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यूपी के इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में मील का पत्थर साबित होगा गंगा एक्सप्रेसवे

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लखनऊः प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी शनिवार को शाहजहांपुर जिले में गंगा एक्सप्रेसवे परियोजना का शिलान्यास करने वाले हैं। यह एक्सप्रेस वे उत्तर प्रदेश के इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट में मील का पत्थर साबित होगा। राज्य सरकार के एक प्रवक्ता ने शुक्रवार को यहां बताया कि गंगा एक्सप्रेस वे प्रदेश के तरक्की, आर्थिक विकास और रोजगार की नई इबारत लिखने वाला है। प्रदेश का अब तक का सबसे बड़ा 594 किमी लंबा गंगा एक्सप्रेस वे प्रयागराज से मेरठ होते हुए कई राज्यों को एक सूत्र में पिरोने वाला है। इसका लाभ एनसीआर, हरियाणा, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ समेत कई अन्य राज्यों के लोगों को भी मिलेगा। पूर्वी यूपी से लेकर पश्चिमी यूपी के 12 जिलों से गुजरने वाले इस एक्सप्रेसवे के किनारे औद्योगिक गलियारे से लेकर कई अन्य आर्थिक गतिविधियों को बढ़ावा दिया जा रहा है।

प्रवक्ता ने बताया कि राज्य सरकार ने 36,230 करोड़ रुपए की लागत से गंगा एक्सप्रेस वे परियोजना की स्वीकृति पिछले साल 26 नवम्बर को दी थी। पर्यावरण संरक्षण के लिए एक्सप्रेस वे के किनारे करीब 18,55,000 पौधे लगाए जाएंगे। साथ ही परियोजना में अधिग्रहीत भूमि पर सोलर पावर के माध्यम से ऊर्जा का उत्पादन होगा, जिससे परियोजना के संचालन के लिए आवश्यक ऊर्जा की पूर्ति होगी। गंगा एक्सप्रेस वे आधे से ज्यादा पश्चिमी यूपी के मेरठ, हापुड़, बुलन्दशहर, अमरोहा, सम्भल, बदायूं और शाहजहांपुर जिले से गुजर रहा है। हापुड़ और बुलन्दशहर सहित अन्य जिलों के लोगों के आवागमन के लिए गढ़मुक्तेश्वर में एक अन्य पुल बनाया जाएगा।

औद्योगिक कॉरिडोर के रूप में सहायक होगा एक्सप्रेसवे
उन्होंने बताया कि गंगा एक्सप्रेस वे से सामाजिक और आर्थिक विकास के साथ कृषि, वाणिज्य, पर्यटन और उद्योगों की आय को बढ़ावा मिलेगा। इसके अलावा विभिन्न उत्पादन इकाइयों, विकास केंद्रों और कृषि उत्पादन क्षेत्रों को राष्ट्रीय राजधानी से जोड़ने के लिए एक औद्योगिक कॉरिडोर के रूप में सहायक होगा। एक्सप्रेस वे खाद्य प्रसंस्करण इकाइयों, भंडार गृह, मंडी और दुग्ध आधारित उद्योगों की स्थापना के लिए एक उत्प्रेरक के रूप में काम करेगा।

शाहजहांपुर जिले में बनाई जाएगी हवाई पट्टी
एक्सप्रेसवे पर आपातकाल में वायु सेना के विमानों की लैंडिंग और टेक ऑफ के लिए शाहजहांपुर जिले में एक हवाई पट्टी भी बनाई जानी है। साथ ही लोगों की सुविधाओं के लिए नौ जनसुविधा केंद्र, सात रेलवे ओवर ब्रिज, 14 दीर्घ सेतु, 126 लघु सेतु और 381 अण्डरपास बनाया जाएगा। एक्सप्रेस वे पर प्रवेश और निकासी के लिए 17 स्थानों पर इंटरचेंज सुविधा भी दी जाएगी। परियोजना के आस-पास के गांवों के निवासियों के लिए सर्विस रोड भी बनाया जाएगा।

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83 हजार किसानों से खरीदी गई 94 फीसदी भूमि
सरकारी प्रवक्ता के अनुसार गंगा एक्सप्रेसवे के लिए जब भूमि खरीदी जा रही थी, उस समय पूरे देश में कोरोना की लहर पीक पर थी। इसके बावजूद महज एक साल में गंगा एक्सप्रेसवे के लिए 83 हजार किसानों से 94 फीसदी भूमि खरीदी गई है। परियोजना के लिए करीब 7386 हेक्टेयर भूमि की आवश्यकता है, जिसमें पिछले चार माह में 71,621 किसानों से 90 फीसदी से अधिक भूमि खरीदी गई है। अब तक कुल 82,750 किसानों से 94 फीसदी भूमि की खरीद हुई है।

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