नई दिल्लीः सुप्रीम कोर्ट दिल्ली में अफसरों की ट्रांसफर पोस्टिंग के मामले पर 5 दिसम्बर को सुनवाई करेगा। आज दिल्ली सरकार की ओर से पेश वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच के समक्ष मामले को मेंशन करते हुए कहा कि करीब छह महीने पहले एक फाइल मंजूरी के लिए उप-राज्यपाल के पास भेजी गई थी। वो फाइल अभी भी लम्बित है। इस पर चीफ जस्टिस ने 5 दिसम्बर को सुनवाई करने का आदेश दिया।
इस मामले में मनीष सिसोदिया ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि इस साल की शुरुआत में उपराज्यपाल वीके सक्सेना की नियुक्ति के साथ समस्या और भी विकट हो गई है। वे दिल्ली सरकार के कामकाम को पूरे तरीके से बाधित कर रहे हैं। हलफनामे में कहा गया है कि मंत्रियों के फोन करने के बावजूद नौकरशाहों ने बैठकों में भाग लेना बंद कर दिया। इतना ही नहीं अधिकारियों ने मंत्रियों के फोन उठाने बंद कर दिए।
हलफनामे में कहा गया है कि अधिकारी या तो देरी करते थे या मंत्रियों के विभागों तक फ़ाइल ही नही भेजते थे। अधिकारियों ने मंत्रियों के आदेशों और निर्देशों की भी अवहेलना की और चुनी हुई सरकार के साथ उदासीनता के साथ व्यवहार किया। दिल्ली सरकार का कहना है कि इस साल की शुरुआत में उपराज्यपाल वीके सक्सेना की नियुक्ति के साथ समस्या और भी विकट हो गई है। उपराज्यपाल उन अफसरों को दंडित कर रहे हैं जो चुनी हुई सरकार के साथ सहयोग कर रहे हैं।
कोर्ट ने 6 मई को इस मामले को 5 जजों की संविधान बेंच को रेफर कर दिया था। दिल्ली सरकार अधिकारियों पर पूर्ण नियंत्रण की मांग कर रही है। इस मामले पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार ने कहा था कि यह मसला 2021 में राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली अधिनियम में हुए संशोधन से भी जुड़ा है। केंद्र ने दोनों मसलों पर साथ सुनवाई करने की मांग की थी। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने मामले को संविधान पीठ को सुनवाई के लिए रेफर करने की मांग की थी।
दिल्ली में अफसरों पर नियंत्रण के मसले पर सुप्रीम कोर्ट की दो सदस्यीय जस्टिस एके सिकरी और जस्टिस अशोक भूषण की बेंच ने 14 फरवरी, 2019 को विभाजित फैसला सुनाया था। इसलिए इस मसले पर विचार करने के लिए केस बड़ी बेंच को रेफर कर दिया गया।
अन्य खबरों के लिए हमें फेसबुक औरट्विटरपर फॉलो करें व हमारे यूट्यूब चैनल को भी सब्सक्राइब करें…