नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट ने कर्नाटक के स्कूल एवं कॉलेजों में हिजाब पहनने पर रोक के खिलाफ दायर अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल सुनवाई से इनकार कर दिया है। चीफ जस्टिस एनवी रमना ने कहा कि हाईकोर्ट का आदेश अभी आया भी नहीं है। इसरे साथ ही याचिकाकर्ता को नसीहत दी है कि इस मसले को इतने बड़े पैमाने पर उठाने की जरूरत नहीं है। स्थानीय मुद्दे को राष्ट्रीय मुद्दा बनाने की जरूरत नहीं है। कोर्ट ने कहा कि क्या हो रहा है, हम सब जानते हैं, उचित समय पर हम हस्तक्षेप करेंगे।
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14 फरवरी को हाईकोर्ट करेगा सुनवाई
बता दें कि है याचिकाकर्ताओं ने कर्नाटक हाईकोर्ट के अंतरिम आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिकाएं दायर की थीं। इसमें बेंगलुरु के मोहम्मद आरिफ के अलावा कर्नाटक के मस्ज़िद, मदरसों के संगठन की भी याचिकाएं थी। याचिका में कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले को मुस्लिम लड़कियों से भेदभाव बताया गया है और आदेश पर तत्काल रोक की मांग की गई है। इससे पहले गुरुवार को कर्नाटक हाईकोर्ट की तीन जजों की बेंच ने अगले आदेश तक स्कूल कॉलेजों में धार्मिक पोशाक पहनने पर रोक लगाई थी। हाईकोर्ट इस मसले पर 14 फरवरी को सुनवाई करने वाला है।
मुख्य न्यायाधीश ने कहा, "हम हिजाब विवाद के मामले में अंतरिम आदेश देना चाहते हैं। हम हर दिन मामले की सुनवाई करेंगे।" पीठ ने कहा कि राज्य में शांति लौटनी जरूरी है और स्कूल और कॉलेज जल्द ही खुलने चाहिए। इसके साथ ही पीठ ने मामले की सुनवाई सोमवार तक के लिए स्थगित कर दी। उन्होंने कहा, "स्कूलों को बंद करना एक अच्छा कदम नहीं है। आवश्यक कार्रवाई करें और कक्षाएं संचालित करें। यह देखें कि कोई समस्या सामने न आए।" मामले को लेकर व्याप्त तनाव और हिंसा के बीच राज्य सरकार ने मंगलवार को राज्य के सभी स्कूलों और कॉलेजों में बुधवार से तीन दिनों की छुट्टी की घोषणा की थी।
बढ़ता जा रहा हिजाब विवाद
गौरतलब है कि कर्नाटक के उडुपी कॉलेज से जुड़े हुए हिजाब विवाद की आंच अन्य प्रदेशों तक पहुंच गई है। वहीं उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले ही हिजाब विवाद राजनीतिक व सामाजिक मुद्दा बन रहा है। बताते चलें शैक्षणिक संस्थानों के हिजाब को प्रतिबंधित करने के लिए कर्नाटक के छात्रों ने पीआईएल दाखिल की थी। जिसके बाद इस विषय पर पूरे देश में चर्चा हो रही है कि मुस्लिम महिलाओं को शिक्षा संस्थानों में हिजाब पहन कर आना चाहिए या नहीं। जहां एक पक्ष शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब को प्रतिबंधित करने की मांग कर रहा है वहीं एक पक्ष इसे अपना संवैधानिक अधिकार बता रहा है।
दरअसल हिजाब विवाद की शुरूआत पिछले महीने उडुपी गवर्नमेंट प्री-यूनिवर्सिटी कॉलेज की कुछ छात्राओं के हिजाब पहनकर कॉलेज परिसर में जाने पर हुई थी, जिन्हें कक्षाओं में जाने की अनुमति नहीं दी गई थी। कॉलेज के अधिकारियों का कहना है कि जो छात्रा पहले बिना हिजाब के आती थीं, वे अब अचानक से हिजाब में आने लगी हैं। बाद में छात्राओं ने बिना हिजाब के कक्षाओं में जाने से इनकार करते हुए विरोध प्रदर्शन किया। यह मुद्दा एक विवाद बन गया और कर्नाटक के अन्य जिलों के साथ ही अन्य प्रदेशों में भी इस मुद्दे को उठाया जा रहा है। इसकी वजह से तनाव बना हुआ है और यहां तक कि हिंसा भी हो चुकी है।
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