लखनऊः इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंडपीठ ने शुक्रवार को लेवाना होटल में आग लगने के हादसे को स्वतः संज्ञान में लिया है। इस मामले में न्यायालय ने लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) के उपाध्यक्ष को 22 सितम्बर को दस्तावेजों के साथ तलब किया है। कोर्ट ने हजरतगंज स्थित कोचिंग सेंटर में लगी आग का भी संज्ञान लिया है। दरअसल राजधानी के लेवाना होटल में सोमवार को आग लग गई थी, जिसमें चार लोगों की मृत्यु हो गई थी।
इस मामले को गंभीरता से लेते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने जांच समिति बनायी थी। इसमें मंडलायुक्त रोशन जैकब, पुलिस कमिश्नर एसबी शिरोडकर, डीआईजी फायर आकाश कुलहरि शामिल थे। जांच के दौरान मिली खामियों के बाद मंडलायुक्त ने होटल को सील कर कानूनी कार्रवाई के निर्देश दिए थे। साथ ही इस प्रकरण की रिपोर्ट शासन को भेजी जानी है। इधर न्यायमूर्ति राकेश श्रीवास्तव और न्यायमूर्ति बृजराज सिंह की खंडपीठ ने समाचार पत्र में प्रकाशित खबरों को संज्ञान में लेते हुए इस मामले को जनहित याचिका के रूप में दर्ज करने का आदेश दिया था।
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इसके बाद ‘इंसिडेंट्स ऑफ फायर एट लेवाना सुइट्स होटल’ शीर्षक से दर्ज पीआईएल पर राज्य सरकार को अपर मुख्य सचिव (गृह) और एलडीए वीसी को अपना पक्षकार बनाने का आदेश दिया। कोर्ट ने मुख्य अग्निशमन अधिकारी से पूछा है कि अग्निशमन को लेकर ऐसे कितने गलत अनापत्ति प्रमाणपत्र जारी किए गए। क्या स्वीकृत नक्शे के तहत अनापत्ति दी गई। कोर्ट ने कहा कि लेवाना सुइट्स होटल में आग लगने जैसी घटनाएं भविष्य में न हों, यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए।
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