है। क्या यह बिल्कुल जरूरी है? अगर हम भारत की धरती पर, भारत के लोगों के बीच, देश के पैसे से शादी के उत्सव मनाते हैं देश में ही रहेंगे,'' | श्रीनगर, चंडीगढ़, शिमला, दिल्ली, आगरा, मसूरी, नैनीताल, डलहौजी, उदयपुर, जयपुर जैसलमेर, मुंबई, मैसूर, बैंगलोर, ऊटकमंड, कोडाइकनाल, रामेश्वरम, त्रिवेंद्रम, हैदराबाद, पुणे लोनावला, खंडाला, पोर्ट ब्लेयर, कलकत्ता, दार्जिलिंग, गुवाहाटी, सिक्किम, भुवनेश्वर, बद्रीनाथ हरिद्वार, सोमनाथ, गिरनार, अहमदाबाद, कन्याकुमारी, गोवा, सम्मेद शिखर, पालीताना अजमेर, जोधपुर जैसे पर्यटक स्थल आपका मन मोह लेंगे।|
ज्योति प्रकाश खरे