
गाजियाबाद: विलुप्त हो रही नदियों को पुनर्जीवित करने की योजना के तहत हिण्डन नदी (Hindon river) को नवजीवन मिलने जा रहा है। इसके लिए खाका तैयार किया जा रहा है। इसकी कड़ी में आईआईटी कानपुर की टीम ने शनिवार 16 जुलाई को गाजियाबाद का सर्वे शुरू कर दिया। टीम ने अधिकारियों के साथ बैठक की। बैठक के बाद प्रभारी मुख्य विकास अधिकारी पीएन दीक्षित ने बताया कि तकनीकी मदद के लिए सरकार ने आईआईटी कानपुर की सी-गंगा शोध टीम को चुना गया है। सी-गंगा की टीम तीन अन्य तकनीकी संस्थानों के एक्सपर्ट के साथ मिलकर नदियों को नया जीवन देने में सहायक बनेगी। आईआईटी कानपुर सी-गंगा के शोध सहायकों की टीम ने जनपद की हिन्डन, काली ईस्ट एवं काली नदी का प्रारंभिक सर्वे किया।
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उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में मनरेगा के माध्यम से लुप्त होने वाली 61 नदियों पर काम कराने का फैसला लिया गया है। तकनीकी मदद के लिए सरकार ने आईआईटी कानपुर सी-गंगा की टीम को नोडल अधिकारी बनाया है। सी-गंगा के लीडर डिपार्टमेन्ट ऑफ सिविल इंजीनियरिंग इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी कानपुर के प्रोफेसर विनोद तारे हैं। उनकी टीम में एनआईएच रुड़की, बीबीएयू लखनऊ और आईआईटी बीएचयू के शोधकर्ता भी रखे गए हैं। इसी क्रम में पिछले दिनों आईआईटी कानपुर सी-गंगा के शोध सहायक प्रीत तिवारी ने स्थानीय अधिकारियों की टीम ने जनपद गाजियाबाद की हिण्डन नदी (Hindon river) के प्रारम्भिक सर्वे के लिए बैठक की। सर्वे टीम के लीडर प्रीत तिवारी ने बताया कि सिंचाई विभाग के अधिकारियों को नदियों को नया जीवन देने के लिए डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट तैयार करनी है। हमारी टीम उनकी तकनीकी मदद करेगी। यह सुनिश्चित किया जाना है कि पूरे साल नदियां जल से भरी रहें। नदियों को नया जीवन मिलने से भूगर्भ जल स्तर बढ़ेगा।
उन्होंने बताया कि इसको सुनिश्चित कराने के लिए तीन और एजन्सी को शामिल किया है। पहले चरण में छोटी नदियों की सेटेलाइट इमेज देखी गई। इमेज में जहां-जहां पानी का बहाव रुका हुआ है, वहां-वहां जाकर टीम सत्यापन कर रही है। गाजियाबाद में हिण्डन नदी (Hindon river) का सर्वे 17 जुलाई को भी हुआ। यहां पर फैक्ट्रियों और बिल्डरों द्वारा कॉलोनी काटने के कारण कैमिकल युक्त पानी बहता है। टीम के भौतिक सर्वे के आधार पर उनकी समस्याओं को खोजा जाएगा, जिसके कारण नदियों में जल का बहाव रुका हुआ है।
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