देश फीचर्ड

मोदी कैबिनेट के अहम फैसले, PM ग्राम सड़क योजना के अगले फेज़ को मंज़ूरी, गावों में पहुंचेगी 4जी सेवा

Prime Minister Narendra Modi interacts with the beneficiaries and stakeholders of Aatmanirbhar Bharat Swayampurna Goa programme

नई दिल्लीः केंद्र सरकार ने बुधवार को प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के पहले और दूसरे चरण को सितंबर 2022 तक विस्तार देने को स्वीकृति प्रदान की है। साथ ही वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में सड़क निर्माण से जुड़ी परियोजना को भी विस्तार दिया गया है। केन्द्रीय मंत्रिमंडल की आर्थिक मामलों की समिति ने आज इस योजना को मंजूरी प्रदान की। मंत्रिमंडल के फैसलों की जानकारी देते हुए केन्द्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने बताया कि प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के चरण 1-2 या वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों और जनजातीय क्षेत्रों के तहत सड़क संपर्क के लिए कवर नहीं किए गए क्षेत्र योजना से लाभान्वित होने जा रहे हैं। घने जंगलों, पहाड़ों और नदियों से होते हुए यह सड़कें गुजरेंगी।

ये भी पढ़ें..एशेज सीरीज के लिए ऑस्ट्रेलियाई टीम का ऐलान, इस दिग्गज की हुई वापसी

प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना का उद्देश्य मैदानी, पूर्वोत्तर और पहाड़ी क्षेत्रों के अबतक अछूते रहे रिहायशी इलाकों को सड़क के माध्यम से जोड़ना है। इसके माध्यम से 1 लाख 78 हजार 184 रिहायशी क्षेत्रों में से 1 लाख 71 हजार 494 क्षेत्रों को जोड़ा जाएगा। योजना पर 2021-22 से 2024-25 तक 1 लाख 12 हजार 419 करोड़ रुपये खर्च होंगे। सड़क निर्माण में नई और हरित तकनीक का इस्तेमाल होगा। योजना से कृषि, स्वास्थ्य, शिक्षा, शहरीकरण और रोजगार सृजन की स्थिति में सुधार होगा। वामपंथी उग्रवाद प्रभावित क्षेत्रों में सड़क निर्माण योजना के तहत 4,490 किमी सड़क का निर्माण 2016 तक किया गया था। अभी 5,714 किमी सड़क का निर्माण किया जा रहा है। 1,887 किमी सड़क निर्माण को मंजूरी दी गई है।

गावों को 4जी सेवाओं से जोड़ा जाएगा

इसके अलावा मंत्रिमंडल ने बुधवार को पांच राज्यों के आकांक्षी जिलों के अनकवर्ड गांवों में मोबाइल सेवा प्रदान करने के लिए सार्वभौमिक सेवा दायितव निधि (यूएसओएफ) योजना को मंजूरी दी है। सूचना एवं प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि योजना के माध्यम से पांच राज्यों के 44 आकांक्षी जिलों के 7,287 गावों को 4जी सेवाओं से जोड़ा जाएगा। योजना को आन्ध्र प्रदेश, छत्तीसगढ़, झारखंड, महाराष्ट्र और ओडिशा राज्य शामिल हैं।

उन्होंने बताया कि योजना लागत 6,466 करोड़ रुपये आंकी गई है। इससे जुड़े काम को प्रतिस्पर्धी बोली प्रकिया के माध्यम से किया जाएगा। ठाकुर ने कहा कि इससे डीजिटल इंडिया के विजन के तहत डिजिटल कनेक्टीविटी बढ़ेगी। इससे शिक्षण संस्थानों को मदद मिलेगी। रोजगार पैदा होंगे और घरेलू विनिर्माण इकाईयों को मदद मिलेगी।

(अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक और ट्विटर  पर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें…)