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बकरी पालन बन रहा रोजगार का जरिया

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लखनऊः सरकार ही किसानों की आमदनी बढ़ाने के लिए प्रयास नहीं कर रही है, आम लोग भी इस दिशा में बराबर प्रयत्न कर रहे हैं। प्रदेश में ऐसे कई उदाहरण हैं, जो यह साबित करने के लिए काफी हैं कि छोटे-छोटे उद्योग स्थापित कर लोग बड़ा लाभ कमाने के लिए प्रयास कर रहे हैं। पशु पालन लोगों की आमदनी बढ़ाने का बिल्कुल सटीक जरिया बन रहा है।

मोहम्मद आमिर इस बात के गवाह हैं कि कलम चलाने के अलावा भी कुछ काम हैं, जिनसे पैसे कमाए जा सकते हैं। आमिर ने बीएससी तक पढ़ाई की है। इसके बाद वह देश भ्रमण पर निकल गए। इस दौरान उन्होंने कई स्थानों पर काम भी किया। इसमें भी जब आनंद न मिला, तो अपना फर्म चलाने की ठान ली। काम भी इन्होंने खुद ही चुना। आमिर ने अहमदाबाद में सिलाई का काम सीख लिया। इसके बाद वह फैजाबाद चले आए। यहां कुछ दिनों तक मशीनें लगाईं और सिलाई से अच्छा पैसा कमाया। इस काम में आमदानी कम होने का कारण बताकर बंद कर दिया। कुछ दिनों बाद 20 बकरियों से बकरी पालन का काम शुरू कर दिया।

इसमें अपने घर वालों को लगा दिया। बकरियों से ही बकरी बढ़ती गईं और आय भी। चारा-दाना का खर्च निकालने के बाद एक आदमी के पास दो दिहाड़ी तक की कमाई हो जाती है। आमिर अब परिवार वालों की मदद करते हैं, जबकि बकरी पालन में परिजन। इधर राजधानी के चकौली गांव में 25-30 बकरियों का फार्म तो कई लोगों ने चला रखा है। यहां के ग्रामीण रमेश कुमार और संजय प्रजापति बताते हैं कि पशु पालन में अच्छी आमदनी है, बस जरूरत है मेहनत की। चकौली गांव में ज्यादातर खेती-किसानी ही होती है। यहां रोजगार के संसाधन नहीं हैं, इसलिए अधिकतर ग्रामीण या तो सब्जी का कारोबार संभालते हैं या फिर पशु पालते हैं। माना जा रहा है कि बकरी पालन को कम जगह और कम लागत में शुरू किया जा सकता है। सबसे अच्छी बात यह है कि बकरी या भेड़ पालन से लागत के मुकाबले आमदनी ज्यादा होती है।

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बारिश में बचाव बड़ी जिम्मेदारी

पशु चिकित्सक डॉ. धीरेंद्र साहू कहते हैं कि जो लोग इस व्यवसाय में लगे हैं, उनको बारिश के दौरान ज्यादा जिम्मेदारी निभानी होगी। इस दौरान गीली मिट्टी बकरियों के अलावा भी अन्य पशुओं में तमाम रोग पैदा कर रहे हैं। मिट्टी भी जल्द गीली हो जाती हैं, इसलिए इनको सूखे स्थान पर रखें।