Gandhi Peace Prize: गोरखपुर स्थित प्रसिद्ध गीता प्रेस को वर्ष 2021 का गांधी शांति पुरस्कार देने की घोषणा की गई है। इस ऐलान के बाद बीजेपी और कांग्रेस के बीच विवाद छिड़ गया है। कांग्रेस ने जहां इस मामले पर केंद्र सरकार की आलोचना की है। तो केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने भारत की गौरवशाली प्राचीन सनातन संस्कृति और आधार ग्रंथों के प्रचार-प्रसार और पहुंच में गीता प्रेस के महत्वपूर्ण योगदान का जिक्र करते हुए कहा कि गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार मिलना उन्हीं के प्रयासों का परिणाम है।
गीता प्रेस को गांधी शांति पुरस्कार दिए जाने के खिलाफ कांग्रेस के विरोध के बीच, अमित शाह ने ट्वीट कर इसके चयन को सही ठहराया। इस दौरान अमित शाह ने कहा भारत की गौरवशाली प्राचीन सनातन संस्कृति और आधार ग्रंथों को अगर आज सुलभता से पढ़ा जा सकता है तो इसमें गीता प्रेस का अतुलनीय योगदान है। 100 वर्षों से अधिक समय से गीता प्रेस रामचरित मानस से लेकर श्रीमद्भगवद्गीता जैसे कई पवित्र ग्रंथों को नि:स्वार्थ भाव से जन-जन तक पहुंचाने का अद्भुत कार्य कर रही है। गीता प्रेस को 'गांधी शांति पुरस्कार 2021' मिलना उनके द्वारा किए जा रहे इन भागीरथ कार्यों का सम्मान है।
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दरअसल केंद्र सरकार ने गीता प्रेस, गोरखपुर को वर्ष 2021 का गांधी शांति पुरस्कार देने की घोषणा की है। 18 जून, 2023 को विचार-विमर्श के बाद, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता वाली जूरी ने सर्वसम्मति से वर्ष 2021 के गांधी शांति पुरस्कार के लिए गीता प्रेस, गोरखपुर का चयन किया है।
यह पुरस्कार गीता प्रेस (Gandhi Peace Prize), गोरखपुर को अहिंसा और अन्य गांधीवादी आदर्शों के माध्यम से सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक क्षेत्रों में परिवर्तन लाने में उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जा रहा है। वर्ष 1923 में स्थापित गीता प्रेस दुनिया के सबसे बड़े प्रकाशकों में से एक है। इसने 14 भाषाओं में 41.7 करोड़ पुस्तकें प्रकाशित की हैं, जिनमें श्रीमद भगवद गीता की 16.21 करोड़ पुस्तकें शामिल हैं।
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