शिमलाः हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सुक्खू ने शनिवार को कहा कि सरकार ने शिमला में सर्कुलर रोड पर भीड़ कम करने और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए 100 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से राज्य की राजधानी के कायाकल्प का खाका तैयार किया है। इस योजना में अधिक पर्यटकों को आकर्षित करने के लिए ब्रिटिश भारत की ग्रीष्मकालीन राजधानी 'पहाड़ियों की रानी' में बुनियादी ढांचे में सुधार लाने के उद्देश्य से विभिन्न पहल शामिल हैं।
फ्लाईओवर के निर्माण के लिए 3.50 करोड़ का प्रावधान
योजना के बारे में विस्तार से बताते हुए सीएम ने कहा कि निजी भूमि और संरचनाओं के भूमि अधिग्रहण के लिए लगभग 77 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे, जबकि सर्कुलर रोड के विकास और चौड़ीकरण के लिए 20 करोड़ रुपये रखे गए हैं। इसके अलावा मेट्रोपोल से हाई कोर्ट जंक्शन तक फ्लाईओवर के निर्माण के लिए 3.50 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। सीएम सुक्खू ने कहा कि सरकार का विजन प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देना और पर्यटन उद्योग के विकास के लिए अनुकूल माहौल तैयार करना है।
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मुख्यमंत्री ने लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी) को काम में तेजी लाने और समय पर पूरा करने का भी निर्देश दिया है। उन्होंने शिमला और इसके आसपास आने वाले पर्यटकों को सुविधाएं प्रदान करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने आगे कहा कि लोक निर्माण विभाग को एक सर्वेक्षण करने और सभी बाधाओं की पहचान करने के बाद एक विस्तृत परियोजना रिपोर्ट तैयार करने के लिए कहा गया है। उन्होंने यह भी कहा कि 97 करोड़ रुपये जारी किये जा चुके हैं। जरूरत पड़ने पर सरकार और धनराशि उपलब्ध कराएगी।
3,000 करोड़ रुपये से होगा बुनियादी ढांचे का विकास
उन्होंने कहा कि विकासात्मक योजनाओं के हिस्से के रूप में, राज्य की राजधानी में पार्किंग समस्या के समाधान के लिए पार्किंग स्लॉट भी बनाए जाएंगे। सीएम ने कहा कि सरकार कम प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों को बढ़ावा देने पर भी ध्यान केंद्रित कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा कि कांगड़ा घाटी को राज्य की 'पर्यटन राजधानी' घोषित किया जाना तय है और जिले में लगभग 3,000 करोड़ रुपये बुनियादी ढांचे के विकास के लिए खर्च करने की योजना बनाई जा रही है।
इसके अलावा सीएम ने आगे कहा कि पर्यटन राज्य की अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है और सरकार पर्यटकों की आमद बढ़ाने के लिए प्रोत्साहन दे रही है। इस साल मई तक राज्य में लगभग 72 लाख पर्यटक आए और सरकार का लक्ष्य अगले पांच वर्षों में इस संख्या को बढ़ाकर पांच करोड़ करना है।
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