
आईपीके, लखनऊः दशकों से मालिकाना हक का सपना संजोए अमीनाबाद के मोहन मार्केट के व्यवसायियों के जल्द ही अच्छे दिन आने वाले हैं। इस मार्केट को बेचे जाने को लेकर धीरे-धीरे आम सहमति बनती जा रही है, जिससे यहां के व्यापारियों के चेहरे खिल उठे हैं। पूरी संभावना है कि जल्द ही शासन से यहां के दुकानों को बेचने की मंजूरी मिल जाएगी। शहर के सबसे मुख्य बाजारों में से एक अमीनाबाद में मोहन मार्केट काफी प्रसिद्ध है। यहां पर तमाम फैन्सी परिधानों का भंडार भी है और सैकड़ों दुकानें भी स्थित हैं।
पिछले कई दशक से इन दुकानों के मालिकाना हक को लेकर व्यापारी संघर्षरत रहे हैं, लेकिन कभी नगर निगम तो कभी शासन की उपेक्षा के चलते मामला लटका ही रहा। अब इस मामले के हल होने की उम्मीद नजर आ रही है क्योंकि पिछले सप्ताह हुई रेंट कमेटी की बैठक में व्यापारियों ने दुकानों को खरीदने की इच्छा जताई है। रेंट कमेटी के अध्यक्ष व नगर निगम कार्यकारिणी उपाध्यक्ष रजनीश गुप्ता का कहना है कि वह बकाया किराया जमा कर दें, साथ ही नामांतरण करा लें ताकि शासन को रिपोर्ट भेजी जा सके। बताया कि व्यापारी पहले बकाया किराया जमा कर दें, तभी नामांतरण होगा क्योंकि इसके लिए नोड्यूज होना आवश्यक है। नामांतरण के बाद पता चलेगा कि किन किराएदारों को दुकानें बेची जानी है।
व्यापारियों की ये है मांग
दुकानों के बेचने प्रक्रिया आगे बढ़ने को लेकर व्यापारी काफी उत्साहित तो हैं, लेकिन उनकी कुछ मांगे भी हैं। मार्केट के चेयरमैन जसबीर सिंह बत्रा का कहना है कि पिछले 70 सालों से हम लोग मालिकाना हक दिए जाने की मांग कर रहे हैं। नगर निगम ने तीन साल पहले मनमाने तरीके से किराया बढ़ा दिया, जिसके बाद हम लोगों ने किराया देना बंद कर दिया। हमारी मांग है कि नगर निगम पहले रजिस्ट्री करे फिर हम बढ़ा हुआ किराया जमा करेंगे और नामांतरण कराएंगे।
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बत्रा ने कहा कि कई प्रदेशों में 50 प्रतिशत या उससे कम कीमत पर दुकानें दी गई हैं। ऐसे में हम लोगों को भी मुनासिब कीमत पर दुकानों का मालिकाना हक दिया जाए। मार्केट के ही व्यवसायी गिरीश आनंद ने बताया कि यहां पर दुकान पिताजी के समय से है। हमारी मांग है कि हमें इसका मालिकाना हक दे दिया जाए। इससे नगर निगम को अच्छी-खासी आमदनी होगी और हाउस टैक्स आदि भी मिलेगा। बताया कि इस मार्केट को लेकर कोई विवाद भी नही है।