शिमला: लोकसभा चुनाव में भाजपा ने चारों सीटों जीत दर्ज की है, लेकिन उपचुनाव में बीजेपी को निराशा हाथ लगी है। भाजपा ने राज्य की चारों लोकसभा सीटों पर जीत हासिल कर लगातार तीसरी बार क्लीन स्वीप हासिल की। लेकिन हैरानी की बात यह रही कि राज्य की छह सीटों पर हुए विधानसभा उपचुनाव में भाजपा का प्रदर्शन निराशाजनक रहा। भाजपा सिर्फ दो सीटें जीत पाई जबकि कांग्रेस ने चार सीटें जीतीं।
भाजपा के कद्दावर नेता अनुराग ठाकुर ने हमीरपुर लोकसभा सीट से लगातार पांचवीं बार रिकॉर्ड 1.82 लाख वोटों से जीत दर्ज की। उनके प्रभाव वाले इस संसदीय क्षेत्र में भाजपा ने चार विधानसभा उपचुनाव सीटों में से तीन खो दीं। खास बात यह रही कि अनुराग ठाकुर के अपने विधानसभा क्षेत्र सुजानपुर से भी भाजपा प्रत्याशी हार गए। भाजपा सिर्फ हमीरपुर जिले की बड़सर सीट पर ही जीत दर्ज कर पाई। चुनाव आयोग के आंकड़ों के मुताबिक सुजानपुर विधानसभा क्षेत्र से अनुराग ठाकुर को करीब 23 हजार की बढ़त मिली। यह अनुराग ठाकुर का गृह विधानसभा क्षेत्र है। इस सीट पर हुए विधानसभा उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी राजेंद्र राणा करीब 2440 वोटों से हार गए।
इसी तरह गगरेट विधानसभा क्षेत्र में अनुराग ठाकुर को कांग्रेस प्रत्याशी से करीब 11 हजार वोट अधिक मिले। लेकिन इस विधानसभा क्षेत्र के विधानसभा उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी चैतन्य शर्मा 8487 वोटों से हार गए। कुटलैहड़ विधानसभा क्षेत्र में भी यही स्थिति देखने को मिली, जहां अनुराग ठाकुर ने 8 हजार वोटों की बढ़त बनाई, लेकिन उपचुनाव में भाजपा प्रत्याशी देवेंद्र भुट्टो 5356 वोटों से यह सीट हार गए। विधानसभा उपचुनाव में भाजपा ने कांग्रेस के पूर्व विधायकों पर दांव लगाया था छह सीटों पर विधानसभा उपचुनाव में भाजपा ने कांग्रेस के छह पूर्व विधायकों को प्रत्याशी बनाया था।
दरअसल, इसी साल फरवरी में हिमाचल में राज्यसभा की एक सीट के लिए हुए चुनाव में कांग्रेस के छह विधायकों सुधीर शर्मा, इंद्रदत्त लखनपाल, देवेंद्र भुट्टो, चैतन्य शर्मा, रवि ठाकुर और राजेंद्र राणा ने क्रॉस वोटिंग कर भाजपा प्रत्याशी को जिताने में मदद की थी। अगले दिन उन्होंने कांग्रेस के व्हिप का उल्लंघन किया और बजट पारित होने के दौरान विधानसभा से अनुपस्थित रहे। इस पर स्पीकर ने उन्हें अयोग्य घोषित कर दिया और उनकी विधानसभा सदस्यता रद्द कर दी। इस राजनीतिक घटनाक्रम के बाद कांग्रेस के सभी छह पूर्व विधायक भाजपा में शामिल हो गए और उपचुनाव में पार्टी का टिकट हासिल कर लिया।
सिर्फ दो सीटों पर हुई जीत
कांग्रेस के पूर्व विधायकों में सिर्फ सुधीर शर्मा और इंद्रदत्त लखनपाल ही भाजपा के टिकट पर उपचुनाव जीतकर दोबारा विधायक बनने में कामयाब रहे। जबकि चार पूर्व विधायकों को मतदाताओं ने घर भेज दिया। दिलचस्प बात यह रही कि लाहौल-स्पीति सीट पर भाजपा प्रत्याशी रवि ठाकुर अपनी जमानत भी नहीं बचा पाए।
धर्मशाला से सुधीर शर्मा 5526 और इंद्रदत्त लखनपाल 2125 वोटों से जीते। सुधीर शर्मा कांग्रेस की पूर्व वीरभद्र सरकार में कैबिनेट मंत्री रह चुके हैं। वह चार बार विधायक बन चुके हैं। इसी तरह इंद्रदत्त लखनपाल भी लगातार चौथी बार विधायक चुने गए हैं।
सुक्खू सरकार मजबूत हुई
छह विधायकों के भाजपा में शामिल होने से कांग्रेस की सुक्खू सरकार पर बहुमत खोने का खतरा मंडरा रहा था। लेकिन छह में से चार सीटें जीतकर सुक्खू सरकार और मजबूत हो गई है। वर्तमान में 65 सदस्यीय विधानसभा में कांग्रेस के 38 विधायक हैं, जबकि भाजपा के 27 विधायक हैं। तीन निर्दलीय विधायकों के इस्तीफे के कारण आगामी महीनों में तीन विधानसभा सीटों हमीरपुर, नालागढ़ और देहरा में भी उपचुनाव होंगे।
लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दे तो विधानसभा उपचुनाव में स्थानीय मुद्दे हावी रहे
इस बार मतदाताओं ने दोनों चुनावों में सोच-समझकर मतदान किया। लोकसभा चुनाव में राष्ट्रीय मुद्दों खासकर मोदी के चेहरे पर वोट डाले गए, जबकि विधानसभा उपचुनाव में मतदाताओं ने स्थानीय मुद्दों और सत्तारूढ़ सुक्खू सरकार के 16 महीने के कामकाज के साथ प्रत्याशियों की पृष्ठभूमि को ध्यान में रखा।
प्रदेश की जिन छह विधानसभा सीटों पर उपचुनाव हुए, उनमें सुजानपुर, बड़सर, धर्मशाला, गगरेट, कुटलैहड़ और लाहौल-स्पीति शामिल हैं। इनमें धर्मशाला और बड़सर में भाजपा ने जीत दर्ज की, जबकि अन्य चार सीटों पर कांग्रेस ने जीत दर्ज की। यह भी माना जा रहा है कि चुनाव प्रचार के दौरान उपचुनाव वाली सीटों पर एक वोट पीएम और एक वोट सीएम का नारा गूंजा था और नतीजे आने के बाद यह नारा चरितार्थ होता नजर आया।
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